राम कथा वैद्य है - लाटा महाराज । नवदिवसीय भव्य श्रीराम कथा श्री महामाया मंदिर, रायपुर में ।
सी एन आइ न्यूज -पुरुषोत्तम जोशी ।
रायपुर-: श्री राजराजेश्वरी महामाया माता मंदिर सार्वजनिक न्यास समिति पुरानी बस्ती रायपुर द्वारा मंदिर परिसर में 2 दिसंबर से 10 दिसंबर आयोजन श्रीमहामाया मंदिर सार्वजनिक न्यास द्वारा किया जा रहा है। श्रीराम कथा के प्रथम दिन वाणी भूषण पंडित शंभू शरण लाटा ने माता जी का दर्शन कर कथा का प्रारंभ किया. कथा व्यास से उन्होंने श्रीराम कथा को वैद्य की संज्ञा देते हुये कहा कि प्रत्येक समस्या का समाधान है।. श्रीराम कथा सुनने सुनाने की विषयवस्तु नहीं है, इसे जीवन में उतारना आवश्यक है. मनुष्य कभी गलती बताने से नाराज हो जाते हैं। गलती बताने वाला हमारा दुश्मन हो जाता है. महाराज श्री ने कहा कि गलती बताने वाला दुश्मन नहीं वह हमारा गुरु है. आदमी अपनी कमी को पता नहीं लगा सकता, हमारी कमी को कोई दूसरा बताता हो तो उससे प्रसन्न होना चाहिए. श्री महामाया मंदिर न्यास समिति के व्यवस्थापक पं विजय कुमार झा एवं आयोजन मिडिया सहयोगी डा.भावेश शुक्ला "पराशर" ने बताया कि महाराज श्री ने कहा हमें अपने जीवन में यह निर्णय करना पड़ेगा कि हम दशरथ जैसे जीयें या रावण जैसे, हम शबरी जैसे जियें या शूर्पनखा जैसे, यह हमारे व्यवहार पर निर्भर करता है. श्रीराम कथा में हनुमान जी बिना बुलाए कथा स्थल पर आते हैं. श्री महामाया मंदिर कथा स्थल में हनुमान जी पधारे हैं, हमें नहीं दिखता, यह हमारी कमी है. श्री लाटा महाराज ने स्पष्ट किया की हवा दिखाई नहीं देती, लेकिन आभास होता है, हवा में सुगंध है, तो दुर्गंध भी है. जब पवन अर्थात् हवा नहीं दिखाई देती तो पवन पुत्र हनुमान कैसे दिखेंगे. महाराज श्री ने हनुमान मंदिर के सामने राम राम बोल देने से ही बड़ी पूजा हो जाती है, । संत श्री ने श्रोताओ़ को महामाया का ध्यान करते हुए जय जय हे जगदंबे माता, बिन मांगे सब कुछ पा जाता का गायन कर मां भगवती की आराधना की. । आराधना की थी. अपने जीवन में कोई पूजा हो या ना हो पांच देवताओं की पूजा अवश्य करना चाहिए. इन पांच देवताओं में शिव शक्ति गणेश सूर्य और नारायण है, जिसके दर्शन से हृदय में प्रकाश हो जाता है वही गुरु हैं. राम से ज्यादा राम के नाम की महिमा का वर्णन करते हुए अनेक उद्धरण उन्होंने प्रस्तुत किये. उन्होंने श्रोताओं से पूछा भगवान को भोग लगाते हो, क्या भगवान खाते हैं? भगवान के प्रति विश्वास हो तो भोग लगाने पर प्रभु भोग भी ग्रहण कर लेते हैं. बाबा-श्री राम, बाबा-श्री राम. उन्होने कहा किसी हनुमान जी के मंदिर के सामने में श्री राम बोलने से हनुमान जी बहुत प्रसन्न हो जाते हैं। उन्होंने भगवान राम का एक नाम सच्चिदानंद का वर्णन करते हुए कहा सत्य चित् आनंद को मिलाकर सच्चिदानंद हुए. शिव जी ने जीव को समझाया जो भक्त ना माने उसे मनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. क्योंकि आज कल पत्नी पति का कहना, संतान पिता का कहना नहीं मानता. जो नहीं मानता उसको जो होना है वह होगा ही बल्कि उसका त्याग करना चाहिए, यह शिव और शक्ति की सती कथा में उदाहरण स्वरूप व्यक्त किया गया.। कथा व्यास संत श्रीलाटा महाराज जी ने कथा के दूसरे दिन मंगलवार को शिव विवाह की कथा का वाचन किया।
दोपहर 2:30 से सायं 6:30 तक चलने वाली श्रीराम कथा को सुनने के लिये बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे और कथा का श्रवण किया ।


















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