खैरागढ़ :-आत्महत्या करने वाला व्यक्ति जिस भी समाज का हो अगर उसे समाज संबल दें तो शायद आत्महत्या करने वाला व्यक्ति आत्महत्या नहीं करे-डॉक्टर दीप्ती धुरंधर
ये बात शुक्रवार को मनोरोग समाजिक कार्यकर्ता डॉक्टर दीप्ति धुरंधर ने विश्व आत्महत्या निषेध दिवस पर कही।विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पर
डा दीप्ति ने कहा कि वर्तमान युग में युवा पीढ़ी जो बेवजह अवसादों से ग्रसित होकर आत्महत्या जैसे कृत कर रहे हैं। इस युवा पीढ़ी तक समाज को पहुंचना होगा और परिवारजन से बात करके उनके अवसादों का कारण जानकर उसे संबल प्रदान करें।
आत्महत्या करना अपने आप से धोखा देने जैसा है, ये जीवन जो ईश्वर ने प्रदान किया है उस पर केवल व्यक्ति का ही अधिकार नहीं है बल्कि उस पर व्यक्ति से जुड़े परिवारजन और समाजजन का भी उतना ही अधिकार है। जीवन अनमोल है उसे आत्महत्या करके खोए नहीं।
छत्तीशगढ़ में लगातार बढ़ रही आत्म हत्या पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि हर आत्महत्या से पहले आत्महत्या करने वाला व्यक्ति कुछ ना कुछ संकेत जरूर देता है।ऐसा नहीं है कि हर आत्महत्या की कोशिश करने वाला व्यक्ति मरना ही चाहता है। असल में वह इस असमंजस में रहते हैं कि जीवन जीना चाहिए या नहीं, आत्महत्या का विचार आते ही उसको दूसरों के साथ साझा करने पर आत्महत्या करने की सम्भावना बहुत कम हो जाती है।
जब भी इंसान को कभी आत्महत्या का विचार आते ही उसको दूसरों के साथ साझा करना चाहिए इससे आत्महत्या करने की सम्भावना बहुत कम हो जाती है। क्योकि की इंसान को जिंदगी जीने के लिए ईश्वर ने बनाया है न की जाने के लिए ।
*सीएनआई न्यूज़ खैरागढ़ से सोमेश कुमार की रिपोर्ट*
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