देवताओं को स्वर्ग में भी दुर्लभ है श्रीमद्भागवत कथा - पं० दिनेश दुबे
अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
जांजगीर चाम्पा - श्रीमद्भागवत समस्त वेदों और शास्त्रों का सार है। जब अनेकों जन्मों का पुण्योदय होता है तब हमें श्रीमद्भागवत कथा सुनने का अवसर मिलता है। यह कथा देवताओं को स्वर्ग में भी दुर्लभ है। इसलिये कथा शुरु होने से पहले उन्होंने अमृत के घड़े के बदले में उन्हें श्रीमद्भागवत कथा सुनने की इच्छा जतायी थी।
श्री मद्भागवत महापुराण की उक्त पावन कथा ब्राह्मण पारा चाम्पा स्थित मोहन द्विवेदी के निवास में भागवताचार्य पं० दिनेश कुमार दुबे (पुरगांव वाले) ने आज प्रथम दिवस सुनायी। भागवत महात्म्य कथा के अंतर्गत उन्होंने भक्ति एवं नारद संवाद विषय का वर्णन करते हुये आगे कहा भक्ति महारानी के दोनो पुत्र ज्ञान और वैराग्य जब वृँदावन में बेसुध पड़े थे तब वहाँ से गुजरते हुये नारदजी ने उनको समस्त शास्त्रों को सुनाया फिर भी उन्हें होश नही आया। और जब उनको श्रीमद्भागवत की कथा सुनायी गयी तब स्वयं भक्ति महारानी अपने दोनो पुत्रों ज्ञान और वैराग्य के साथ हरिर्नाम संकीर्तन करने लग गयी। व्यासाचार्य ने आगे कहा कि जब मनुष्य के जीवन मे दुख आता है और वह जीवन जीने की आशा छोड़ देता है तब भागवत की कथा मनुष्य को राह दिखाती है। जिस प्रकार ग्रीष्म काल के बाद वर्षा ऋतु के आगमन पर पूरी पृथ्वी हरी भरी हो जाती है, सूखे हुये पेड़ो में नये पत्ते निकलने लगते है, फूल खिलने लगते हैं उसी प्रकार श्रीकृष्ण और श्रीराम नाम की वर्षा से मानव जीवन की व्यथा , मानव जीवन का कष्ट समाप्त हो जाता है। तत्पश्चात श्रोताओं को आगे धुंधुकारी की कथा श्रवण कराते हुये उन्होंनें बताया कि धुंधुम कलहम कार्याति इति धुन्धकारिहि यानि जो कलह करे , निंदनीय और धृणित कार्य करे, दुसरों को कष्ट दे वास्तव में वही धुन्धकारी है। अगर ये कार्य मनुष्य करने लगे तो समझ जाना हमारे अन्दर धुन्धकारी प्रवेश कर चुका है और इसे समाप्त करने ने लिये श्रीकृष्ण नाम संकीर्तन की धारा अपने जीवन मे प्रवाहित कर लेने में ही जीव का कल्याण संभव है। गौरतलब है कि कोसा , कांसा और कंचन की नगरी चाम्पा में गोलोकवासी श्रीमति आशा द्विवेदी की स्मृति में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ का आयोजन किया गया है। इसके पहले आज नगर में भव्य कलश यात्रा निकाली गई , जिसमें सैकड़ों महिलायें सज धजकर सिर पर कलश धारण कर मंगल गीत गाती हुई नगर भ्रमण की। कलश यात्रा के कथास्थल पहुँचने पर मुख्य यजमानों ने भगवान के वांगमय स्वरूप श्रीमद्भागवत की आरती उतारी। इस कथा के मुख्य यजमान श्रीमति श्वेता जयप्रकाश द्विवेदी और आचार्य पं० वृंदा प्रसाद दुबे (अमोरा - महंत) हैं। यह देवदुर्लभ कथा प्रतिदिन दोपहर तीन बजे से हरि इच्छा तक चलेगी , जिसके अगले चरण में आज 20 सितम्बर शुक्रवार को परीक्षित श्राप और वाराह अवतार की कथा , 21 सितम्बर शनिवार को शिव चरित्र - ध्रुव चरित्र एवं जड़भरत की कथा , 22 सितम्बर रविवार को नरसिंह अवतार एवं समुद्र मंथन , 23 सितम्बर सोमवार को श्रीकृष्ण जन्म प्रसंग , 24 सितम्बर मंगलवार को रूखमणि विवाह , 25 सितम्बर बुधवार को सुदामा चरित्र , 26 सितम्बर गुरूवार को चढ़ोत्तरी के साथ कथा का विश्राम और 27 सितम्बर शुक्रवार को हवन - सहस्त्रधारा - कपिला तर्पण - ब्राह्मण भोज एवं यज्ञ का विसर्जन होगा। कथा आयोजक पं० मोहन द्विवेदी ने इस लोक मंगलकारी कल्याणमय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ में सभी को सपरिवार , इष्टमित्रों सहित पधारकर कथा श्रवण कर पुण्य के भागी बनने की अपील की है।
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