*आज होगी भगवान गणेश जी की महाआरती*
*भगवान वामन देवता जी एवं भगवान विश्वकर्मा का जन्मोत्सव मनाया जायेगा, साथ ही हरि इच्छा भोग लगाये जायेगे*
*दमोह।* स्थानीय फुटेरा वार्ड नं. 4 में अभिषेक जन जागृति समाज कल्याण समिति के द्वारा प्रतिवर्षानुसार इस वर्ष भी *भगवान गणेश, कार्तिके, शिव, हनुमान, नंदी, वामन देवता जी, विश्वकर्मा भगवान की भव्य महाआरती का आयोजन किया जायेगा।*
जिसमें *पंडित आशुतोष गौतम (छोटू ज्योतिषाचार्य)* ने बताया कि दिनांक 17 सितम्बर 2021 दिन शुक्रवार को भगवान गणेश जी की महाआरती की जायेगी।
और बताया कि डोल ग्यारस पर्व हिन्दू धार्मिक ग्रंथों और मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु करवट बदलते हैं इसीलिए यह परिवर्तनी एकादशी भी कही जाती है। इसके अतिरिक्त यह एकादशी श्पद्मा एकादशी और जलझूलनी एकादशी के नाम से भी जानी जाती है। इस दिन को व्रत करने से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है।
क्यों और कब मनाई जाती हैं डोल ग्यारस पंडित आशुतोष गौतम (छोटू ज्योतिषाचार्य) ने बताया कि डोल ग्यारस पर्व भादौ मास के शुक्ल पक्ष के 11 वें दिन मनाया जाता है। कृष्ण जन्म के 11 वें दिन माता यशोदा ने उनका जलवा पूजन किया था। इसी दिन को डोल ग्यारस के रूप में मनाया जाता है। जलवा पूजन के बाद ही संस्कारों की शुरुआत होती है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को डोल में बिठाकर तरह तरह की झांकी के साथ बड़े ही हर्षोल्लास के साथ जुलूस निकाला जाता है। इस दिन भगवान राधा कृष्ण के नयनाभिराम विद्युत सज्जित डोल निकाले जाते हैं। इस दिन भगवान कृष्ण के बालरूप का जलवा पूजन किया गया था। माता यशोदा ने बालगोपाल कृष्ण को नए वस्त्र पहनाकर सूरज देवता के दर्शन करवाए तथा उनका नामकरण किया। इस दिन भगवान कृष्ण के आगमन के कारण गोकुल में जश्न हुआ था। उसी प्रकार आज भी कई स्थानों पर इस दिन मेले एवं झांकियों का आयोजन किया जाता है। माता यशोदा की गोद भरी जाती है। कृष्ण भगवान को डोले में बिठाकर झांकियां सजाई जाती हैं। डोल ग्यारस के दिन भगवान विष्णु के वामन अवतार की भी पूजा की जाती है, क्योंकि इसी दिन राजा बलि से भगवान विष्णु ने वामन रूप में उनका सर्वस्व दान में मांग लिया था एवं उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर अपनी एक प्रतिमा राजा बलि को सौंप दी थी, इसी वजह से इसे श्वामन ग्यारस भी कहा जाता है।
महत्व पंडित आशुतोष गौतम (छोटू ज्योतिषाचार्य) ने बताया कि डोल ग्यारस के दिन व्रत करने से व्यक्ति के सुख-सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है। डोल ग्यारस के विषय में यह भी मान्यता है कि इस दिन माता यशोदा ने भगवान श्रीकृष्ण के वस्त्र धोए थे। इसी कारण से इस एकादशी को जलझूलनी एकादशी भी कहा जाता है। इसके प्रभाव से सभी दुखों का नाश होता है। इस दिन भगवान विष्णु एवं बालकृष्ण के रूप की पूजा की जाती है जिनके प्रभाव से सभी व्रतों का पुण्य मनुष्य को मिलता है। जो मनुष्य इस एकादशी को भगवान विष्णु के वामन रूप की पूजा करता है, उससे तीनों लोक पूज्य होते हैं।
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