नवरात्रि 2025, (दूसरा दिन)
माॅं ब्रह्मचारिणी नवरात्र पर्व के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है।
सी एन आइ न्यूज-पुरुषोत्तम जोशी । रायपुर- मां का ये रूप बेहद ही शांत, सौम्य और मोहक है। मां के इस रूप को पूजने से व्यक्ति को तप,त्याग,वैराग्य,सदाचार व संयम जैसे गुणों की प्राप्ति होती है जो उसको जीवन में आगे ले जाने में मदद करते हैं।
ब्रह्मचारिणी का मतलब ही है तप की चारिणी अर्थात तप का आचरण करने वाली इसलिए जो लोग इनकी पूजा करते हैं उन्हें साधक होने का तो फल मिलता है। मां को पूजने के लिए जातकों को इस श्लोक से पूजा की शुरूआत करनी चाहिए।
दधांना कर पहाभ्यामक्षमाला कमण्डलम।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।
ब्रहमचारिणी मां श्वेत वस्त्र पहने दाएं हाथ में अष्टदल की माला और बांए हाथ में कमण्डल लिए हुए सुशोभित है। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार यह हिमालय की पुत्री थीं तथा नादर के उपदेश के बाद यह भगवान को पति के रूप में पाने के लिए इन्होंने कठोर तप किया। जिस कारण इनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा।
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