पूर्व सरपंच पर ₹5.18 लाख के गबन का आरोप, जांच के बावजूद चुनाव लड़ा और बना पंच
संजय भोई पूर्व में 2 बार सरपंच पद पर कार्यभार सम्हाल चुका है अधिकारियों को अपने पक्ष में लेकर भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहा है ग्रामीणों का आरोप
कुंजराम यादव बसना रिपोर्टर
ग्राम बरडीह, बसना। जनपद पंचायत बसना की ग्राम पंचायत बरडीह में पूर्व सरपंच संजय भोई पर सरकारी राशि के गबन का गंभीर मामला सामने आया है। ₹5,18,575 की गबन की पुष्टि होने के बावजूद न केवल जांच को बंद कर दिया गया, बल्कि आरोपी पंच पद का चुनाव लड़कर निर्वाचित भी हो गया। इस पूरे घटनाक्रम ने प्रशासन की कार्यप्रणाली और पारदर्शिता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
जांच में गबन की पुष्टि
ग्राम पंचायत में सीसी रोड निर्माण कार्य में अनियमितताओं की शिकायत पर तत्कालीन सीईओ जनपद पंचायत बसना आर.के. वर्मा द्वारा तीन सदस्यीय जांच समिति गठित की गई थी। उप अभियंता के.आर. खुराना, आंतरिक लेखा अधिकारी जयलाल साव व संतलाल साहू की इस समिति ने ग्रामीणों की उपस्थिति में जांच कर ₹5,18,575 की राशि का गबन प्रमाणित किया।
कलेक्टर ने अपील की खारिज, फिर भी मामला नस्तीबद्ध
जांच रिपोर्ट के आधार पर एसडीएम सरायपाली ने संजय भोई को छत्तीसगढ़ पंचायत अधिनियम की धारा 92 के तहत कारण बताओ नोटिस जारी किया। भोई ने उक्त आदेश को कलेक्टर न्यायालय महासमुंद में चुनौती दी, लेकिन तत्कालीन कलेक्टर प्रभात मलिक (आईएएस) ने अपील को खारिज करते हुए गबन की राशि को वसूली योग्य बताया।
हालांकि, वर्ष 2025 के पंचायत चुनाव से ठीक पहले संजय भोई ने एसडीएम बसना को एक नया आवेदन प्रस्तुत किया, जिसमें लंबित न्यायालयीन प्रकरण की जानकारी छिपा ली गई। इसके बाद एसडीएम मनोज खांडे द्वारा 16 जनवरी 2025 को प्रकरण नस्तीबद्ध कर दिया गया, जिससे भोई के चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया।
ग्रामीणों ने लगाए और भी भ्रष्टाचार के आरोप
सिर्फ सीसी रोड ही नहीं, ग्रामीणों ने अब शौचालय निर्माण और प्रधानमंत्री आवास योजना में भी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं। ग्रामीणों के अनुसार शौचालय निर्माण के लिए ₹4000 से ₹6000 तक की अवैध वसूली की गई, जबकि आवास योजना के लिए भी लाभार्थियों से जबरन पैसे लिए गए। कुछ ग्रामीणों ने संजय भोई पर राजनीतिक संरक्षण होने का भी आरोप लगाया है।
शासन से पुनः जांच की मांग
ग्राम बरडीह के निवासी अशोक गढ़तिया ने मुख्यमंत्री, गृह मंत्री और कलेक्टर महासमुंद को पत्र भेजकर निम्न मांगें की हैं:
₹5.18 लाख की राशि की तत्काल वसूली की जाए
दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई हो जिन्होंने प्रकरण को दबाया
ग्राम पंचायत को विकास कार्यों हेतु रोकी गई राशि पुनः जारी की जाए
क्या होगा अगला कदम?
यह मामला शासन और प्रशासन की ईमानदारी की अग्निपरीक्षा बन चुका है। क्या दोषियों पर कार्रवाई होगी या यह मामला भी कागजों में दफन होकर रह जाएगा? ग्रामीणों की उम्मीदें अब सरकार की निष्पक्षता पर टिकी हैं।
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