रतनपुर में मोहर्रम की 10 तारीख को निकाली गई ताजिया
रतनपुर से ताहिर अली की रिपोट
रतनपुर**मोहर्रम की दसवीं तारीख को रतनपुर मुस्लिम समुदाय के द्वारा ताजिया निकाला गया ताजिया करैहापारा रतनपुर से निकलकर शहर का गस्त करते हुए बड़ी बाजार नूतन चौक पहुंचा जहां पर जियारत के लिए रखा गया था ताजिया की जियारत(दर्शन) करने लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा मान्यता है कि इनके दर्शन लाभ से जो भी बीमारियां होती है वह दूर हो जाती है और लोगों की किस्मत सवर जाती है
कर्बला के मैदान में शहीद होने वाले इमाम हसन और हुसैन की याद में ताजिया नुमा मकबरा बनाया जाता है लोग इनकी जियारत कर अपने इमाम हसन-हुसैन की याद को ताजा करते हैं माहे मोहर्रम मुस्लिम समुदाय के लिए नया साल होता है इसकी 1 तारीख से लेकर दसवीं तारीख तक तकरीर होती है
जिसमें कर्बला का जिक्र किया जाता है 10 रोज तक मुस्लिम समुदाय के द्वारा आम लंगर, कुरान खानी, फाथिया, सवारिया, ताजिया, इत्यादि प्रोग्राम कर अपने इमाम हुसैन की शहादत को याद करते है वक्त के साथ मोहर्रम में निकलने वाले ताजिया में कमी आई है पहले हर मोहल्ले से ताजिया निकल कर बाजार आती थी लेकिन अब यह विलुप्ती की कगार पर है, जो लोग बीमार और परेशान होते हैं वे लोग मन्नत भी रखते हैं मन्नत से बनवाया गया ताजिया को **मानता*** वाला ताजिया भी कहा जाता है, जिससे छोटे रूप में बनाया जाता है
वैसे रतनपुर की ताजिया का खासियत ही अलग है सलाई की लकड़ी और नक्काशी दार कागज से बनाया हुआ यह ताजिया आकर्षण का केंद्र होता है इतना खूबसूरत ताजिया और कहीं पर देखने को नहीं मिलता रतनपुर का ताजिया दूर-दूर तक मशहूर है जिसे देखने लोग बहुत दूर-दूर से आते हैं और इनकी दर्शन कर अपनी मनोकामना पूर्ण करते हैं





















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