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दाहोद गुजरात के रोलिंग स्टॉक कारखान से
यहां अधिकारियों की मनमानी एवं हिटलर शाही चरम सीमा पर है। दाहोद में हमेशा ऐसे ऐसे अधिकारियो की नियुक्ति होती आई है, जिनका सर्विस रिकॉर्ड ख़राब होता है और यह अधिकारी दाहोद मे आने के बाद यहाँ के कर्मचारियो पर दबाव बना कर ज्यादा आउट टर्न निकलवाते हैं और अपना रिकॉड अच्छा करने के लिए दाहोद के कर्मचारियो पर हिटलर शाही कर मनमाना कानून लगाते हैं।
यहां ठेकेदार टेंडर के मुताबिक काम पूरा नहीं करता, तो उसका बकाया काम रेलवे कर्मचारियों से दबाव बनाकर कराते हैं और ठेकेदार का बिल पास कर देते हैं। इस दबाव के चलते अगर किसी कर्मचारी की तबियत खराब हो जाती है, तो कर्मचारी खुद की छुट्टी भरकर अपना इलाज करवाते हैं। तब भी यहां के अधिकारी इन कर्मचारियों की ऑनलाइन छुट्टी भी कई कई दिन तक पास नही करते हैं।
दाहोद गुजरात रोलिंग स्टॉक कारखाना के डीई श्री विकास गुप्ता जी तो हद ही पार कर रहे हैं। ये कर्मचारियों से अभद्र भाषा का प्रयोग कर मिस बिहेवियर से बात करते हैं।
यही हाल डिप्टी सीएमई साहब का भी है। यह तो ठेकेदार की गाड़ी का काम ठेकेदार नहीं करता है, तो रेलवे कर्मचारियों पर गुस्सा कर उन्हे सस्पेंड करने की धमकी देते हैं।
इन अधिकारियों की भाषा शैली को देखकर कोई भी यह नहीं कहेगा, कि ये पढ़े लिखे हैं। इनके जैसा व्यवहार तो कोई अनपढ़ व्यक्ति भी नहीं करता है।
इन गन्दी मानसिकता वाले अफसरों को दाहोद वर्कशॉप मे रखना गलत होगा। ऐसे अधिकारी ट्रेड यूनियन ओर एसोसिएशन को तो मानते ही नहीं हैं। बस अपनी मनमानी चला रहे हैं।
दाहोद कारखाने में बायोमेट्रिक सिस्टम को मजाक बना रखा है। यहां जब मर्जी आती है, तब चार बायोमेट्रिक सिस्टम करने के लिए लेटर निकाल देते हैं और जब मर्जी आती है तो किसी को एक और किसी को दो बायोमेट्रिक हाजरी लगाने को बोल देते हैं और किसी को एक भी नहीं। सारे नियम कानून केवल रेल्वे कर्मचारियों पर लागू होते हैं, बाकी ये पता नही कौन सा फैक्ट्री एक्ट पढ़ कर आये हैं।
जबकि रेल्वे बोर्ड की गईड लाईन है किसी भी कर्मचारी की छुट्टी एच एम आरएस पर किसी भी अधिकारी के द्वारा पेंडिंग नहीं होना चाहिए। पर दाहोद में तो अलग ही मनमानी चला रखी है। जब एक ऑन लाईन छुट्टी सेक्शन करने मे एक कम्प्यूटर का या मोबाइल का बटन दबाने मे इन्हें इतना परिश्रम लगता है, तो वहीं रेलवे कर्मचारी इनका वर्कटन निकालने में दिन रात अपना खून पसीना बहा कर दुगना वर्कटन निकालने का काम करते हैं।
यहां के कर्मचारी इनकी हिटलर शाही से इतना परेशान हो गया है, कि अब वह शिकायत करे भी तो किससे और इनकी सुनेगा भी कौन?
इन अफसरो के दुर्व्यवहार और तानाशाही से परेशान होकर कोई कर्मचारी या फिर कोई अन्य व्यक्ति ज्यादा दुखी होने से क़ानून अपने हाथ मे लेने को विवश न हो जाय, जिसका नतीजा या किसी अफसर के साथ कोई मार पीट ना हो जाय। इस बात की चिंता भी ट्रेड यूनियन और एसोसिएशन को है। जिससे दाहोद कारख़ाने का नाम खराब न हो
जीएम सर को इस बात पर विशेषकर ध्यान देना होगा, कि अब दाहोद मे 9000 एच पी लोको का निर्माण होगा ओर फोरनर गेस्ट भी दाहोद गुजरात काम करने व विजिट करने आते जाते रहेंगे, क्या ऐसे में इन अफसरों का यह अभद्र व्यवहार शोभा देगा ?
दाहोद गुजरात से पूनम प्रदीप प्रजापति कि रिपोर्ट
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