Breaking

अपनी भाषा चुने

POPUP ADD

सी एन आई न्यूज़

सी एन आई न्यूज़ रिपोर्टर/ जिला ब्यूरो/ संवाददाता नियुक्ति कर रहा है - छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेशओडिशा, झारखण्ड, बिहार, महाराष्ट्राबंगाल, पंजाब, गुजरात, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटका, हिमाचल प्रदेश, वेस्ट बंगाल, एन सी आर दिल्ली, कोलकत्ता, राजस्थान, केरला, तमिलनाडु - इन राज्यों में - क्या आप सी एन आई न्यूज़ के साथ जुड़के कार्य करना चाहते होसी एन आई न्यूज़ (सेंट्रल न्यूज़ इंडिया) से जुड़ने के लिए हमसे संपर्क करे : हितेश मानिकपुरी - मो. नं. : 9516754504 ◘ मोहम्मद अज़हर हनफ़ी - मो. नं. : 7869203309 ◘ सोना दीवान - मो. नं. : 9827138395 ◘ आशुतोष विश्वकर्मा - मो. नं. : 8839215630 ◘ सोना दीवान - मो. नं. : 9827138395 ◘ शिकायत के लिए क्लिक करें - Click here ◘ फेसबुक  : cninews ◘ रजिस्ट्रेशन नं. : • Reg. No.: EN-ANMA/CG391732EC • Reg. No.: CG14D0018162 

Saturday, May 14, 2022

राष्ट्रीय सेमिनार का अपोलो कॉलेज अंजोरा दुर्ग में शिक्षा के वर्तमान और भविष्य पर लंबे समय तक कोविड का प्रभाव: NEP- 2020 के विशेष संदर्भ में चुनौतियां और अवसर विषय पर हुआ आयोजन







महेंद्र शर्मा बंटी छ्त्तीसगढ़ रिपोटर--हेमचंद यादव विश्वविद्यालय दुर्ग एवं अपोलो कॉलेज अंजोरा के संयुक्त तत्वाधान में विषय विशेषज्ञ डॉ. जवाहर सूरी शेती (एडवाइजर इंडिया एंड यू.एस.ए गवर्नमेंट एंड मोटिवेशनल स्पीकर, डॉ. पार्थसारथी मलिक हेड ऑफ डिपार्टमेंट शिक्षा विभाग गंगाधर मेहर विश्वविद्यालय संबलपुर, डॉ. उपेंद्र उपाध्याय प्रिंसिपल भारती कॉलेज ऑफ एजुकेशन रांची झारखंड, डॉ. संबित पाली गुरु घासीदास विश्वविद्यालय सहा. अध्यापक सेंट्रल यूनिवर्सिटी बिलासपुर, डॉ.अमूल्य कुमार आचार्य हेड ऑफ डिपार्टमेंट एजुकेशन (फकीर मोहन विश्वविद्यालय) बालासोर, उड़ीसा, डॉ.आनंद मोय प्रिंसिपल शिक्षा महाविद्यालय गिरिडीह झारखंड, की मुख्य आतिथ्य एवं विषय विशेषज्ञ व्याख्यान के रूप में संपन्न हुआ l

राष्ट्रीय सेमिनार में  विजय मानिकपुरी शोध छात्र, (शासकीय जे. योगानंदम छत्तीसगढ़ महाविद्यालय रायपुर, छत्तीसगढ़) द्वारा अपना रिसर्च( शोध प्रपत्र)

नीति,नियति, और नियत, 

 विषय पर प्रस्तुत करते हुए कहा कि

नई शिक्षा नीति 2020 को जमीन पर उतारने का काम प्रारंभ हो चुका है। इस क्रम में सभी राज्य कार्य में लग गए हैं। नई शिक्षा नीति का सिद्धांत कहता है कि बच्चे तर्क संगत सोच वाले अच्छे इंसान बने, जो उदेश्यपूर्ण कार्यों को करने में पूर्णतः दक्ष हों। पिछली शिक्षा नीति और वर्तमान शिक्षा नीति 2020 में प्रमुख बदलाव देखा जाए तो पूर्व में जो शिक्षा नीति चल रही थी, जिसे हम शिक्षा नीति 1986(1992में संशोधित) के नाते जानते हैं में 10 +2 व्यवस्था के अनुरूप  कक्षाएं चलती आ रहीं थी, किंतु अब नई शिक्षा नीति में 5+3+3+4 व्यवस्था के अनुसार कक्षाएं  चलेंगी।शुरुआत के जो 5 वर्ष होंगे वे पूर्व प्राथमिक कहलाएंगे और यही सबसे बड़ा परिवर्तन है। हम सब जानते हैं निजी स्कूलों में वर्षों से नर्सरी, kg1, kg2 उसके पश्चात कक्षा एक आदि कक्षाएं होती हैं एवं सरकारी स्कूलों में 6वर्ष आयु के बच्चों को कक्षा 1 से भर्ती लिया जाता रहा है।पूर्व प्राथमिक(नर्सरी,kg1,kg2 ) जैसी कोई व्यवस्था नहीं रही है, केवल आंगनबाड़ी में बच्चे जो कि 3 से 5 वर्ष तक के होते हैं वे आते रहे हैं किंतु किसी भी प्रकार से उद्देश्य निर्धारित कर उन्हें शिक्षा देने का कार्य पूर्व से अब तक नहीं किया गया है। किंतु नई शिक्षा नीति के अंतर्गत अब 3 से 6 वर्ष आयु वर्ग तक के बच्चों को तय नीति और उद्देश्यों द्वारा सीखने के प्रतिफलों के आधार पर शिक्षा प्रदान की जाए यह प्रयास किया जा रहा है। छत्तीसगढ में इसे "बालवाड़ी" नाम दिया गया है। जहां 3 से 6 वर्ष आयु वर्ग के बच्चे आयेंगे।

अब आते हैं समस्या पर। उपरोक्तानुसार स्पष्ट ही है की नई शिक्षा नीति बहुत देर से आई है, क्योंकि जब यही सब फॉलो करना था तो आज से डेढ़ दशक पूर्व ये कर लेना था। अब समस्या यहां पर यह है की जरूरी नहीं की बच्चों को 3 साल की उम्र से ही और अंग्रेजी माध्यम में ही शिक्षा दें तभी बड़ा परिर्वतन आएगा। बल्की आवश्यकता है वर्तमान युग के अनुसार शिक्षा देने की साथ ही बच्चों को निःशुल्क पाठ्यपुस्तक,स्कूल ड्रेस, मध्यान भोजन के साथ अन्य शिक्षण सामग्री देने की । निजी स्कूलों में माता पिता बच्चे को सब सुविधा के साथ भेजते हैं क्योंकि ज्यादातर पालक सक्षम होते हैं। निजी स्कूलों द्वारा डिजिटल माध्यमों का उपयोग काफी पहले से किया जा रहा है,किंतु वर्तमान में केंद्र से राज्य सरकारों तक कोई भी गंभीरता से इसे लेता नजर नहीं आ रहा।हाला कि NEP 2020 में स्थानीय भाषा में शिक्षा और डिजीटल एजुकेशन दोनो की बात की गई है लेकिन जमीन पर कुछ दिख नहीं रहा है। मै यहां पर पूर्व प्राथमिक और प्राथमिक स्तर की शिक्षा पर ही अपनी बात रख रहा हूं क्योंकि यही आधार है भविष्य का। एक बार बच्चे में अवधारणाओं के प्रति समझ बन गई तो आगे की राह आसान हो जाती है और उन बच्चों के आत्मविश्वास में भी बढ़ोतरी होती है इसलिए मैं वर्तमान युग के अनुरूप शिक्षा की बात कह रहा हूं, अगर अभी भी देर की गई तो विशेषकर ग्रामीण भारत के बच्चे पूरी योग्यता रखने के बावजूद पिछड़ जाएंगे। अंतिम में यही कहूंगा की नई शिक्षा नीति में सोच अच्छी है क्योंकि इसमें प्रारंभिक शिक्षा में स्थानीय भाषा को प्राथमिकता देनी की बात कही गई है, साथ ही डिजिटल माध्यम के उपयोग का भी जिक्र है किंतु इस सन्दर्भ में कोई प्राथमिकता या अनिवार्यता वाली बात नहीं है और ना ही बच्चों को आवश्यकता अनुसार सुविधा का जिक्र है जिससे किसी भी सरकार पर इस हेतु बजट देने की बाध्यता हो जो की इसके उद्देश्य अनुरूप सफलता में बड़ी बाधा है।

        गांव,गरीब, मजदूर और किसान औरअन्यों के भी बच्चों को शिक्षा में सम्पूर्ण सुविधा निःशुल्क मिले तभी हम विश्व पटल पर आगे आ सकते हैं, अन्यथा राष्ट्र विकास में निश्चित ही कमी रह जाएगी। भेदभाव युक्त व्यवसायिक वातावरण सिर्फ नुकसान ही करेगा देश का।

समापन राष्ट्रीय सेमिनार 2022 डॉ. पी.के. श्रीवास्तव (सेवानिवृत्त ,प्राचार्य) डॉ. शिशिर करना भट्टाचार्य प्राचार्य ,(डाइट दुर्ग) श्रीमती मंजूलता पसीने (पूर्व प्राचार्य) (डाइट, दुर्ग) डॉ. अमूल्य आचार्य( फकीर मोहन विश्वविद्यालय, बालासोर) डॉ. पार्थसारथी मलिक (विभागाध्यक्ष शिक्षक संबलपुर, विश्वविद्यालय) डॉ. संबित पाली( गुरु घासीदास केंद्रीय विश्वविद्यालय) श्री संजय अग्रवाल (प्रबंधन समिति, अपोलो ग्रुप आफ इंस्टीट्यूशन दुर्ग )डॉ. रचना पांडे (प्राचार्य (कनफ्लुएंस कॉलेज, राजनंदगांव )के मुख्य आतिथ्य में संपन्न हुआl

 जिसमें राजनांदगांव, दुर्ग ,भिलाई रायपुर, बिलासपुर सहित छत्तीसगढ़ और अन्य प्रदेश के शिक्षा महाविद्यालय एवं शैक्षिक संस्थान से प्रतिभागियों ने सेमिनार में सहभागिता दी l

No comments:

Post a Comment

Please do not enter any spam link in the comment box.

Hz Add

Post Top Ad