सिमगा भाटापारा में खाद की कालाबाजारी जोरों पर,
।।रिपोर्र ओंकार साहू ।।
सिमगा:- सिमगा भाटापारा क्षेत्र के विभिन्न कृषि केंद्रों में किसानों से यूरिया, सुपर खाद और डी.ए.पी. (डाय-अमोनियम फॉस्फेट) जैसे आवश्यक उर्वरकों को निर्धारित मूल्य से अधिक दाम पर बेचे जाने की गंभीर शिकायतें सामने आ रही हैं। क्षेत्र के अनेक किसान इस कालाबाजारी के शिकार हो रहे हैं और उन्हें आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। स्थानीय किसानों का आरोप है कि कुछ कृषि केंद्र संचालक सरकार द्वारा सब्सिडी पर उपलब्ध कराई जा रही खाद को छुपाकर, ब्लैक मार्केट में ऊंचे दामों पर बेच रहे हैं। निर्धारित मूल्य पर खाद न मिलने से किसान मजबूरी में महंगे दाम देकर खाद खरीदने को मजबूर हैं, जिससे खेती की लागत में भारी बढ़ोतरी हो रही है। एक किसान ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, “हम समय पर खाद लेने पहुंचते हैं, लेकिन दुकानों पर स्टॉक नहीं होने की बात कही जाती है। कुछ ही समय बाद वही खाद काले बाजार में दुगुने दाम में बेची जाती है। ये किसानों के साथ खुली लूट है। किसानों ने कृषि विभाग से कई बार शिकायत की, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। विभाग की चुप्पी से शक और गहराता जा रहा है कि कहीं विभाग की मिलीभगत से तो यह कालाबाजारी नहीं चल रही सरकार द्वारा निर्धारित यूरिया का खुदरा मूल्य ₹266 प्रति बैग है, जबकि डी.ए.पी. ₹1350 प्रति बैग के आसपास बेचा जाना चाहिए। लेकिन सिमगा भाटापारा क्षेत्र में यूरिया ₹430 और डी.ए.पी. ₹1600 से 2000 तक में बेचे जा रहे हैं।
किसानों ने प्रशासन से मांग की है कि खाद दुकानों पर छापा मारकर रिकॉर्ड की जांच की जाए और दोषियों पर सख्त कार्रवाई हो। साथ ही विभागीय अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कराई जाए। खाद की कालाबाजारी के इस गंभीर मामले में कृषि विभाग की निष्क्रियता कई सवाल खड़े करती है। अगर समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो इसका सीधा असर आगामी फसल पर पड़ेगा और किसानों की मेहनत पर पानी फिर जाएगा।
CNI NEWS सिमगा से ओंकार साहू की रिपोर्ट
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