नई दिल्ली/ एजेंसी
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि डिस्ट्रिक्ट ज्यूडिशियरी न्यायपालिका की रीढ़ की हड्डी है. उन्हें कमतर आंकना बंद करना करना चाहिए. CJI ने कहा कि जिला अदालतें ऐसी जगह हैं, जहां आम आदमी सबसे पहले न्याय की आस में आता है. ऐसे में हम उसे न्याय देकर समाज को एक पॉजिटिव मैसेज दे सकते हैं. लोगों को पता चलना चाहिए कि हमारा भी वजूद है. चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ दिल्ली में डिस्ट्रिक्ट ज्यूडिशियरी पर आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में अपनी बात रख रहे थे. उन्होंने अक्सर आम आदमी न्याय के लिए ऊपरी अदालतों तक नहीं पहुंच पाता है. इसलिए जरूरी है कि उसको पहले ही पायदान पर यानी निचली अदालत में न्याय मिले.
CJI को क्यों करनी पड़ी वजूद की बात?
आखिर क्यों CJI डीवाई चंद्रचूड़ को निचली अदालतों को अपना वजूद याद दिलाने के लिए कहना पड़ा? निचली अदालतों में केसेज की पेंडेंसी से लेकर बेल रिजेक्शन की प्रवृत्ति भी CJI की बात की तस्दीक करती है. नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड के आंकड़ों पर नजर डालें तो पता लगता है कि देशभर की डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में 1 सितंबर 2024 तक 4 करोड़ से ज्यादा मुकदमे लंबित हैं. जिसमें 64% केसेज सालभर से पुराने हैं।।।।
मिडिया रिपोर्ट
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