सी एन आई न्यूज़ के लिए पुरुषोत्तम जोशी की रिपोर्ट
श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं को सुनाते हुए कंस वध और रुक्मणि विवाह प्रसंग सुनाया।
कथा वाचक पंडित धर्मवीर जी ने बताया कि कंस के श्रीकृष्ण को मारने के सारे प्रयास असफल होने के बाद अक्रूर जी को मथुरा में उत्सव के बहाने कृष्ण और बलराम को लेने भेजा गोकुल वासियों के मना करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण उन्हें समझाकर मथुरा पहुंचे जहां कंस कृष्ण और बलराम दोनों को मारने के लिए मदमस्त हाथी छोड़ देता है।
भगवान द्वारा उसका वध किया जाता है भगवान कंस को उसके सिंहासन से घसीटकर वध करते हैं।
उन्होंने कहा कि जब -जब धरती पर अधर्म बढ़ा है,तब-तब भगवान ने अवतार लेकर अपने भक्तों का कल्याण किया है। उन्होंने बताया कि किस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों का साथ दिया और धर्म की स्थापना की, भागवत कथा सुनने से पापों का नाश होता है। कथा भगवान के स्वरूप का ज्ञान कराती है।
भगवान श्रीकृष्ण ने 16 हजार कन्याओं से विवाह कर उनके साथ सुखमय जीवन बिताया।
श्रीकृष्ण -रुक्मणी के विवाह की प्रस्तुति ने सभी भक्तों का मन मोह लिया और सभी का आनंदित किया।
रुक्मणि विवाह पर सभी श्रद्धालुजन झूमते नाचते रहे।
कथा में विवाह का प्रसंग आते ही चारों तरफ़ से श्रीकृष्ण -रुक्मणि पर जमकर फूलों की बरसात हुई।
इस मौके पर कथा आयोजक जोशी परिवार के सभी सदस्य शामिल हुए, इनमें 4माह बालक से लेकर 90 साल के बुजुर्ग शामिल हुए।
कथा का श्रवण करने राजस्थान, महाराष्ट्र,म.प्र.छत्तीसगढ़ एवं स्थानीय भक्त शामिल हुए।
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