ग्रामीण क्षेत्र में बुनियादी सुविधा बदहाल
बिछिया ग्राम पंचायत पर गंभीर आरोप
भ्रष्टाचारीयों की भेट चढी विकास कार्य
बसना, महासमुंद। महासमुंद जिले की जनपद पंचायत बसना में वर्ष 2024-25 के लिए विकास कार्यों हेतु ₹1 करोड़ 36 लाख 58 हजार 140 की राशि स्वीकृत की गई थी। इस राशि से 102 ग्राम पंचायतों में 45 कार्यों को मंजूरी मिली। इनका उद्देश्य ग्रामीण बुनियादी सुविधाओं को बेहतर बनाना था, लेकिन अब इन कार्यों की पारदर्शिता और गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं।
बिछिया ग्राम पंचायत पर गंभीर आरोप
जनपद की पूर्व अध्यक्ष श्रीमती रुक्मणी सुभाष पटेल का गृह ग्राम बिछिया इन दिनों चर्चा में है। यहां ₹55 लाख 70 हजार 645 की लागत से कराए गए विकास कार्यों को लेकर ग्रामीणों में गहरी नाराजगी है। उनका आरोप है कि कार्यों की गुणवत्ता बेहद खराब है और इनमें पारदर्शिता का अभाव रहा है।
ग्राम बिछिया में हुए प्रमुख कार्य:
पानी टैंकर क्रय: ₹2,00,000
नवीन तालाब निर्माण (तीन अलग-अलग स्थानों पर): कुल ₹41,35,395
सीसी रोड निर्माण (दो स्थानों पर): कुल ₹9,50,000
पचरी निर्माण कार्य: ₹2,83,350
सूचना पोर्टल पर योजनाओं का कोई उल्लेख नहीं
ग्रामीणों का कहना है कि इन कार्यों की जानकारी किसी भी शासकीय पोर्टल, वेबसाइट या सूचना पट पर उपलब्ध नहीं है। कई लोगों ने जानकारी पाने का प्रयास किया, लेकिन उन्हें कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई। इससे संदेह गहराता जा रहा है कि योजनाएं सिर्फ कागजों पर दिखाकर राशि निकाली गई है।
ग्रामीणों की नाराजगी, प्रशासन से जांच की मांग
ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और जनपद पंचायत से इन सभी कार्यों की स्वतंत्र तकनीकी जांच की मांग की है। उनका कहना है कि कार्यों में भारी अनियमितता है, कई अधूरे हैं या घटिया तरीके से किए गए हैं। यदि सरकार की योजनाओं को सही ढंग से लागू किया जाता, तो ग्राम बिछिया की तस्वीर बदल सकती थी।
जनपद की प्रतिक्रिया: अभी सिर्फ 40% भुगतान
जनपद पंचायत बसना से मिली जानकारी के अनुसार, बिछिया पंचायत में कराए गए कार्यों का मूल्यांकन अभी शेष है और कुल लागत का लगभग 40% ही भुगतान किया गया है। एसडीओ नयन प्रधान ने बताया कि संबंधित कार्यों की जांच की प्रक्रिया जल्द पूरी की जाएगी।
प्रशासन की चुप्पी, ग्रामीणों की नजरें कार्रवाई पर
फिलहाल जिला प्रशासन की ओर से इस मामले में कोई स्पष्ट बयान सामने नहीं आया है। ग्रामीणों की निगाहें अब उच्च अधिकारियों की जांच और संभावित कार्रवाई पर टिकी हैं। यदि अनियमितता सिद्ध होती है तो यह जनधन की बर्बादी और योजनाओं के दुरुपयोग का गंभीर मामला बन सकता है।
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