भूपेन्द्र सिन्हा
कलयुग में दान ही सर्वश्रेष्ठ है-आचार्य सुभाष जी महाराज
छुरा :- छुरा के समीपस्थ ग्राम सिवनी में नायक परिवार द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन व्यासपीठ से अयोध्या से पधारे भगवतविद् आचार्य सुभाष जी महराज ने राजा परीक्षित और कलयुग के संवाद कथा के साथ तीसरे दिन की कथा का शुभारंभ किया।कथा प्रसंग में उन्होंने बताया कि तीन पैर से धर्मरुपी बैल को जब कलयुग त्रास दे रहा था और समीप ही पृथ्वी रुपी गाय रुदन कर रही थी।तो राजा ने उनसे परिचय पूछा तो उन्होंने बताया कि अधर्माचरण से वह व्यथित है।धर्मरुपी बैल के चार पैर में से एक सत्य का पैर सतयुग में,दूसरा तपरुपी पैर त्रेता में,तीसरा दयारुपी पैर द्वापर में टूट गया और कलयुग में वह एकमात्र दान रुपी पैर के ताकत पर खड़ा है।साथ ही आगे की कथा को विस्तार से बताया। सुमधुर भजन के साथ भागवताचार्य ने बताया कि कलयुग में दान ही सर्वश्रेष्ठ है और भगवान का नाम जाप व भजन ही मुक्ति के लिए सबसे सरल और सहज मार्ग है।विदित हो कि ग्राम सिवनी में स्वामी भानुप्रताप जी महराज पहाड़पुर प्रतापगढ़(उत्तर प्रदेश) के सान्निध्य में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन शिक्षक श्री यशवंत नायक के परिवार द्वारा ग्रामवासियों के सहयोग से किया गया है।इस कथा में नैमिषारण्य तीर्थ एवं काशी से पधारे विद्वानों के द्वारा श्रीमद्भागवत कथा का रसपान ग्रामीणों को कराया जा रहा है। प्रतिदिन समस्त श्रद्धालुओं के लिए भोग भंडारा का आयोजन रखा गया है। तीसरे दिन के कथा में बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित थे।
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