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Saturday, May 25, 2024

"मानव कल्याण और वैश्विक शांति का संदेश देते हैं बौद्ध धर्म के उपदेश : प्रो. गोवर्धन सूर्यवंशी" "बुद्ध जयंती पर सूर्यांश विद्यापीठ सिवनी में हुआ व्याख्यानमाला का आयोजन"

 "मानव कल्याण और वैश्विक शांति का संदेश देते हैं बौद्ध धर्म के उपदेश : प्रो. गोवर्धन सूर्यवंशी" 




"बुद्ध जयंती पर सूर्यांश विद्यापीठ सिवनी में हुआ व्याख्यानमाला का आयोजन" 


जांजगीर:- सूर्यांश विद्यापीठ, सूर्यांश प्रांगण सिवनी (नैला) में 23 मई 2024 को बुद्ध पूर्णिमा पर आयोजित व्याख्यानमाला में विद्यार्थियों को संबोधित करते उक्त कथन मुख्य वक्ता प्रो. गोवर्धन प्रसाद सूर्यवंशी ने कही। 



विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म तर्क करने की शक्ति प्रदान करते हुए बुद्धि के उपयोग का समर्थन कर धार्मिक कर्मकांड और कुरीतियों का विरोध करते हुए सरल जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है जिसमें बौद्धिकता, नैतिकता एवं आध्यात्मिकता को अंगीकार किया गया है। व्याख्यानमाला में विशिष्ट वक्ता के रूप में शुक्ला प्रसाद सूर्यवंशी, मोहरसाय खरसन एवं श्रीमती रजनीगंधा सूर्यवंशी मंचासीन थे। 


     व्याख्यानमाला को संबोधित करते हुए विशिष्ट वक्ता शुक्ला प्रसाद सूर्यवंशी ने कहा कि वर्तमान समय में बौद्ध धर्म के उपदेश अत्यंत प्रासंगिक है। जीवन में सुख-शांति और भाईचारा बहुत आवश्यक है जो पंचशील के सिद्धांत से संभव है जिसमें सत्य, अहिंसा, अस्तेय, अपरिग्रह और सभी प्रकार की नशा से विरत होने का भाव सम्मिलित है। विशिष्ट वक्ता श्रीमती रजनीगंधा सूर्यवंशी ने कहा कि वैश्विक शांति के लिए बुद्ध के सिद्धांतों का अनुसरण बहुत आवश्यक है। बौद्ध धर्म के पंचशील सिद्धांतों में सत्य, अहिंसा, अस्तेय जैसे प्रमुख बिंदुओं को शामिल किया गया है जो मानव कल्याण और विश्व शांति के लिए अत्यंत आवश्यक है।


      उक्ताशय की जानकारी देते हुए हरदेव टंडन ने बताया कि भगवान गौतम बुद्ध के पूजा अर्चना के साथ व्याख्यानमाला का शुभारंभ हुआ। व्याख्यानमाला का संचालन सूर्यांश विद्यापीठ के प्रशिक्षणार्थी रमेश कुमार सूर्यवंशी ने किया। व्याख्यानमाला में सरदेश कुमार लदेर, सुमन कुमार लदेर, वीरेंद्र पैगवार, कुलेश लदेर, नवीन सरवन, सियाराम साहू, सुनील ताम्रकार, श्रीसुधा खरसन, चैन कंवर, श्रुति खरसन एवं खुशबू नाज सहित बड़ी संख्या में प्रशिक्षणार्थी गण उपस्थित थे। व्याख्यानमाला में प्रशिक्षणार्थियों ने अपने-अपने विचार व्यक्त करते हुए इसे उपयोगी बताया। व्याख्यानमाला के अंत में मोहरसाय खरसन ने उपस्थित अतिथियों के प्रति आभार व्यक्त किया।


विक्रम कुमार सूर्यवंशी की रिपोर्ट

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