Breaking

अपनी भाषा चुने

POPUP ADD

सी एन आई न्यूज़

सी एन आई न्यूज़ रिपोर्टर/ जिला ब्यूरो/ संवाददाता नियुक्ति कर रहा है - छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेशओडिशा, झारखण्ड, बिहार, महाराष्ट्राबंगाल, पंजाब, गुजरात, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटका, हिमाचल प्रदेश, वेस्ट बंगाल, एन सी आर दिल्ली, कोलकत्ता, राजस्थान, केरला, तमिलनाडु - इन राज्यों में - क्या आप सी एन आई न्यूज़ के साथ जुड़के कार्य करना चाहते होसी एन आई न्यूज़ (सेंट्रल न्यूज़ इंडिया) से जुड़ने के लिए हमसे संपर्क करे : हितेश मानिकपुरी - मो. नं. : 9516754504 ◘ मोहम्मद अज़हर हनफ़ी - मो. नं. : 7869203309 ◘ सोना दीवान - मो. नं. : 9827138395 ◘ आशुतोष विश्वकर्मा - मो. नं. : 8839215630 ◘ सोना दीवान - मो. नं. : 9827138395 ◘ शिकायत के लिए क्लिक करें - Click here ◘ फेसबुक  : cninews ◘ रजिस्ट्रेशन नं. : • Reg. No.: EN-ANMA/CG391732EC • Reg. No.: CG14D0018162 

Monday, July 26, 2021

श्रावण सोमवार का शुभारंभ आज से - अरविन्द तिवारी



नई दिल्ली -- इस वर्ष सावन का पवित्र महीना कल 25 जुलाई रविवार को "श्रवण नक्षत्र" एवं "आयुष्मान योग" से शुरू हो चुका है जो 22 अगस्त तक रहेगा। श्रावण मास में श्रवण नक्षत्र अति शुभ फल देने वाला होता है। श्रावण मास में खान-पान को लेकर  कुछ विशेष बातें बतायी गई हैं , जिनका पालन करना चाहिये ऐसा माना जाता है कि सावन में बैंगन , दूध आदि का सेवन नहीं करना चाहिये। इसके साथ ही भगवान शिव की पूजा के दौरान हल्दी का भी प्रयोग नहीं करना चाहिये। इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुये अरविन्द तिवारी ने बताया कि हिंदू धर्म में सावन महीने का विशेष महत्व होता है , क्योंकि यह महीना भगवान भोलेनाथ को अत्यंत ही प्रिय होता है। भगवान शिव का महीना होने के कारण पूरे माह में शिवजी की विशेष पूजा-आराधना और जलाभिषेक की जाती है। सावन में रूद्र का अभिषेक करने से सभी देवों का भी अभिषेक करने का फल उसी क्षण मिल जाता है। रुद्राभिषेक में सृष्टि की समस्त मनोकामनायें पूर्ण करने की शक्ति है अतः अपनी आवश्यकता अनुसार अलग-अलग पदार्थों से अभिषेक करके प्राणी इच्छित फल प्राप्त कर सकता है। यजुर्वेद में भगवान शिव का अभिषेक करने का फल बताया गया है। गन्ने के रस से शीघ्र विवाह श्री एवं धन प्राप्ति , शहद कर्जमुक्ति एवं पूर्ण पति का सुख , दही से पशुधन की वृद्धि , कुश एवं जल से आरोग्य शरीर , मिश्री एवं दूध से उत्तम विद्या प्राप्ति , कच्चे दूध से पुत्र सुख और गाय के घी द्वारा रुद्राभिषेक करने पर सर्वकामना पूर्ण होती है। भगवान रूद्र को भस्म , लाल चंदन ,रुद्राक्ष , आक का फूल , धतूरा फल , बिल्व पत्र और भांग विशेष रूप से प्रिय हैं अतः इन्ही पदार्थों से श्रावण सोमवार को शिवपूजन करना चाहिये। शिवभक्तों के लिये यह महीना अपने आराध्य देव की भक्ति और उनकी कृपा पाने के लिये विशेष होता है। इस माह में भोलनाथ की पूजा करने और शिवलिंग पर जल चढ़ाने से सभी तरह की मनोकामनायें अवश्य ही पूरी होती है। भगवान शिव को जल्द प्रसन्न करने के लिये महामृत्युंजय मंत्र सबसे प्रभावशाली मंत्र है , इस मंत्र का जाप करना फलदायी होता है। इसके अलावा शिव के इस अत्यधिक प्रिय श्रावण मास में शिव सहस्त्रनाम ,रुद्राभिषेक , शिवम हिमन्न स्त्रोत , महामृत्युंजय सहस्त्र नाम आदि मंत्रों का व्यक्ति जितना अधिक जाप कर सके उतना ही श्रेष्ठ होता है। सावन के महीने में आने वाले सोमवार व्रत का भी बहुत महत्व होता है। सोमवार का दिन भगवान शिव का माना गया है इसलिये इस दिन व्रत रखने और शिव मंदिर जाकर भोलेनाथ को जल व बिल्ब पत्र चढ़ाने की परंपरा है। श्रावण के महीने में काँवर यात्रा का आयोजन किया जाता है। जिसमें शिवभक्त प्रसिद्ध ज्योर्तिलिंग के दर्शन कर उन्हें गंगा जल अर्पित करते हैं। इस वर्ष कोरोना वायरस की रोकथाम के मद्देनजर बोल बम कांवर यात्रा पर रोक लगा दी गई है। सावन महीने में शिवभक्ति और ज्योर्तिलिंग के दर्शन करने से सभी तरह की मनोकामनायें पूरी होती है। भगवान शिव को समर्पित सावन माह जिसे श्रावण मास के रूप में भी जाना जाता है। श्रावण के महीने में पड़ने वाले सोमवारों का भी विशेष महत्व माना जाता है , इस महीने के दौरान भक्त प्रत्येक सोमवार को उपवास रखते हैं। समृद्ध और शांतिपूर्ण जीवन के लिये व भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिये उनकी पूजा करते हैं। इस वर्ष पूरे सावन महीने में चार श्रावण सोमवार पड़ रहे हैं , जिसमें पहला सोमवार आज 26 जुलाई को , दूसरा सोमवार-  02 अगस्त को , तीसरा सोमवार- 09 अगस्त को और श्रावण मास की चौथा एवं अंतिम सोमवार- 16 अगस्त को पड़ेगा।


भोलेनाथ को प्रिय है श्रावण मास


शिव को श्रावण मास इसलिए अधिक प्रिय है क्योंकि पौराणिक कथा के अनुसार जब सनद कुमारों ने महादेव से उनसे श्रावण मास प्रिय होने का कारण पूछा तो भगवान शिव ने बताया कि जब देवी सती ने अपने पिता दक्ष के घर में योग शक्ति से शरीर त्याग किया था , उससे पहले देवी सती ने महादेव को हर जन्म में पति के रूप में पाने का प्रण लिया था। अपने दूसरे जन्म में देवी सती ने पार्वती रूप में हिमालय राज के घर में पुत्री रूप में जन्म लिया। पार्वती ने युवावस्था के श्रावण मास में निराहार रहकर कठोर व्रत किया और उन्हें प्रसन्न कर विवाह किया। जिसके बाद से ही महादेव के लिये श्रावण मास विशेष प्रिय हो गया। इस माह पूर्णमा के दिन श्रवण नक्षत्र विद्दमान रहता है , इसी कारण इस माह का नाम श्रावण पड़ा। श्रावण मास का प्रत्येक दिन शिव पूजा के लिये विशिष्ट है। श्रावण मास में भगवान शिव की पूजा में बिल्व पत्रों का विलक्षण महत्व है। भगवान शिव बिल्व पत्रों से अतिशीघ्र प्रसन्न होते हैं। पुराणों के अनुसार बिल्व पत्र के त्रिदल तीन जन्मों के पाप नाश करने वाले होते हैं। बिल्व पत्र के सम्बंध में विशेष ध्यान देने वाली बात यह है कि अन्य सभी पुष्प तो सीधी अवस्था में भगवान पर चढ़ाये जाते हैं , लेकिन एक मात्र बिल्व पत्र ही ऐसा है जो उल्टा रखकर भगवान शिव पर चढ़ाया जाता है। खास बात यह है कि बिल्व पत्र को पुनः धोकर भी चढ़ाया जा सकता है। इसमें किसी प्रकार का दोष नहीं लगता।

No comments:

Post a Comment

Please do not enter any spam link in the comment box.

Hz Add

Post Top Ad