*सी एन आई न्यूज़ के लिए पुरुषोत्तम जोशी*
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का रविवार को निधन हो गया,वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे।
उन्होंने झोतेश्वर स्थित परमहंसी गंगा आश्रम में अंतिम सांस ली।
स्वामी जी का अंतिम संस्कार सोमवार को 3.30 बजे पूरे सम्मान के साथ किया जाएगा।
सोमवार को आश्रम में ही समाधि दिलवाई जायेगी।
कुछ दिन पहले ही उन्होंने अपना 98वां जन्मदिवस मनाया था।
स्वामी स्वरूपानंद जी के पास बद्री आश्रम और द्वारका पीठ की
जिम्मेदारी थी।
शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती का जन्म दो सितंबर 1924 को मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री धनपति उपाध्याय और मां का नाम श्रीमती गिरिजा देवी था।
1950 में शारदा पीठ शंकराचार्य स्वामी ब्रह्मानंद सरस्वती से दंड संन्यास की दीक्षा ली और स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के नाम से जाने जाने लगे, उन्हें 1981 में शंकराचार्य की उपाधि मिली। शंकराचार्य ने रामसेतु की रक्षा, गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करवाने, श्रीराम जन्मभूमि की रक्षा, गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करवाने, के लिए लंबा संघर्ष किया।
गोरक्षा आंदोलन के प्रथम सत्याग्रही, रामराज्य परिषद के प्रथम अध्यक्ष रहे।
शंकराचार्य जी के निधन पर पूरे देश में शोक।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दुख जताया और उनके अनुयायियों के प्रति संवेदना प्रकट की।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल स्वामी श्री स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज के देवलोकगमन को दुखद बताया और श्रृद्धांजलि दी।
🙏🏻 सादर नमन 🙏🏻
🙏🏻 श्रृद्धांजलि 🙏🏻
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