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रिपोर्टर। असीम पाल दंतेवाड़ा
दंतेवाड़ा जिले के बचेली व किरंदुल में प्रवासी श्रमिकों की अनदेखी: प्रशासनिक चुप्पी पर उठे सवाल
बचेली दंतेवाड़ा | 20 दिसंबर 2025
बालाडीला क्षेत्र में एनएमडीसी के अंतर्गत चल रहे एसपीएल प्रोजेक्ट और अन्य निर्माण कार्यों में प्रवासी श्रमिकों के शोषण और प्रशासनिक उदासीनता को लेकर यूनिटी पत्रकार संघ दन्तेवाड़ा सोसायटी छत्तीसगढ़ ने गंभीर सवाल उठाए हैं। संघ द्वारा 4 दिसंबर 2025 को परियोजना प्रमुख (कार्य), एनएमडीसी कार्य विभाग, बीआईओएम बचेली व किरंदुल को औपचारिक पत्र सौंपा गया था, जिसमें अंतरराज्यीय प्रवासी श्रमिकों की स्थिति पर जानकारी मांगी गई थी।
पत्र में यह उल्लेख किया गया कि उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों से बड़ी संख्या में श्रमिकों को बालाडीला क्षेत्र में निर्माण कार्यों के लिए लाया गया है। इन श्रमिकों के साथ हो रहे शोषण की खबरें लगातार सामने आ रही हैं—जैसे कि मजदूरी भुगतान में देरी, ओवरटाइम का भुगतान न होना, और पीएफ जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित रखा जाना।
पत्र में दो प्रमुख मांगें की गई थीं:
1. अंतरराज्यीय प्रवासी श्रमिक कर्मचारी एवं सेवा शर्तें अधिनियम 1979 के तहत मुख्य सोसायटी के रजिस्ट्रेशन की छायाप्रति।
2.मेसर्स एल एंड टी, मेसर्स कल्पतरु, और मेसर्स एस.के. सामानता जैसी कंपनियों द्वारा सेक्शन 8 के अंतर्गत प्राप्त श्रमिक लाइसेंस की प्रतिलिपि।
हालांकि पत्र सौंपे जाने के दो सप्ताह बाद भी संबंधित विभाग की ओर से कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई है।
इस बीच, एनएमडीसी वर्क्स डिपार्टमेंट बचेली के डीजीएम मनीष टोपनो ने दावा किया कि कल्पतरु कंपनी में कोई प्रवासी श्रमिक कार्यरत नहीं है। इस बयान ने और अधिक संदेह को जन्म दिया है—यदि ऐसा है तो बचेली व किरंदुल में श्रमिकों की संख्या में अचानक वृद्धि कैसे हुई? हेनरी पेट्रोल पंप पुराना मार्केट और किरंदुल पाताल नगर में लेबर कैम्प और में रह रहे लोगों की पहचान क्या है?
यदि सभी श्रमिक स्थानीय हैं, तो यह स्पष्ट किया जाना चाहिए कि वह लेबर कैम्प में किस कारण अपना घर छोड़कर लेबर कैम्प मे क्यों रह रहे हैं। कहीं ऐसा तो नहीं कि दूसरे देशों से आए अवैध प्रवासियों को शरण दी जा रही है?
यूनिटी पत्रकार संघ ने प्रशासन की चुप्पी, विजिलेंस विभाग की निष्क्रियता और जिला प्रशासन की उदासीनता पर गहरी चिंता जताई है। उनका कहना है कि यह रवैया न केवल श्रमिकों के अधिकारों का हनन है, बल्कि क्षेत्रीय युवाओं के साथ भी अन्याय है।
संघ ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ही जांच नहीं की गई और दोषियों पर कार्रवाई नहीं हुई, तो यह चुप्पी किसी बड़ी अनहोनी को न्योता दे सकती है।
अब देखना यह है कि एनएमडीसी, विजिलेंस विभाग, जिला प्रशासन और पुलिस विभाग इस गंभीर मामले में क्या रुख अपनाते हैं—क्या वे निष्पक्ष जांच कर पारदर्शिता सुनिश्चित करेंगे, या फिर मौन रहकर बंदरबांट का हिस्सा बनेंगे?



















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