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Friday, May 16, 2025

नशे के उन्मूलन के लिये पुलिस ही एकमात्र एजेंसी है - आईजी डा० संजीव शुक्ला

 नशे के उन्मूलन के लिये पुलिस ही एकमात्र एजेंसी है - आईजी डा० संजीव शुक्ला



अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट 


बिलासपुर - रेंज अंतर्गत जिलों में एनडीपीएस. एक्ट के अंतर्गत दर्ज प्रकरणों में विवेचना कार्यवाही प्रक्रिया अनुरूप होने एवं विवेचना के दौरान एनडीपीएस. एक्ट के प्रावधानों के अनुसार सभी प्रक्रियाओं के पूर्ण होने के उद्देश्य से रेंज अंतर्गत जिलों के उप पुलिस अधीक्षक से सहायक उप निरीक्षक स्तर तक के अधिकारियों हेतु आज डॉ. संजीव शुक्ला पुलिस महानिरीक्षक , बिलासपुर रेंज द्वारा रक्षित केन्द्र बिलासपुर के ‘चेतना भवन’ में एकदिवसीय रेंज स्तरीय प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन कराया गया। इस प्रशिक्षण कार्यशाला में विषयक विशेषज्ञ के रूप में माखनलाल पाण्डेय संयुक्त संचालक अभियोजन बिलासपुर और सूर्यकांत शर्मा विशेष लोक अभियोजक (एनडीपीएस.), बिलासपुर तथा अधिवक्ताद्वय विभाकर सिंह व शैलेन्द्र दुबे उच्च न्यायालय बिलासपुर सहित नगर पुलिस अधीक्षक सिविल लाईन निमितेश सिंह व निरीक्षक चंद्रकांत साहू जिला धमतरी के द्वारा कार्यशाला में उपस्थित प्रशिक्षणाथियों को एनडीपीएस. एक्ट के प्रकरण की बारीकियों से विस्तारपूर्वक अवगत कराया गया। प्रशिक्षण कार्यशाला का शुभारंभ करते हुये पुलिस महानिरीक्षक बिलासपुर रेंज डॉ. संजीव शुक्ला ने कार्यशाला में उपस्थित प्रशिक्षणार्थियों को संबोधित करते हुये कहा कि वर्तमान समय में देश के समक्ष नशा एक चुनौती है। अन्य अपराध सामान्य नुकसान करते हैं उसकी भरपाई हो सकती है किन्तु नशा युवा पीढ़ी को खत्म कर रहा है। नशे के उन्मूलन के लिये पुलिस ही एकमात्र एजेंसी है जिसके द्वारा एनडीपीएस एक्ट के आज्ञापक प्रावधानों का पालन करते हुये प्रभावी कार्यवाही कर अपराधियों को शत-प्रतिशत सजा दिलाकर नशे के अपराध में अंकुश लगाया जा सकता है। इसी उद्देश्य से कार्यशाला का आयोजन किया गया है। इसी कड़ी में रजनेश सिंह‌ वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बिलासपुर ने कहा कि एनडीपीएस. के प्रकरणों में इस एक्ट की धारा 42 , 43 , 50 के आज्ञापक प्रावधानों का पालन तथा जप्ती में किसी प्रकार की हुई त्रुटियां आदि को प्रकरण के ट्रायल के दौरान बारिकी से देखा जाता है , इसलिये एनडीपीएस. के प्रकरणों की सावधानी पूर्वक विवेचना करें एवं एफएसएल. सैम्पलिंग सावधानीपूर्वक भी की जावे ताकि अपराधी को माननीय न्यायालय से सजा दिलाई जा सके।  माखनलाल पाण्डेय संयुक्त संचालक(अभियोजन), बिलासपुर एवं सूर्यकांत शर्मा विशेष लोक अभियोजक (एनडीपीएस) बिलासपुर के द्वारा एनडीपीएस. प्रकरणों में ट्रायल के दौरान विवेचना की कमी एवं अभियोजन की सफलता हेतु एनडीपीएस. एक्ट की धारा 50 व 52 में निहित प्रावधानों का प्रशिक्षणार्थियों को विस्तारपूर्वक प्रशिक्षण दिया गया। इनके द्वारा कार्यशाला में उपस्थित प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण के दौरान बताया कि एनडीपीएस प्रकरणों में दोषमुक्ति का कारण राजपत्रित अधिकारियों के कार्यालय की सील मोहर पावती में नहीं रहना , मकान या स्वामित्व/कब्जे का प्रमाणपत्र व दस्तावेज नहीं रहना , दस्तावेजों में सफेदा लगाना / काट-छांट करना , महिला की तलाशी किसी महिला पुलिस द्वारा ली जाकर हस्ताक्षर नहीं करना, मालखाना से माल निकालते समय पंचनामा तैयार न करना, रजिस्टर में इन्द्राज ना होना आदि त्रुटियों से अवगत कराते हुये एनडीपीएस. एक्ट के आज्ञापक प्रावधानों का पालन करने हेतु बताया गया। अधिवक्ताद्वय विभाकर सिंह एवं शैलैन्द्र दुबे के द्वारा एनडीपीएस. प्रकरणों में विवेचना के दौरान होने वाली त्रुटियां जिसका लाभ आरोपी पक्ष को मिलता है , इस संबंध में प्रशिक्षणार्थियों को विस्तारपूर्वक प्रशिक्षण दिया गया। अधिवक्ताद्वय श्री विभाकर सिंह एवं शैलैन्द्र दुबे ने एनडीपीएस. एक्ट की धारा 42 , 50 , 57 का पालन करने तथा मालखाना से माल जितनी बार निकालते हैं उनका पंचनामा तैयार करने तथा रजिस्टर में इन्द्राज करने तथा मुखबिर सूचना व संपूर्ण कार्यवाही की सूचना एसडीओपी कार्यालय को दिये जाने , उसकी सील सहित पावती प्राप्त करने तथा आरक्षक को साक्ष्य सूची में रखे जाने प्रशिक्षणार्थियों को बताया गया। नगर पुलिस अधीक्षक सिविल लाईन बिलासपुर निमितेश सिंह के द्वारा एनडीपीएस. प्रकरणों में इंड टू इंड विवेचना , फायनेन्शियल इन्वेस्टीगेशन और एनडीपीएस. एक्ट के प्रकरण के आरोपियों द्वारा नशे के व्यवसाय से अर्जित संपत्ति को सक्षम न्यायालय ‘सफेमा’ से राजसात कराये जाने के संबंध में केस स्टडी तैयार कर प्रशिक्षणार्थियों को विस्तारपूर्वक प्रशिक्षण दिया गया। इनके द्वारा प्रशिक्षणार्थियों को अवगत कराया गया कि एनडीपीएस. प्रकरणों की विवेचना के अन्तर्गत मौके में पकड़े गये आरोपी के अलावा जहां से माल डिलीवर हो रहा है ऐसे व्यवसायिक प्रकरणों में इंड टू इंड विवेचना की जावे। एनडीपीएस की धारा 68 के प्रावधानों के तहत कार्यवाही की जावे तथा आरोपी द्वारा नशे के व्यवसाय में प्राप्त आय से बनाये गये संपत्ति के संबंध में पंजीयन कार्यालय , जीएसटी विभाग , इन्कम टैक्स आदि से जानकारी एकत्र कर कार्यवाही संपत्ति फ्रीज का प्रतिवेदन सफेमा कोर्ट में प्रस्तुत किया जावे। निरीक्षक चन्द्रकांत साहू जिला धमतरी एवं उप निरीक्षक अवधेश सिंह जिला बिलासपुर द्वारा एनडीपीएस प्रकरणों में स्वयं के द्वारा की गई विवेचना की जानकारी प्रशिक्षण कार्यशाला में उपस्थित प्रशिक्षणार्थियों से साझा की गई , जिनके आधार पर प्रकरणों में माननीय न्यायालय से आरोपी को सजा मिली है। इन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुये एनडीपीएस. के प्रकरणों में दोषसिद्धि में सहायक होने वाले तथ्यों का उल्लेख करते हुये बताया कि मुखबिर सूचना की गवाही तलब करने हेतु आरक्षक को रवाना किया जावे उसके पश्चात समक्ष उपस्थित हुये गवाह का मुखबिर पंचनामा तैयार किया जावे। आरोपी को मजिस्ट्रेट/राजपत्रित अधिकारी से तलाशी लेने के संबंध में बताया जावे। धारा 50 , 91 की नोटिस आरोपी को दिया जाये तथा पावती डायरी में संलग्न किया जावे। थाना मोहर्रिर को माल देते समय सील चपड़ा लगा हुआ हो , स्पष्ट उल्लेख रोजनामाचा एवं मालखाना रजिस्टर में दर्ज कराया जावे। संपूर्ण कार्यवाही की वीडियोग्राफी/फोटोग्राफी कराई जावे। सैम्पल , इन्वेटरी कार्यपालिक मजिस्ट्रेट से ना कराकर न्यायिक मजिस्ट्रेट से कराई जावे। चालान में मालखाना रजिस्टर की सत्यापित प्रति लगाई जावे। उक्त आयोजित प्रशिक्षण कार्यशाला के समापन पर आभार प्रदर्शन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्रीमती मधुलिका सिंह एवं अतिरिक्त पुलिस(शहर) बिलासपुर राजेन्द्र जायसवाल द्वारा किया गया। यह प्रशिक्षण सत्र अत्यन्त महत्वपूर्ण एवं उपयोगी दिशा-निर्देशों के साथ संपन्न हुआ। इस एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यशाला में रेंज अंतर्गत जिलों से दस राजपत्रित पुलिस अधिकारी , उन्नीस निरीक्षक , तेईस उप निरीक्षक और सैंतीस सहायक उप निरीक्षक सम्मिलित हुये।

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