दिग्गज अभिनेता मनोज कुमार ने दुनियां को कहा अलविदा
अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
मुम्बई - भारतीय अभिनेता और फिल्म निर्देशक मनोज कुमार (87 वर्षीय) ने आज तड़के सुबह कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में अपनी अंतिम सांस ली। वे काफी समय से लिवर सिरोसिस से जूझ रहे थे और उनकी हालत बिगड़ने के बाद उन्हें 21 फरवरी 2025 को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें अपनी देशभक्ति फिल्मों के लिये 'भारत कुमार' के नाम से भी जाना जाता था। उनके निधन की खबर के बाद पूरे देश में शोक की लहर है। उनका अंतिम संस्कार कल 05 अप्रैल शनिवार की सुबह जुहू श्मशान घाट में किया जायेगा।
बताते चलें कि मनोज कुमार (असली नाम हरिकिशन गिरि गोस्वामी) का जन्म 24 जुलाई 1937 को एबटाबाद ब्रिटिश इंडिया (अब खैबर पख्तूनख्वा, पाकिस्तान) में हुआ था। एबटाबाद वही जगह है , जहां 02 मई 2011 को अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को मारा था। बंटवारे के बाद मनोज कुमार के माता-पिता ने उन दिनों भारत को चुना और दिल्ली आ गये। मनोज कुमार ने बंटवारे के दर्द को अपनी आंखों से देखा है , इन्हें बचपन से ही एक्टिंग का काफी शौक रहा। मनोज कुमार ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत वर्ष 1957 में आई फिल्म 'फैशन' से की थी। इसके बाद वर्ष 1960 में उनकी फिल्म 'कांच की गुड़िया' रिलीज हुई जिसमें वे बतौर लीड अभिनेता नजर आये थे , जो सफल रही। मनोज कुमार ने 'उपकार', 'पत्थर के सनम', 'रोटी कपड़ा और मकान', 'संन्यासी' और 'क्रांति' जैसी कमाल की फिल्में दीं। ये बचपन से ही दिलीप कुमार के बड़े प्रशंसक थे। दिलीप साहब की फिल्म शबनम (1949) मनोज कुमार को इतनी पसंद आई थी कि उन्होंने उसे कई बार देखा। फिल्म में दिलीप कुमार का नाम मनोज था , जब मनोज कुमार फिल्मों में आये तो उन्होंने दिलीप कुमार के नाम पर ही अपना नाम भी मनोज कुमार कर लिया। अधिकतर फिल्मों में मनोज कुमार का नाम 'भारत कुमार' हुआ करता था और इसी वजह से वे अपने चाहने वालों के बीच 'भारत कुमार' के नाम से मशहूर हो गये। वर्ष 1967 की सबसे बड़ी फिल्म उपकार थी , फिल्म का गाना मेरे देश की धरती सोना उगले.. आज भी सबसे बेहतरीन देशभक्ति गानों में गिना जाता है। फिल्म में मनोज कुमार का नाम भारत था। फिल्म के गाने की पॉपुलैरिटी देखते हुये मनोज कुमार को मीडिया ने भारत कहना शुरू कर दिया और फिर उन्हें भारत कुमार कहा जाने लगा। इन्होंने भारतीय सिनेमा में अभिनेता , लेखक और निर्देशक के रूप में अमूल्य योगदान दिया। ‘शहीद’, ‘उपकार’, ‘पूरब और पश्चिम’ और ‘क्रांति’ जैसी फिल्मों के जरिये उन्होंने देशभक्ति की भावना को सशक्त रूप से प्रस्तुत किया। इनकी फिल्में सामाजिक मुद्दों, किसानों की पीड़ा और राष्ट्रीय एकता पर केंद्रित थीं। 'पूरब और पश्चिम' फिल्म का गीत 'भारत का रहने वाला हूं, भारत की बात सुनाता हूं...' आज भी सभी की जुबां पर हैं। उन्हें 'दो बदन', 'हरियाली और रास्ता' और 'गुमनाम' जैसी हिट फिल्मों के लिये भी जाना जाता था। भारतीय सिनेमा में मनोज कुमार के योगदान को हमेशा याद रखा जायेगा , उन्हें कई प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था। उनके नाम एक राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और अलग-अलग श्रेणियों में सात फिल्मफेयर पुरस्कार शामिल हैं। पहला फिल्म फेयर वर्ष 1968 में फिल्म उपकार के लिये मिला था। उपकार ने बेस्ट फिल्म , बेस्ट डायरेक्टर , बेस्ट स्टोरी और बेस्ट डायलॉग के लिये चार फिल्म फेयर जीते। भारतीय कला में उनके अपार योगदान के सम्मान में सरकार ने इन्हें वर्ष 1992 में पद्म श्री एवं वर्ष 2015 में इन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। मनोज कुमार ने वर्ष 1995 में आई फिल्म 'मैदान-ए-जंग' में दिखने के बाद फिल्मी दुनियाँ को अलविदा कह दिया था। उन्होंने वर्ष 1999 में अपने बेटे कुणाल गोस्वामी को फिल्म 'जय हिंद' में डायरेक्ट किया था , फिल्म बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप रही थी। फिल्मों से रिटायरमेंट के बाद मनोज कुमार ने राजनीति में एंट्री मारी थी और वे वर्ष 2004 में बीजेपी में शामिल हुये थे।
पीएम मोदी ने जताया दुख
पीएम नरेंद्र मोदी ने मनोज कुमार के निधन पर शोक जताते हुये एक्स पर लिखा है कि महान अभिनेता और फिल्ममेकर मनोज कुमार के निधन से गहरा दुख हुआ। वे भारतीय सिनेमा के आइकान थे , जिन्हें खासतौर पर उनके देशभक्ति के जोश के लिये याद किया जायेगा। देशभक्ति उनकी फिल्मों में झलकती थी , उनके कामों ने राष्ट्रीय गौरव की भावना को बढ़ाया है। वे आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे , इस दुख की घड़ी में मेरी संवेदनायें उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। ऊं शांति.
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