*सी एन आई न्यूज़ के लिए पुरुषोत्तम जोशी*
रायपुर -विश्वकर्मा जी सृजन, निर्माण, वास्तुकला, औजार, शिल्पकला, मूर्तिकला एवं वाहनों समेत समस्त सांसारिक वस्तुओं के अधिष्ठात्र देवता हैं।
हिन्दू धर्म में विश्वकर्मा को निर्माण एवं सृजन का देवता माना जाता है। मान्यता है कि सोने की लंका का निर्माण उन्होंने ही किया था।इनकी ऋद्धि सिद्धि और संज्ञा नाम की तीन पुत्रियां थीं , जिनमें ऋद्धि सिद्धि का विवाह भगवान श्री गणेश से हुआ था , तथा संज्ञा का विवाह महर्षि कश्यप और देवीअदिती के पुत्र भगवान सूर्यनारायण से हुआ था यमराज , यमुना, कालिंदी और अश्विनी कुमार इनकी ही संतानें हैं।
विश्वकर्मा जयंती पर सभी कामगार वर्ग के लोग, कुशल,कारीगर और फैक्ट्रीयों के मजदूर विश्वकर्मा जी की पूजा अर्चना करते हैं।इस अवसर पर सभी कारखानों में मशीनी उपकरणों की पूजा की जाती है और हवन किया जाता है।
आज 3 बजे भगवान श्री विश्वकर्मा पूजा महोत्सव एवं शोभा यात्रा का आयोजन श्री विश्वकर्मा समाज द्वारा किया गया। शोभायात्रा में ऊंट घोड़े एवं लोक नर्तक दल के साथ आतिशबाजी ने शोभायात्रा को और भी आकर्षक बना दिया। शोभायात्रा गाजे बाजे के साथ उत्साह पूर्वक निकाली गई।
शोभायात्रा में शामिल लोगों का जगह जगह शरबत, मिठाई और फल फ्रूट से स्वागत सत्कार किया गया।
आज की इस शोभायात्रा में बड़ी संख्या में महिलाएं बच्चे और युवा शामिल हुए।
शोभायात्रा श्री विश्वकर्मा मंदिर, ललिता चौक से प्रारंभ होकर राठौर चौक, रामसागर पारा, तेलघानी नाका से अग्रसेन चौक, आमापारा, आजाद चौक से तात्यापारा होते हुए विश्वकर्मा धर्मशाला बढ़ई पारा समाप्त हुई।
शोभायात्रा में बड़ी संख्या में समाज के विशिष्ठ जन उपस्थित रहे।
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