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Sunday, May 28, 2023

छात्रत्व को गौरवान्वित करने का मंच है प्रतियोगी परीक्षा - रतन लाल डांगी

 


अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट

रायपुर -  वरिष्ठ आईपीएस एवं राज्य पुलिस अकादमी चंदखुरी के निदेशक रतन लाल डांगी अपना कर्तव्य निभाते हुये भी समय - समय पर युवाओं को संदेश देते रहते हैं। इसी कड़ी में आज उन्होंने प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल होने वाले परीक्षार्थियों को संदेश देते हुये कहा हमारे निष्पादन / प्रदर्शन को बढ़ाता है किंतु उससे ज़्यादा तनाव प्रदर्शन को कम भी कर देता है। थोड़ा तनाव या डर आपको सतर्क बनाये रखता है तथा लक्ष्य को भूलने नहीं देता है। 'परीक्षा' इसी का नाम है। इसलिये इस संदर्भ में फिक्र करने की बजाए इसे सकारात्मक दिशा प्रदान कर जीत सुनिश्चित करनी चाहिये। याद रखें डर के आगे ही जीत है !

प्रतियोगी परीक्षा एक बड़ा मंच है। इसके लिये आप वर्षों अध्ययनरत रहते हैं। किंतु कई दफा बेहतर तैयारी के बावजूद परीक्षा भवन में जाने से पूर्व उन्हें लगता है कि जैसे वे सब कुछ भूल गये हों , उन्हें कुछ भी याद नहीं आ रहा हो तथा दिमाग सुन्न-सा हो रहा हो। ऐसी स्थिति में यदि आपका मित्र कोई प्रश्न पूछ लेता है और आप उसका सही जवाब नहीं दे पाते हैं तो आपका आत्मविश्वास न्यूनतम स्तर पर पहुँच जाता है। इस प्रकार की परिस्थिति छात्रों के लिये पीड़ादायक होती है। किंतु यहाँ सबसे मजेदार बात यह है कि इस अवधि में भूलना या याद ना आना महज एक तात्कालिक स्थिति होती है।  तात्कालिक रूप से परीक्षार्थियों को भले यह लगे कि वे सब कुछ भूल गये हैं , किंतु वास्तव में ऐसा कुछ भी नहीं होता। परीक्षार्थियों द्वारा पढ़ी गई समस्त चीज़ें उनके अवचेतन मन में जमा रहती हैं। अत्यधिक तनाव की वजह से भले वह ‘एक्टिव मोड’ में ना रहे लेकिन परीक्षा भवन में प्रश्न देखते ही आप पायेंगे कि वह जानकारी प्रश्नों से कनेक्ट होते ही कैसे सक्रिय हो जाती है।‌ फिर उन्हें सब कुछ स्वतः याद आने लगता है। इसलिये आपकों दिमाग से यह भ्रम निकाल देना चाहिये कि वे सब कुछ भूल गये हैं। याद रखें - ज्ञान कभी व्यर्थ नहीं जाता , ना ही उसका लोप होता है। बस सही रणनीति के ज़रिये उसे सक्रिय रखना होता है। स्मरण यह भी रखें कि प्रतियोगी परीक्षा सिर्फ छात्रों के ज्ञान और व्यक्तित्व का ही नहीं बल्कि उनके धैर्य , साहस और जुझारूपन का भी परीक्षण करती है। प्रतियोगी परीक्षा महज एक परीक्षा नहीं होती बल्कि छात्रत्व को गौरवान्वित करने तथा उनकी योग्यता-क्षमता-प्रतिभा को सम्मानित करने का एक मंच भी है। अतः इससे क्या घबराना ? अंत में उन्होंने सबको शुभकामनायें देते हुये धैर्य के साथ शांत मन से प्रश्नों पर फोकस करने की बात कही।

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