Breaking

अपनी भाषा चुने

POPUP ADD

सी एन आई न्यूज़

सी एन आई न्यूज़ रिपोर्टर/ जिला ब्यूरो/ संवाददाता नियुक्ति कर रहा है - छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेशओडिशा, झारखण्ड, बिहार, महाराष्ट्राबंगाल, पंजाब, गुजरात, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटका, हिमाचल प्रदेश, वेस्ट बंगाल, एन सी आर दिल्ली, कोलकत्ता, राजस्थान, केरला, तमिलनाडु - इन राज्यों में - क्या आप सी एन आई न्यूज़ के साथ जुड़के कार्य करना चाहते होसी एन आई न्यूज़ (सेंट्रल न्यूज़ इंडिया) से जुड़ने के लिए हमसे संपर्क करे : हितेश मानिकपुरी - मो. नं. : 9516754504 ◘ मोहम्मद अज़हर हनफ़ी - मो. नं. : 7869203309 ◘ सोना दीवान - मो. नं. : 9827138395 ◘ आशुतोष विश्वकर्मा - मो. नं. : 8839215630 ◘ सोना दीवान - मो. नं. : 9827138395 ◘ शिकायत के लिए क्लिक करें - Click here ◘ फेसबुक  : cninews ◘ रजिस्ट्रेशन नं. : • Reg. No.: EN-ANMA/CG391732EC • Reg. No.: CG14D0018162 

Monday, July 26, 2021

काकतीय रुद्रेश्वर मंदिर यूनेस्को की विरासत में शामिल



अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट 


पेरिस -- अंतर्राष्ट्रीय संगठन यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थलों की सूची में तेलंगाना स्थित काकतीय रुद्रेश्वर (रामप्पा मंदिर) मंदिर को शामिल किया है , यूनेस्को ने इस संबंध में रविवार को घोषणा की है। तेलंगाना के वारंगल (मुलुगू) जिले के हनमाकोंडा (पालमपेट) घाटी स्थित शिव को समर्पित मंदिर के चयन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बधाई देते हुये लोगों से दर्शन करने की अपील की है। गौरतलब है कि  भगवान शिव का यह इकलौता मंदिर है जिसे इसके शिल्पकार रामप्पा के नाम से भी जाना जाता है। इसे थाउजेंड पिलर मंदिर यानि सौ खंभों वाला मंदिर भी कहा जाता है। काकतीय वंश के महाराजा गणपति देव ने इस मंदिर का निर्माण 12वीं सदी में करवाया था। इस मंदिर को बनने में चालीस साल का समय लगा था। छह फीट ऊंचे प्लेटफार्म पर बने इस मंदिर की दीवारों पर महाभारत और रामायण के दृश्य उकेरे हुये हैं। यह प्रदक्षिणा पथ से घिरा हुआ है। मंदिर में भगवान शिव के वाहन नंदी की नौ फीट ऊंची विशाल मूर्ति भी है , शिवरात्रि और श्रावण के महीने में यहां काफी श्रद्धालु पहुंचते हैं। मंदिर के शिल्पकार रामप्पा के काम को देखकर महाराजा इतने प्रसन्न हुये कि उन्होंने मंदिर का नाम ही रामप्पा के नाम पर रख दिया। माना जाता है कि इस मंदिर के दौरान बने अनेक मंदिर खंडहर में बदल गये हैं , लेकिन इस मंदिर को कई प्राकृतिक आपदाओं के बाद भी कोई नुकसान हीं पहुंचा है इसलिये इस मंदिर को इसकी मजबूती की वजह से भी जाना जाता है। इस विषय पर कई बार शोध भी हो चुके हैं। पुरातत्व बैज्ञानिकों ने जब मंदिर के ईंट पत्थरों की जांच की तब पता चला कि इस मंदिर को तैरने वाले ईंट पत्थरों से बनाया गया है। इस वजह से इसके पत्थर हल्के और कम टूटते हैं। लेकिन अभी भी ये रहस्य बना हुआ है कि ये पानी में तैरने वाले पत्थर कहां से आये ? वर्ष 1163 में काकतिय नरेश राजा रूद्र देव द्वारा निर्मित यह मंदिर स्थापत्य कला का बेजोड़ नमूना है। इसका प्रवेश द्वार , गुम्बद , शिलालेख सहित कई चीजें आकर्षण का केंद्र है। यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल होने से इसका रख रखाव और बेहतर तरीके से होगा , साथ ही मंदिर अब श्रद्धालुओं के लिये भी एक बड़ा विकल्प होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंदिर के चयन पर खुशी जताते हुये लोगों को (खासतौर से तेलंगाना के लोगों को) बधाई दी है। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा कि रामप्पा मंदिर महान काकातयी राजवंश के अप्रतीम कला का शानदार नमूना है। मैं आप सभी से अपील करता हूं कि इस सुंदर मंदिर के दर्शन कर इसकी महानता का अनुभव करें।

No comments:

Post a Comment

Please do not enter any spam link in the comment box.

Hz Add

Post Top Ad