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Thursday, August 18, 2022

ड्रीप सिंचाई अपनाकर किसान उन्नति की ओर हो रहे हैं अग्रसर —सरपंच पथर्री अजय श्याम...

ड्रीप सिंचाई अपनाकर किसान उन्नति की ओर हो रहे हैं अग्रसर —सरपंच पथर्री अजय श्याम...

—जिला गौरेला पेंड्रा मरवाही से सूरज यादव कि खास रिपोर्ट 

CNI NEWS जीपीएम/मरवाही क्षेत्र अपेक्षाकृत सिंचित जमीन कम ही है। यही कारण है, कि यहां किसान भगवान भरोसे ही रहते हैं।हालांकि अभी कुछ सालो से यहां किसानों के सिंचाई लिए अनेक प्रकार की योजनाओं व परियोजनाओं में काम चल रहा है। जिससे किसान धान के अतिरिक्त अन्य नकदी फसल ले सके और किसानों की आय में अतिरिक्त वृद्धि हो सके। छत्तीसगढ़ सरकार के इसी मनसानरुप सिंचाई विभाग द्वारा मरवाही क्षेत्र के पोड़ी व पथर्री गांव में 180 हेक्टेयर में परासी माइनर एरिगेसन प्रोजेक्ट नाम की योजना पायलट प्रोजेक्ट के रूप शुरू की गई है। छत्तीसगढ़ सरकार के सिंचाई विभाग के इस योजना को महिंद्रा कंपनी की ओर से सोन नदी में बने डेम से 100 एचपी का पंप लगाकर पोड़ी व पथर्री के किसानों को पाइप बिछाकर पानी दिया जा रहा है।यही नहीं किसानों के जमीन में ड्रिप लगाकर सिंचाई की वृहत सुविधा दी जा रही है। इसके लिए इस प्रोजेक्ट को 4 भागो में बाटकर तेजी से कार्य किए जा रहे हैं। इस प्रोजेक्ट द्वारा किसान सब्जी आदि लगाकर बड़ी मात्रा में फुनाफा कमाने की ओर अग्रसर हैं।यही नहीं पथर्री गांव में महिंद्रा कंपनी को और से किसानों को इस उन्नत खेती के विषय में जानकारी देने के लिए अनेक प्रकार की ट्रेनिंग भी दी जा रही है।जल की कमी वाले स्थानों के लिए ड्रिप इरिगेशन विधि उपयुक्त

मिली जानकारी अनुसार जल की कमी वाले स्थानों के लिए ड्रिप इरिगेशन विधि को काफी उपयुक्त माना गया है। दरअसल पानी का उपयोग अत्यधिक मात्रा में कृषि कार्य में ही होता है।लिहाजा पानी की सबसे अधिक बचत ड्रिप इरिगेशन विधि को अपनाकर किया जा सकता है। जानकारी देते हुए बताया गया कि ड्रिप सिंचाई व्यवस्था एक उन्नत तकनीक है। इससे हद तक पानी की बचत होती है। इस विधि से पानी बूंद-बूंद के रूप में सीधा पेड़ की जड़ों में पहुंचता है।

सरपंच पथर्री अजय श्याम—

परासी माइक्रो इरिगेशन प्रोजेक्ट बहुत ही एक अच्छा प्रोजेक्ट है इस सिंचाई परियोजना अपनाकर हमारे क्षेत्र के किसान धीरे-धीरे उन्नति की ओर बढ़ रहे हैं और अपना आर्थिक स्थिति सुधार रहे हैं।

ड्रिप सिंचाई सिस्टम से पौधों को जल की आवश्यकता के अनुसार पानी दिया जाता है या आवश्यकता मौसम और जलवायु के अनुरूप बदलती रहती है रिपेयर इक्वेशन सिस्टम को चलाने के लिए किसानों को प्रशिक्षण की जरूरत नहीं पड़ती पोड़ी में ड्रिप इरिगेशन सिस्टम से खेती कर रहे किसान इतवारा बाई मरावी ने बताया कि वह पहले सामान्य तरीके से पारंपरिक सिंचाई की पद्धतियों को अपनाते थे लेकिन इस सिस्टम ने उसकी खेती करने का तरीका बदल दिया इस सिस्टम से 1 हेक्टेयर में लाखों की बचत हो रही है इस किसान ने बरबटी और लौकी की खेती की है। उन्हें देखकर आसपास के किसान भी अब इस विधि को अपना रहे और लाभान्वित हो रहे हैं।

एसडीओ सिंचाई विभाग मरवाही

सिंचाई सुचारू रूप से चल रहा है जिससे किसानों को पर्याप्त पानी मिल रहा है

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