सी एन आई न्यूज़ के लिए पुरुषोत्तम जोशी
राजस्थान के दौसा जिले के पास स्थित है यह मंदिर, यहां पर दर्शन के लिए पूरे देश -विदेश से पहुंचते हैं श्रृद्धालु।
दो पहाड़ियों के बीच में स्थित यह मंदिर श्रृद्धालुओं की आस्था और श्रद्धा विश्वास का केंद्र है। यहां की शुद्ध जलवायु और पवित्र वातावरण श्रृद्धालुओं को आकर्षित करती है।
भारत में ऐसे अनेक मंदिर हैं जिनकी अपनी गाथा है। वैसे ही मेंहदीपुर के बालाजी की कुछ बातें ऐसी हैं जो रहस्यमयी है।
मेंहदीपुर बालाजी में प्रेतराज सरकार और भैरव बाबा ,, कोतवाल कप्तान,, की प्रतिमा विराजमान हैं।
यहां प्रतिदिन 2बजे पेशी होती है, जिसमें जिन लोगों पर ऊपरी हवा होती है उसे दूर करने के लिए कीर्तन होता है।
किंवदंतियों के अनुसार यहां का प्रसाद खाने और घर ले जाने से भी मना किया जाता है।
यहां बाल रूप में विराजमान हैं भगवान हनुमान जी। मंदिर के सामने भगवान श्री राम और माता सीता जी की मूर्ति है, जिसके हनुमान जी हमेशा दर्शन करते रहते हैं।
यहां बालाजी की छाती में एक छेद है, जिसमें से पानी बहता रहता है, इसे बालाजी का पसीना कहा जाता है।
यहां सभी प्रकार की नकारात्मक बाधाओं से मुक्ति मिल जाती है।
मेंहदीपुर बालाजी दर्शन करने श्रृद्धालुओं को सात्विक भोजन करना होता है, तथा मांस एवं शराब, लहसुन,प्याज की मनाही होती है।
यहां हर मंगलवार शनिवार को भक्तऔर श्रृद्धालुओ की बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।
यहां पहुंचने वाले भक्तों के लिए अनेक धर्म शाला और गेस्ट हाउस और अनेक होटल उपलब्ध रहतै है।
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