इतिहास बनाने ओर टूटे आस को जगाने खुद बेसहारा लेकिन अपने जैसे लोगों का सहारा बनी सरोजनी पटेल
ग्राम कुथुर जिला जांजगीर की सरोजनी पटेल अपने आप मे जीता जागता वर्तमान और इतिहास भी है हो अपना इतिहास स्वयं लिखना जानती और चाहती है ।
आइए जानते है इनके बारे मे..
सरोजनी पटेल जी का अध्ययन अपने ही ग्राम कुथुर में 8 वीं तक हुआ उसके बाद 10 वीं तक पड़ोसी ग्राम कूटरा मे हुआ वह गरीब परिवार से है उनकी माता जी 7 वीं में गुजर गई पिता जी नशे का शिकार होने के कारण आगे नही पढ़ा पाए और जल्दी में उनका शादी कर दिया गया जिससे उनका शादी हुआ उनका स्वयं का जीवन अस्त व्यस्त ड्रग्स अफीम के शिकार थे इस तरह उनका भी जीवन बर्बादी की ओर दिखने लगा महज़ एक साल ही शादी को हुए थे बेटी सरोजनी मां बनने वाली थी लेकिन व्यवस्था ऐसी थी की ससुराल मे रहना मुश्किल महसूस होने लगा उन्होंने ससुराल छोड़ कर मायके में रहने की योजना बनाई अब वह स्वयं एक मां के साथ साथ गांव के तथा आस पास के महिला समूहों को संचालित करती हैं 11 वर्ष से स्वयं के दम बल से अपना ओर परिवार का खर्चा उठाती है ब्यूटी पार्लर के साथ साथ समूह को भी संचालित करती है कमजोर और गरीब लोगो का मदद करती है उन्हे मोटिवेट करने का काम करती हैं अपने साथ कई लोगो का जीवन भी बदल चुकी है जो जीवन से परेशान थे लेकिन शासकीय सुविधा की कमी के कारण अभी तक सामने नहीं आ पाई है। कुछ वर्ष पहले ही सरोजनी के पिता जी का भी देहांत हो चुका है ।
उनको स्वयं की नही बल्कि लोगो की ज्यादा चिंता रहती है
हम सरकार से अपील करते हैं ऐसे बेसहारा ओर परिश्रमी लोगों को आगे बढ़ाने के लिए सरकार अवसर प्रदान करे ताकि वे एक मिसाल बन सके।
विक्रम कुमार सूर्यवंशी की रिर्पोट
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