भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए छत्तीसगढ़ के 11 सीटों के लिए अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए है।
प्रत्याशी चयन में कई तरह के समीकरण का समावेश है ।रायपुर के लगातार विधायक रहते आए और इस बार सर्वाधिक वोटो से जीत दर्ज किए बृजमोहन अग्रवाल को रायपुर सीट से प्रत्याशी बनाए जाने के पीछे भाजपा की गुटीय राजनीति ने भी काम किया है ।सवाल यह उठता है कि छत्तीसगढ़ की राजनीति से दूर करने के लिए ही कही बृजमोहन अग्रवाल को प्रत्याशी तो नही बनाया गया ? यदि ऐसा है तो परदे के पीछे कौन है? छत्तीसगढ़ भाजपा में भले ही बृजमोहन अग्रवाल सर्वमान्य नेता है लेकिन पार्टी की गुटीय राजनीति में उनके विरोधी नेता भी है ऐसा माना जा रहा है कि सारे विरोधी नेता बृजमोहन को दिल्ली शिफ्ट करने एकजुट हो गए है। साय मंत्रिमंडल में बृजमोहन अग्रवाल ही कद्दावर और अनुभवी मंत्री है ।उन्हे छत्तीसगढ़ की राजनीति से दूर करने पार्टी के कुछ नेता सफल हो गए है । साय मंत्रिमंडल में बृजमोहन अग्रवाल की जगह अब कौन लेगा यह बड़ा प्रश्न है।सवाल यह भी है कि रायपुर दक्षिण की जिम्मेदारी किसे दी जाएगी? पार्टी ने अपने तेज तर्रार नेत्री सरोज पांडेय को कोरबा लोकसभा सीट से टिकट देकर उन्हें राज्यसभा सदस्य की भरपाई कर दी है ।बिलासपुर लोकसभा सीट से भाजपा के नेताओ ने लगातार साहू प्रत्याशी देकर यह बता दिया है कि जातीय राजनीति के नाव में सवार हो चुनावी वैतरणी पार करने में ही भलाई है ।साहू के अलावा पार्टी के और भी प्रभावी और जीत सकने वाले नेता टिकट की दौड़ में थे।उनके उम्मीदों पर पानी फिर गया है ।एक बात और लोकसभा सीट के लिए लगातार मुंगेली जिले से ही प्रत्याशी घोषित करने से यह सवाल तो उठेगा ही कि क्या भाजपा के पास बिलासपुर जिले से योग्य और जितने वाला एक भी नेता नही है? तखतपुर के वर्तमान विधायक धर्मजीत सिंह को लॉरमी विधानसभा से हराकर संसदीय सचिव भी रहे तोखन साहू को भाजपा ने बिलासपुर सीट से प्रत्याशी बनाया है ।कांग्रेस भी यदि साहू प्रत्याशी घोषित करती है तो चुनाव रोचक और टक्कर वाला हो सकता है ।
भाजपा के घोषित प्रत्याशी
रायपुर बृजमोहन अग्रवाल
दुर्ग से विजय बघेल
कोरबा से सरोज पांडे
महासमुंद से रूप कुमारी चौधरी
जांजगीर से कमलेश जांगड़े
बस्तर से महेश कश्यप
राजनांदगांव संतोष पांडे
सरगुजा से चिंतामणि महाराज
बिलासपुर से तोखन साहू
रायगढ़ राधेश्याम राठिया
कांकेर भोजराज नाग
महासमुन्द रुपकुमारी चौधरी
पूरे छत्तीसगढ़ में यादव समाज की जनसंख्या लगभग 18 प्रतिशत है इस हिसाब से तो कम से कम एक सीट पर तो भाजपा को यादव समाज का उम्मीदवार घोषित करना चाहिए था जिसकी वजह से यादव समाज थोड़ा नाराज़गी जाता रहे हैं।
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