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Tuesday, December 10, 2024

भारत का संविधान विषमता को दूर कर समता मूलक समाज को स्थापित करने वाला : डॉ सुरेश माने

 राजनांदगांव 


भारत का संविधान विषमता को दूर कर समता मूलक समाज को स्थापित करने वाला : डॉ सुरेश माने



राजनांदगांव स्थानीय डॉ. अम्बेडकर सांस्कृतिक भवन सिविल लाइन में आयोजित संविधान की हीरक जयंती एवं क्रांतिकारी बिरसा मुंडा जयंती का आयोजन अनुसूचित जाति जनजाति अधिकारी कर्मचारी संघ (अजाक्स) के तत्वाधान मे किया गया। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में मुंबई से पधारे अधिवक्ता डॉ. सुरेश माने, विशिष्ट अतिथि विश्वास मेश्राम सेवा निवृत्त अपर कलेक्टर, जशवंत घावड़े जिला अध्यक्ष सर्व आदिवासी समाज, अध्यक्षता सिद्धार्थ चौरे जिलाअध्यक्ष अजाक्स ने किया।



विशेष अतिथि एफ आर वर्मा, सुशील नेताम, एड. नरेश गंजीर उपस्थित हुए। समारोह के आरंभ में अतिथियों का स्वागत और फिर संविधान के पालन का शपथ लिया गया। कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि विश्वास मेश्राम ने कहा कि हम लड़ेंगे क्योंकि डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर ने संविधान के लिए लड़ाई लड़ी थी। यही संविधान है।




जिसने अधिकार दिया और आत्मसम्मान भी। संविधान के आर्टिकल 13 के तहत जितने भी भारत में संविधान लागू होने के पहले संविधान चल रहे थे जिन्हें भारत के संविधान के लागू करने के बाद शून्य घोषित किए गए। यह अंधविश्वास, आडंबर और रूढ़िवादी हठधर्मिता खत्म करने के लिए सबसे बड़ा शस्त्र साबित हुआ। भीमा कोरेगांव जो पेशवाओं ने अपने आतंक स्वरूप जिस कदर अनुसूचित जाति जनजाति और दलित वर्ग के ऊपर अत्याचार और भेदभाव के जो कानून थे, उन्हें भी रोकने का काम संविधान ने हीं किया।  भीमा कोरेगांव जो पांच सौ महार लोगों ने 28 हजार पेशवाई फौज को इस कदर खदेड़ा और साहस का परिचय दिया। इसे दलित अनुसूचित जाति जनजाति के साहस और बलिदान की गाथा कहता है। वही कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ सुरेश माने ने बहुत ही विस्तार पूर्वक बिरसा मुंडा जी के बारे मे बताया। आपने कहा बिरसा मुंडा युवा अवस्था में ही शहीद हो गए। आज भी उनकी बहादुरी के किस्से और उनके आत्मसम्मान की गाथा का वर्णन अनेकों साहित्य में मिलता है। निश्चित रूप से वह बड़े क्रांतिकारी थे और देश भक्त भी। श्री माने ने संविधान के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उसकी बारिक चीजों को बेहतर तरीके से उपस्थित लोगों को बताया। आपका उद्बोधन मुख्य रूप से दो विषयों "भारत के संविधान से देश के लोगों और विशेष रूप से आदिवासी, मजहबी अल्पसंख्यक, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अनुसूचित जाति को क्या मिला है और क्या मिलना शेष है?" तथा "भारत के संविधान पर किस तरह के खतरे संभावित है? इससे बचाने के लिए हमें क्या करना होगा?" पर केंद्रित था। उन्होंने कहा कि सामाजिक बदलाव के लिए जितना संविधान महत्वपूर्ण है उतना ही राजनीतिक बदलाव के लिए भी महत्वपूर्ण है। संविधान हमारा धर्म ग्रंथ है। भारत का 75 साल में जो विकास हुआ है, इसका श्रेय संविधान को ही जाता है । 26 जनवरी 1950 के दिन जब संविधान लागू किया गया तो उसका सबसे बड़ा फायदा और बदलाव आम जन जीवन में देखने को मिला। दलित वर्ग के लोगों को 1950 के पहले इंसान नहीं समझा जाता था। संविधान लागू होने के दिन से ही अब हर व्यक्ति को बराबरी का अधिकार और सम्मान भी दिया जाता है और हर व्यक्ति इंसान माना जाने लगा। पहले सारे लोगों को वोट देने के अधिकार नहीं था चुनिंदा लोगों को वोट देने का अधिकार था इसमें व्यापारी वर्ग और जमीदार लोगों को यह अधिकार दिया गया था। पर 1950 में जब संविधान लागू किया गया, उसी दिन से ही समानता के अधिकारों का पालन किया जाना सुनिश्चित हो गया। डॉ. बाबासाहेब अम्बेडकर ने संविधान में यह व्यवस्था बनाई की राजा किसी के घर में पैदा नहीं होगा, लोगों के चुनने से राजा पैदा होगा । इसका मतलब यह है कि कहीं ना कहीं लोकतंत्र और सामाजिक समरसता के साथ संविधान ने हर इंसान को आत्मसम्मान देने और उसे बनाए रखने की व्यवस्था भी निहित की । यही कारण है कि हमारे देश के संवैधानिक ढांचे में संपूर्ण भारत के लोगों के लिए अधिकार और कर्तव्य का जिक्र है और जिसका पालन सुनिश्चित किया गया है। आज सैकड़ो की संख्या में देश में अनुसूचित जाति और जनजाति के निर्वाचित जन प्रतिनिधि भी हैं, पर राजनीतिक सत्ता की गलियों में उन नेताओं का अस्तित्व किसी गुलाम से कम नहीं है। यही कारण है कि जिस वर्ग का प्रतिनिधित्व करते हैं उसकी आर्थिक सामाजिक और राजनीतिक व्यवस्था और चिंतन को लेकर इन्हें कतई गंभीर नही देखा जाता है। श्री माने ने हिंदू कोड बिल की आवश्यकता आखिर क्यों थी, पर कहा की सती प्रथा आखिर इसी हिन्दू कोड बिल की वजह से रोकी गई। संविधान के अंदर पॉलिटिकल रिजर्वेशन नहीं रहता तो आज अनुसूचित जाति जनजाति और पिछड़ा वर्ग के लोग प्रतिनिधित्व करने चुनकर नहीं आते । इसलिए भारत का संविधान विषमता का समाज मिटाने और समतामूलक समाज के निर्माण को जीवंत करता है। डॉ सुरेश माने ने चार घंटे तक उक्त दो विषयों सहित उपस्थित लोगों के संविधान संबंधी जिज्ञासाओं का उत्तर देते हुए शंकाओं का समाधान भी किया। मैत्री भोज के समय ऑनलाइन प्रश्नोत्तरी परीक्षा का आयोजन किया गया। जिसमें माला गौतम ने प्रथम स्थान, रेणू जामगढ़े ने द्वितीय स्थान तथा निलेश रामटेके ने तृतीय स्थान प्राप्त किया। जिन्हें मुख्य अतिथि सम्मा. सुरेश चौरे ने बुके व साहित्य प्रदान कर सम्मानित किया। समारोह में समस्त आगंतुकों को संविधान की पॉकेट बुक अजाक्स संगठन की ओर से निशुल्क प्रदान की गई। उपरोक्त कार्यक्रम का मंच संचालन वरिष्ठ सामाजिक चिंतक और अजाक्स के सह संयोजक प्रशांत सुखदेवे ने किया। समारोह में सभी ब्लॉक से तथा सामाजिक संगठनों के आदिवासी, अन्य पिछड़ा वर्ग एवं अनुसूचित जाति के  कार्यकर्ता बड़ी संख्या में सम्मिलित हुए। अजाक्स जिला राजनांदगांव के संरक्षक  सम्मा. सी.एल. चंद्रवंशी जी, अध्यक्ष सम्मा. सिद्धार्थ चौरे जी, उपाध्यक्ष सम्मा. ठाकुरराम चंद्रवंशी जी, सम्मा. भूषण कुमार भूआर्य जी, सम्मा. कुमुदिनी वैद्य जी, सचिव सम्मा. दिनेश सुधाकर जी, डोंगरगांव ब्लॉक के अध्यक्ष क्षितिज सोरी , छुरिया के राजेंद्र लाडेकर, कोषाध्यक्ष सम्मा. ईश्वर चंद्रवंशी जी, सह सचिव सम्मा. प्रशांत सुखदेवे जी, संगठन सचिव सम्मा. राजकुमार नागदेवे जी, प्रवक्ता सम्मा. सुनील सुष्माकर जी, कार्यकारिणी सदस्य गण सम्मा. मेघनाथ भूआर्य, सम्मा. महादेव वाल्दे जी, सम्मा. रितेश रंगारी, सम्मा. शीतल टंडन जी, सम्मा. देव सिंह अमेला जी, सम्मा. वर्षा वारके जी, सम्मा. रेणु जामगढ़े जी, सम्मा. गणेश रामटेके जी, सम्मा. रामप्रसाद, सम्मा. राजेन्द्र, सम्मा. अमिताभ दुपारे, तिलक राम खांडे, योगेश चौरे, डी.पी. नोन्हारे, सुनील गौतम, हरविंदर आजाद आदि की इस सफल आयोजन में महत्वपूर्ण भूमिका रही। संविधान हीरक जयंती और बिरसा मुंडा जयंती के संयुक्त आयोजन को सफल बनाने में आदिवासी और पिछड़ा वर्ग सहित अनुसूचित जाति के सभी सामाजिक संगठनों तथा महिलाओं का सराहनीय योगदान रहा। संविधान के विषय पर हुए इस ऐतिहासिक आयोजन का शहर के नागरिकों ने बड़ी संख्या में बौद्धिक लाभ लिया। 



प्रशांत 

सह सचिव, अजाक्स, जिला राजनांदगांव (छ.ग.)


सी एन आई न्यूज़ के लिए संतोष सहारे की रिपोर्ट

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