मां के बिना जीवन की परिकल्पना ही नही - अरविन्द तिवारी
(आज मातृ दिवस विशेष)
जांजगीर चांपा - समाज में माँ का प्रभाव बढ़ाने और उनके प्यार , त्याग सेवा , उनकी अतुलनीय योगदान के लिये मदर्स डे (मातृदिवस) मनाया जाता है। पूरे विश्व के विभिन्न देशों में अलग-अलग तारीखों पर हर साल मातृदिवस को मनाया जाता है। कई देशों में मार्च महीने में भी मदर्स डे मनाया जाता है। भारत में इसे हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को मनाया जाता है , जो आज है। हालांकि मां के लिये तो हर दिन एक दिन जैसा ही होता है इसलिये मां के लिये कोई विशेष दिन नहीं है । लेकिन अंग्रेज इसे बनाकर चले गये तो भारतीय इस परंपरा को आगे बढ़ा रहे हैं और आज का दिन माँ को प्यार और सम्मान जताने का दिन है। माँ एक अनमोल इंसान के रूप में होती है जिसके बारे में शब्दों से बयाँ नहीं किया जा सकता है। जिस ममतामयी , करूणामयी , त्यागमयी मां ने मुझे इस संसार में लाया है , मातृदिवस पर मैं उस मां के बारे में क्या लिख सकता हूं ? जिस मां ने स्वयं मुझे लिखा है और मुझे लिखना सिखाया है उस मां पर कुछ भी लिखना यानि सूर्य को दीपक दिखाने के समान है। फिर भी एक लेखक होने के नाते उन पर दो चार लाईन लिखने की कोशिश करता हूं।ऐसा कहा जाता है कि भगवान हर किसी के साथ नहीं रह सकता इसलिये उसने माँ को बनाया । माँ हमारे जीवन की हर छोटी बड़ी जरूरतों का ध्यान रखने वाली और उन्हें पूरा करने वाली देवदूत होती है। कहने को वह इंसान होती है, लेकिन भगवान से कम नहीं होती।वहीं मन्दिर है, वही पूजा है और वही तीर्थ है। माँ के बारे में जितना लिखा जाये उतना ही कम है। ममत्व एवं त्याग घर ही नहीं, सबके घट को उजालों से भर देता है. मां का त्याग, बलिदान, ममत्व एवं समर्पण अपनी संतान के लिए इतना विराट है कि पूरी जिंदगी भी समर्पित कर दी जाये तो मां के ऋण से उऋण नहीं हुआ जा सकता है. संतान के लालन-पालन के लिये हर दुख का सामना बिना किसी शिकायत के करने वाली मां के साथ बिताये दिन सभी के मन में आजीवन सुखद व मधुर स्मृति के रूप में सुरक्षित रहते हैं। इस दुनियां में मां से खूबसूरत शब्द और कुछ नहीं है। मां के बिना इस दुनियां में हमारा कुछ भी अस्तित्व नहीं है क्योंकि हम सभी को जन्म देने वाली मां ही होती है। मां का स्थान हम सभी के जीवन में सबसे ऊपर और खास होता है। मां के प्यार और त्याग का एहसान हम कभी उसे चुका नहीं पायेंगे। मां का दर्जा भगवान से भी ऊपर माना गया है। मां हम सभी के जीवन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। मां के बिना जीवन की कल्पना भी अधूरी है। मां भगवान की बनायी एक सुंदर रचना है जो अपने बच्चे को जीवन भर नि:शर्त प्यार और सहयोग देती रहती है। मां और बच्चे के रिश्ते को दुनियां का सबसे खूबसूरत और अनमोल रिश्ता माना जाता है। माँ के बिना जीवन की परिकल्पना भी नहीं की जा सकती। यदि हम इस दुनियां में आये हैं तो केवल मां की वजह से। मां के गर्भ के बिना कोई जन्म नहीं ले सकता। नौ माह तक गर्भ में रखने और प्रसव की पीड़ा झेलने के बाद जब शिशु का जन्म होता है तो वो पल हर मां के लिये सबसे खुशनुमा होता है। मां से बढ़कर दुनियां में कोई नही होता , जो सुकुन मां की गोद में मिलता है वो स्वर्ग में भी नहीं मिल सकता। जब मां पहली बार अपने बच्चे को अपनी गोद में लेती है और उसे अपने सीने से लगाती है उस फल को कोई भी शब्दों में बयां नहीं कर सकता। मां का प्यार से माथे को चूमना किसी ताकत से कम नहीं होता। वो मां ही होती है जो अपने हाथों से बच्चों काकोमल हाथ पकड़कर उसे चलना सिखाती है , अपने हाथों से उसे खिलाना सिखाती है। अपने बच्चों के पहनावे से लेकर उसकी शिक्षा तक की जिम्मेदारी एक मां से बढ़कर कोई नही निभा सकता। किसी के आगे बढ़ने में उसकी मां का हाथ अवश्य होता है। मां और बच्चे का रिश्ता इस दुनियां में सबसे खूबसूरत और अनमोल है। बच्चा दर्द में होता है तो तकलीफ मां को होती है , वो मुस्कुराता है तो खुश मां होती है। मां अपने बच्चों की आंखों में एक बूंद भी आंसू बर्दाश्त नहीं कर सकती , इसीलिये मां का स्थान सर्वोच्च है। मां खुद से पहले अपने बच्चों के बारे में सोचती है। अपनी पसंद , नापसंद सब भुलाकर अपने बच्चों के चेहरे पर मुस्कान देखना चाहती है। मां के प्यार , त्याग , समर्पण को शब्दों में बताना आसान नहीं है। मां सिर्फ़ एक शब्द नहीं बल्कि एहसास है। मां का जीवन त्याग , प्रेम और देखभाल जैसी चीजों के बीच होता है। एक मां जिंदगी में कई फर्ज , कई रिश्ते बिना किसी स्वार्थ के निभाती है। मां का दर्जा भी काफी ऊपर माना जाता है। मां वो होती है जो अपना हर दर्द , अपनी हर तकलीफ़ को नजर अंदाज कर केवल अपने परिवार , अपने बच्चों के लिये जीती है। मां निस्वार्थ भाव से अपने बच्चों से प्यार करती है , अपने पति की देखभाल करती है , घर की देखरेख करती है और बिना किसी छुट्टी के पूरी जिंदगी काम भी करती है। मां अपना सम्पूर्ण जीवन बच्चों के लिये समर्पित कर देती है , उनका प्यार हमेशा बिना शर्त के पूर्ण रूप से शुद्ध होता है। मां के लिये कोई भी शब्द , लेख या उपाधि कम होगी। उनके प्यार और समर्पण को जिंदगी लगाकर भी जताया नहीं जा सकता है। वैसे तो प्रतिदिन हमें उनकी अतुलनीय योगदान को याद कर नतमस्तक होनी चाहिये , मां के प्रति कर्त्तव्यों को हमें कभी भूलना नहीं चाहिये। मां के लिये एक दिन देना कुछ भी नही है , बल्कि हर दिन मातृदिवस होनी चाहिये। ऐसा माना जाता है कि वर्ष 1914 में अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक कानून पास किया था जिसके मुताबिक मई के महीने की दूसरी रविवार को मातृ दिवस मनाया जायेगा। तब से भारत समेत दुनियां के कई देशों में इसे मनाया जाने लगा। इस दिन दुनियां भर में लोग अपनी माताओं का सम्मान करते हैं , उनके प्रति अपना प्यार प्रकट करते हैं, उन्हें तोहफे देते हैं और उनके लिये इस दिन को खास बनाने की हर एक कोशिश करते हैं।
No comments:
Post a Comment
Please do not enter any spam link in the comment box.