राजयोग हमें हलचल में भी अचल अडोल, शांत रहना सिखाता है–बीके विजयलक्ष्मी
सीएनआई न्यूज़ बालोद से उत्तम साहू
बालोद।जिले की सबसे बड़ी आध्यात्मिक संस्था प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय आत्मज्ञान भवन आमापारा बालोद के तत्वाधान में राजयोग के द्वारा अलविदा तनाव शिविर का आयोजन क्षेत्र में लगातार जारी है इसी क्रम में ग्राम परसोदा में भी अलविदा तनाव शिविर का आयोजन किया गया है। शिविर का उद्घाटन दीप प्रज्वलन कर किया गया।
मुख्य वक्ता के रूप में बीके रेणु दीदी ने खुशहाल जीवन जीने के लिए सिद्धांत बताए जिसमे से सबसे पहला सिद्धांत है राजयोग मेडिटेशन अगर हमें जीवन में तनाव से मुक्ति पाणी है और सच्ची शांति एवं खुशी का अनुभव करना है तो हमें राजयोग जीवन पद्धति को अपने जीवन ने धारण करना होगा अर्थात राजयोग के द्वारा हम जीवन जीने की कला तो सीखते ही है इसके साथ-साथ राजयोग एक जीवन शैली भी है जिसे हम अपने जीवन में धारण कर अपने जीवन को खुशनुमा बना सकते हैं ।उन्होंने दुसरा सुनहरा सिद्धांत बताया निरंतर गतिशील रहना चाहे कोई भी परिस्थिति क्यों ना आ जाए हमें हमेशा चलते रहना है जैसे तालाब का पानी रुका हुआ होता है इसलिए उसने धीरे-धीरे करके बदबू होते जाती है लेकिन नदी का पानी निरंतर बहने के कारण वह हमेशा नीठा रहता है ठीक उसी प्रकार हमें भी चाहे जीवन में कैसी भी परिस्थिति आ जाएं रुकना नहीं है क्योंकि रुकना मुर्दे की निशानी है और चलना ही जीवन है। उन्होंने तीसरा सिद्धांत बताया शुभ भावना एवं सहयोग की भावना अर्थात हमे अपने जीवन में कभी भी किसी से प्रतिस्पर्धा नहीं करनी है क्योंकि प्रतिस्पर्धा में हम स्वयं जीतना चाहते है और स्वयं को सबसे आगे रखना चाहते है इसका अप्रत्यक्ष रूप से मतलब यह हुआ कि हम औरो को हमेशा अपने पीछे देखना चाहते हैं तो जब हमारी मनःस्थिति ऐसी रहती है तो हमारे मन में किसी के लिए भी शुभ भावना नही आती है और यह प्रकृति और विज्ञान का नियम है कि हम जो कुछ भी देते है यह हमारे पास वापस लौटता है हम जो बीज बोते हैं कुछ समय पश्चात उसी की फसल हमे काटनी पड़ती है अगर हम करेले का बीज होते हैं तो फसल भी वैसे ही मिलेगी और हम आम का बीज बोते हैं तो हमे फसल में आम ही मिलेगा इसलिए हमारे जीवन में कर्म रूपी बीज शुभ भावना और शुभ कामना वाला होना चाहिए सहयोग वाला होना चाहिए ना कि प्रतिस्पर्धा वाला फिर उन्होंने चौथा सिद्धांत बताया कि वर्तमान मे जीये आज की युवा पीढ़ी अपने भविष्य के चिंतन में जी रही है और वृद्धजन भूतकाल में जी रहे है आज वर्तमान में कोई नहीं जी रहा है लेकिन अगर हमे अपने जीवन को अपने भविष्य को सही बनाना है तो हमे वर्तमान में जीना सीखना होगा वर्तमान में रहकर सकारात्मक चिंतन करके हम अपने भविष्य को सुधार सकते है और अपने जीवन को तनाव से मुक्त एवं खुशी शांति एवं प्रेम से भरपूर कर सकते है।
बॉक्स,,ब्रह्माकुमारीज की मुख्य संचालिका बीके विजयलक्ष्मी दीदी ने कहा कि विपरित परिस्थतियों में भी हम अपने मन की स्थिति को शांत व स्थिर रख सकते हैं। राजयोग हमें हलचल में भी अचल अडोल, शांत रहना सिखाता है। साधन हमे अल्पकाल सुख दे सकता है पर राजयोग के अभ्यास से हम सदा सुखी व संतुष्ट रहना सिख जाते हैं।
ये रहे उपस्थित
उद्घाटन अवसर पर सुशीला मरकाम सरपंच, भागवत साहू उपसरपंच, कौशिल्या सिन्हा, टेमन मरकाम, दिनेश्वरी पटेल, हसत कुमार साहू कोषाध्यक्ष, सखाराम सोनवानी पूर्व पंच भगवतीन बाई, भोज राम साहू पूर्व अध्यक्ष ग्रामीण साहू समाज, डॉ बिसंभर सिन्हा कोषाध्यक्ष छ प्रदेश सिन्हा समाज एवं गोपी साहू अधिवक्ता सहित संस्था के बीके भाई बहन उपस्थित रहे।
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