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Saturday, November 1, 2025

गृहस्थ आज, साधु-संत कल मनाएंगे देवउठनी एकादशी

 गृहस्थ आज, साधु-संत कल मनाएंगे देवउठनी एकादशी




सी एन आइ न्यूज-पुरुषोत्तम जोशी। 

हर साल कार्तिक शुक्ल पक्ष की  एकादशी को देवउठनी एकादशी मनाई जाती है। इसे देवोत्थान या देव प्रबोधिनी एकादशी भी कहा जाता है।


गृहस्थ आज यानी 1 नवंबर को और, साधु-संत कल यानी 2 नवंबर को देवउठनी एकादशी मनाएंगे।एकादशी तिथि एक नवंबर शनिवार सुबह 9:11 बजे से शुरू होकर 2 नवंबर रविवार सुबह 7:31 बजे तक रहेगी। एक नवंबर को पूरे दिन और रात्रि में एकादशी तिथि विद्यमान रहेगी, जबकि दो नवंबर को यह प्रातःकाल 7.31 बजे तक रहेगी। इस कारण देवउठान एकादशी व्रत और पूजन के लिए एक नवंबर का दिन श्रेष्ठ माना गया है। पुण्यकाल दोनों दिन रहेगा, अतः दान, स्नान, पूजा और तुलसी विवाह एक व दो नवंबर को किया जा सकते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु योग निद्रा से जागकर पुनः सृष्टि के कार्यों का संचालन आरंभ करते हैं।साथ ही, देवउठनी एकादशी से ही विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन और अन्य शुभ कार्यों की शुरुआत हो जाती है। वहीं इस दिन भगवान विष्णु के शालिग्राम स्वरूप और माता तुलसी का विवाह कराया जाता है। मान्यता है कि इस दिन ऐसा करने से व्यक्ति को कन्यादान के समान पुण्य प्राप्त होता है और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल देवउठनी एकादशी 1 नवंबर को मनाई जाएगी। इस दिन भक्त विधि-विधान से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं और व्रत रखते हैं।


देवउठनी एकादशी पर बन रहे हैं कई शुभ योग-


इस वर्ष देवउठनी एकादशी पर कई विशेष योगों का निर्माण हो रहा है। इस दिन धुव्र के साथ-साथ रवि योग का निर्माण हो रहा है। वहीं, गुरु कर्क राशि में विराजमान होकर हंस राजयोग का निर्माण कर रहे हैं। शुक्र के कन्या राशि में और राहु के साथ होने से नवपंचम राजयोग बन रहा है, जो आर्थिक उन्नति और प्रतिष्ठा में वृद्धि का संकेत देता है। इसके अलावा मंगल अपनी स्वयं की राशि वृश्चिक में स्थित होकर रूचक राजयोग बना रहे हैं, जिससे साहस और सफलता के योग प्रबल हो रहे हैं। गुरु, शनि और मंगल का त्रिकोण संबंध नवपंचम राजयोग को और बल प्रदान कर रहा है। इस दिन चंद्रमा मीन राशि में शनि के साथ स्थित रहेंगे, जिससे विष योग का निर्माण होगा।


देवउठनी एकादशी व्रत 

2 नवंबर को एकादशी व्रत पारण का शुभ समय दोपहर 1:11 बजे से दोपहर 3:23 बजे तक रहेगा। पारण वाले दिन हरिवासर का अंत दोपहर 12:55 बजे होगा।

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