प्रथम चरण में कर्मचारियों और पेंशनरों के विरोध में जाने की रिपोर्ट से डीए घोषणा पर मजबूर हुए मुख्यमंत्री-- वीरेन्द्र नामदेव
मुख्य सचिव ने कर्मचारी व पेंशनर संघों से झूठ बोला
रायपुर । छत्तीसगढ़ में लगातार पांच साल तक महंगाई भत्ता के लिए तरसाने वाली छत्तीसगढ़ सरकार एक बार फिर से विधानसभा चुनाव में आचार संहिता लागू होने के बहाने केंद्र सरकार द्वारा जुलाई 23 से घोषित 4%प्रतिशत डीए/डीआर देने में पूर्ववत विलम्ब कर एरियर हजम करने की पूरी तैयारी में थे।
इसी बीच शंका है कि विधान सभा चुनाव में 7 नवंबर 23 को 20 सीटों में हुए प्रथम चरण मतदान की रिपोर्ट ने जिसमें कर्मचारियों व पेंशनर्स द्वारा डीए/डीआर को लेकर नाराजगी व्यक्त करने की खबर ने मुख्यमंत्री को मजबूर कर दिया और उन्हें इस बारे में चुनाव आयोग से अनुमति लेने के लिए अधिकारियों को निर्देश देना पड़ा है ।जबकि एक अन्य चुनावी राज्य राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने ही इस बारे में अक्टूबर 23 में इसी आचार संहिता में ही आदेश जारी कर कर्मचारियों की समर्थन पाने के लिए कवायद पूरी कर चुके है।
उक्त जानकारी देते हुए जारी विज्ञप्ति में छत्तीसगढ़ राज्य संयुक्त पेंशनर फेडरेशन के प्रदेश संयोजक तथा भारतीय राज्य पेंशनर्स महासंघ छत्तीसगढ़ के प्रांताध्यक्ष वीरेन्द्र नामदेव ने आगे बताया है कि केंद्र सरकार द्वारा डीए/डीआर की घोषणा के बाद कर्मचारी और पेंशनर संगठनों ने मुख्य सचिव से भेंट कर ज्ञापन में राजस्थान का हवाला देकर शीघ्र छत्तीसगढ़ में इसे लागू करने हेतु मांग की। मुख्यसचिव ने भरोसा दिया था प्रयास करेंगे,चुनाव आयोग से अनुमति लेंगे परंतु आज दिनांक तक कुछ भी नहीं होने और मुख्यमंत्री द्वारा इस बारे में अधिकारियों को निर्देश देने की एक्स पोस्ट ने सिद्ध किया है कि मुख्य सचिव ने झूठ बोला और गुमराह किया है। जो एक जिम्मेदार अधिकारी के लिए अशोभनीय है।
जारी विज्ञप्ति में आगे बताया गया है कि ये आदेश दीपावली के पूर्व समय पर करने हेतु मुख्यमंत्री ने बिलकुल ध्यान नहीं दिया और ऐसा प्रतीत होता है कि राज्य के अधिकारियों द्वारा भी उन्हें अंधेरे में रखा गया है। इसका नुकसान चुनाव में कांग्रेस पार्टी को हो रहा है। कर्मचारियों और पेंशनरों में इसे लेकर नाराजगी स्पष्ट दिखाया दे रहा है।
वीरेन्द्र नामदेव
9826111421
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