लोकेशन-सुकमा
संवाददाता-संजय सिंह भदौरिया
बिचेम पोंदी पूर्व संभागीय अध्यक्ष बस्तर संभाग माहरा समाज ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि मंत्री कवासी लखमा दंतेवाड़ा में व कोन्टा विधानसभा के छिंदगढ़ सुकमा में माहरा जाति को आदिवासी का दर्जा दिलाने की बात करने वाले और कई सभाओं में हरिजन बोलकर अपमानित किया हैं तब भी माहरा समाज बस्तर संभाग के लोग चुप रहे लेकिन आज आरक्षण की बात पर अनुसूचित जाति में माहरा को मिलेगा भाजपा सरकार के मंत्री केदार कश्यप जैसा बोल रहे है तो भाजपा और कांग्रेस में क्या अंतर है जिसमें माहरा समाज के लोग क्या समझें जिनकी बदौलत कोन्टा विधानसभा में पांच बार जीतकर मंत्री बनें एवं बस्तर में 12 सीटों में कांग्रेस की जीत हुई है। वहीं बिचेम ने कहा भबिष्य में चुनाव नही आयेगा । वहीं
छग राज्य सरकार के केबिनेट मंत्री कवासी लखमा माहरा जाति के आरक्षण मांग के संबंध में समाज ही नहीं बल्कि वे सार्वजनिक रूप से सबको असत्य व दिग्भ्रमित जानकारी दे रहे हैं। मंत्री कवासी लखमा दन्तेवाड़ा में माहरा समुदाय के प्रमुखों के समक्ष एक तो माहरा को हरिजन शब्दों से संबोधित कर अपमानित किए हैं , वहीं दूसरी ओर वर्ष 2008 में केन्द्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय के तत्कालीन मंत्री पी.आर. किंडिया के कथनों को भी झूठा साबित करने का प्रयत्न किये हैं। मंत्री व्यस्त रहते हैं वे भूल गए होंगे तो पूर्व केंद्रीय मंत्री के वक्तव्यों को स्मरण करा दूं,वे कवासी लखमा एवं माहरा समाज के प्रतिनिधि मंडल को हमारे दस्तावेजों को देख कर बताऐ हैं कि माहरा मूल रुप में जनजाति वर्ग में है वे त्रुटि वश अधि सूचित नहीं हो पाये हैं, उसे पुनः जनजाति के सूची में शामिल किया जायेगा,न कि जनजाति के सूची में नहीं जोड़ने कहा गया है। तभी दिल्ली से आकर 2008 के आगामी विधानसभा सभा चुनाव के मध्य नज़र तत्कालीन विधायक व वर्तमान मंत्री कवासी लखमा ने छिंदगढ़ में माहरा समुदाय का बड़ी सभा आयोजन कर समाज को बताया है कि छः महीने में मैं माहरा समाज के बहुप्रतीक्षित जनजाति के मांग को केन्द्र सरकार से पूरा कराऊंगा कहकर समाज को उन्होंने आश्वासन दिये हैं, इसके साक्षी कांग्रेस पार्टी के तत्कालीन कार्यकर्ता एवं वर्तमान सुकमा भाजपा जिलाध्यक्ष हुंगराम मरकाम भी हैं। छग राज्य में कांग्रेस की सरकार बनते ही माहरा जाति को जनजाति के सूची में शामिल करने अनुशंसा करने की वादे मंत्री जी कैसे भूल गए हैं। आपने समाज के हर सभा में भाग लेते रहे हैं आपकी सरकार बनते ही आपका सूर कैसे बदल गया है?
जब केंद्र में 2014 तक कांग्रेस की सरकार थी और मंत्री के द्वारा यह कहना कि पूर्व केंद्रीय मंत्री किंडिया साहब के साथ मुलाकात में माहरा जाति को अनुसूचित जनजाति का दर्जा नहीं दिया जा सकता है । मंत्री जी मौका परस्त है वे वर्ष 2013 एवम् 2018 की चुनाव में माहरा को अनुसूचित जनजाति का दर्जा दिए जाने का वादा कैसे करते थे ? विधान सभा चुनाव में माहरा जाति को अनुसूचित जनजाति वर्ग में कांग्रेस की सरकार बनी है तो या मै विधायक बनते ही तथा जीते-जी माहरा के लिए अंतिम क्षण तक लड़ कर लाभ दिलवाऊंगा , बोलने वाले व्यक्ति अब दन्तेवाड़ा में भरी सभा में कैसे पलटी मारे हैं? जहां तक माहरा समाज को अनुसूचित जाति में शामिल करने की बात है तो भारत सरकार के महारजिस्ट्रार ने माहरा को अनुसूचित जाति में शामिल नहीं करने कुल चार बार खारिज कर चुके है। और अंत में दिनांक 24 मई 2017 को यह लिख कर खारिज किया गया है कि इसे पुनर्विचार करने की भी आवश्यकता नहीं है। हमारा साफ सुथरा कहना है कि समाज को गुमराह मत कीजिए मंत्रीजी।
वहीं कभी माहरा को महार में मर्ज करने की कोशिश की जाती है, तो कभी हरिजन कह कर अपमानित किया जा रहा है, मंत्री जी अच्छी तरह से जानते हैं कि पूर्ववर्ती छग राज्य के मंत्री केदार कश्यप बार बार अनुसूचित जाति में शामिल करने अनुशंसा कर केन्द्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को भेजते रहे, वहां बार बार खारिज होता रहा है। छग में भाजपा की सरकार थी और केन्द्र में भी भाजपा सरकार रहने के बावजूद भी माहरा जाति को अनुसूचित जाति में अधिसूचित नहीं करा पाये हैं, वहीं कांग्रेस पार्टी विपक्ष में रह कर माहरा समाज के साथ खड़े होने का बहुत ढोंग करके माहरा समाज के बड़े वोट बैंक को बस्तर संभाग में अपने पक्ष में करने में कामयाब हुए, जिससे सभी 12 विधानसभा सीट जीत कर राज्य में सत्ता में काबिज होते ही माहरा समाज के मांग पर अपनी रूख़ बदले हैं। मंत्री कवासी लखमा बस्तर के वरिष्ठ नेता हैं, उनके _कथनी_ और करनी में अंतर होगी हम कल्पना नहीं किए थे।
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