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Saturday, June 4, 2022

खैरागढ़ आकाशवाणी रायपूर में कबाड़ हो रहे 50 साल पहले के ग्रामोफोन रिकार्डस को विवि ने ग्रंथालय में संजोया, छात्रो सहित शोधार्थियों को गायन वादन के साथ लोक संगीत में मिल रहा अध्ययन में फायदा, आजादी के पहले के गाने भी संरक्षित, साढ़े तीन हजार से अधिक रिकार्डस लाए गए, आकाशवाणी प्रसारभारती से बाहर पूरे देश में केवल विवि के पास ऐसा संग्रह,


खैरागढ़  आकाशवाणी रायपूर में कबाड़ हो रहे 50 साल पहले के ग्रामोफोन रिकार्डस को विवि ने ग्रंथालय में संजोया, छात्रो सहित शोधार्थियों को गायन वादन के साथ लोक संगीत में मिल रहा अध्ययन में फायदा, आजादी के पहले के गाने भी संरक्षित, साढ़े तीन हजार से अधिक रिकार्डस लाए गए, आकाशवाणी प्रसारभारती से बाहर पूरे देश में केवल विवि के पास ऐसा संग्रह,

खैरागढ़ - 50 साल पहले ही चलन से बाहर हो चुके ग्रामोफोन रिकार्डस को पढ़ाई से जोड़ने संगीत विवि ने खास पहल की हैं । देश की आजादी के पहले से लेकर 50 साल पहले के गानों वाले ग्रामोफोन रिकार्डस को इंदिरा कला संगीत विवि ने प्रयास के बाद विवि के ग्रंथालय में स्थापित किया है। आकाशवाणी रायपुर में रेडियो के माध्यम से सुनाए जाने वाले तीन हजार से अधिक गानों के कबाड़ में रखें ग्रामोफोन गानों के रिकार्ड को कुलपति ममता चंद्राकर के विशेष प्रयास से संगीत विवि के ग्रंथालय स्थित आडियों विजूअल रूम में संग्रहित किया गया है । आकाशवाणी द्वारा 50 साल से अधिक पुरानें इन ग्रामोफोन रिकार्डो का डिजिटलाइजेशन कर इनको कबाड़ में डाल दिया गया था । आकाशवाणी की डायरेक्टर रह चुकी संगीत विवि की कुलपति ममता चंद्राकर ने संगीत विवि के ग्रंथालय में आडियो सेक् शन देख इन रिकार्डस को सहेजने का इरादा बनाया सप्ताह भर की विभागीय मेहनत के बाद आकाशवाणी रायपूर से 3730 नग पूराने ग्रामोफोन में लगाकर बजाए जाने वाले रिकार्ड / तवा / संगीत विवि लाए गए । इन रिकार्डस में क्लासिकल, सेमी क्लासिकल, शास्त्रीयसंगीत गजल सहित फिल्मी गानो बेजोड़ संग्रह है । बताया गया है पूरे देश में प्रसारभारती और आकाशवाणी केन्द्रों के बाहर ऐसे ग्रामोफोन का संग्रह केवल संगीत विवि में ही मौजूद है।


हर तरह के रिकार्ड शामिल, केवल विवि में इसे सुनने की सुविधा


आकाशवाणी रायपूर से लाए गए ग्रामोफोन रिकार्डस में हर वर्ग के रिकार्डस शामिल है। इसमें 16 आरपीएम से लेकर 33, 45, 78 आरपीएम समेत लांग प्ले रिकार्डस मौजूद है । एक गाने से 6 गानों के संग्रह वाले इन रिकार्डस को बजाने के यंत्र केवल संगीत विवि के आडियो सेंटर में ही मौजूद है । जिसके चलते यहाँ अध्ययनरत छात्रछात्राओं, शोधार्थियों, गायन, वादन, लोकसंगीत और संगीत संकाय के छात्रों को सुविधा मिल रही है । इन रिकार्डस में आजादी के पहले से भारत पाकिस्तान के प्रसिद्ध गायकों सहित समकालीन गायको की गायकी वाले गाने मौजूद है । संगीत विवि में आडियों में आकाशवाणी से मिले रिकार्डस के अलावा 5 हजार से अधिक रिकार्डस, 5 हजार कैसेट सहित हार्डडिस्क और इसे चलाने फोर ट्रेक, ग्रामोफोन के अमरीका निर्मित सहित तीन माडल मौजूद है ।


छात्रों को पढ़ाई में आसानी


संगीत विवि में 50 साल पहले बंद हो रहे ग्रामोफोन रिकार्डस से पढ़ाई में आसानी हो रही है। शास्त्रीय गायन, क्लासिकल, सेमी क्लासिकल के अलावा मशहूर गायकों, फिल्मी नगमों, गजलो, के संग्रह का लाभ छात्रों और शोधार्थियों को मिल रहा है। गायन वादन लोकसंगीत के विद्यार्थी सहित पीएचडी करने वाले छात्रो के शोधकार्य और अध्ययन में इसका उपयोग किया जा रहा है। आकाशवाणी रायपूर से ग्रामोफोन रिकार्डस के आने के बाद इसकी प्रदर्शनी भी विवि ने लगाई थी जिसमें राज्यपाल अनुसुईया उइके शिरकत कर चुकी है।                  आडियो सेक्शन को आनलाइन करने की तैयारी


इंदिरा कला संगीत विवि ग्रंथालय के आडियो विजूअल शाखा को आनलाइन करने की तैयारी में जूटा है। कोरोना के चलते इसमें थोड़ी देरी हुई । ग्रंथालय प्रभारी हेमंत सिंह ने बताया कि फिलहाल छात्र एवं शोधार्थियों को गायन वादन संगीत के लिए ग्रंथालय के आडियो शाखा में आकर पढ़ाई करनी पड़ती है। विवि इसके डिजिटलाइजेशन में जूटा है इसके बाद छात्रों और शोधार्थियों को आनलाइन घर बैठे ही आडियों विजुअल शाखा से गानों को सुनने मिल सकेगा । इसके लिए डिजिटलाइज कार्य अंतिम चरण में है ।                                                        आकाशवाणी के सदियों पुराने रिकार्डस को संग्रह का मकसद विद्यार्थियों, शोधार्थियों के अध्ययन में समुचित उपयोग है। आजादी के पहले के सालो में गायन वादन समेत कला संगीत की तमाम विधाओं का आकाशवाणी से कैसा प्रसारण होता रहा इसकी जानकारी सिर्फ कला ही नही सदियो पूरानी जीवन शैली के प्रति समझ विकसित करने में सहायक होगी


डा ममता चंद्राकर कुलपति इंदिरा कला संगीत विवि खैरागढ़


*सीएनआई न्यूज़ खैरागढ़ से सोमेश कुमार की रिपोर्ट*

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