राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) के आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल में साइबर अपराध की 54 शिकायतें मिलीं जबकि मार्च में 37 और फरवरी में 21 शिकायतें मिली थी. लॉकडाउन के कारण ऑनलाइन शिकायतें प्राप्त की जा रही हैं.
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि असल में यह संख्या कहीं अधिक है.
आकांक्षा फाउंडेशन की संस्थापक आकांक्षा श्रीवास्तव ने कहा, 'हमें 25 मार्च से 25 अप्रैल तक साइबर अपराध की कुल 412 शिकायतें मिलीं.
श्रीवास्तव ने बताया कि औसतन उन्हें हर दिन 20-25 ऐसी शिकायतें मिल रही हैं जबकि लॉकडाउन से पहले हर दिन 10 से कम शिकायतें मिलती थीं.
उन्होंने कहा, 'साइबर अपराधी अभी घरों में कैद हैं तो यह उनकी हताशा को दिखाती है. पुरुष महिलाओं की तस्वीरों से छेड़छाड़ कर रहे हैं और उन्हें धमकियां दे रहे हैं. पूरा गिरोह चल रहा है जहां महिलाओं को ऐसे ईमेल मिल रहे हैं कि आपका फोन और लैपटॉप हैक कर लिया गया है तथा अगर मेरे खाते में पैसे नहीं डाले तो मैं तुम्हारी छेड़छाड़ की गई तस्वीरें सार्वजनिक कर दूंगा.'
साइबर पीस फाउंडेशन के संस्थापक और अध्यक्ष विनीत कुमार ने बताया कि लॉकडाउन के दौरान खासतौर से 'सेक्सटॉर्शन' यानी यौन शोषण के मामले बढ़ गए हैं.
'सेक्सटॉर्शन' छेड़छाड़ की गई तस्वीरों के जरिए लोगों की यौन गतिविधि के सबूत का खुलासा करने की धमकी देकर उनसे पैसा वसूलना या यौन शोषण करना है.
उन्होंने कहा, 'लोग लॉकडाउन होने के कारण ऑनलाइन रिश्ते बना रहे हैं और सेक्सटॉर्शन के मामले हमारे पास आ रहे हैं.'
उन्होंने कहा, 'लॉकडाउन के तुरंत बाद भ्रामक सूचना, फर्जी खबरें और महिलाओं से ऑनलाइन ठगी के मामले बढ़ गए जिसमें जब वे फोन पर उनकी सारी जानकारी मांगने वाले किसी लिंक पर क्लिक करती हैं तो उनका कैमरा और माइक्रोफोन खुल जाता है तथा उनके निजी पलों को कैद कर लेता है. फिर इसका इस्तेमाल ब्लैकमेलिंग के लिए किया जाता है.'
कुमार ने कहा कि कई महिलाएं इन मामलों में औपचारिक शिकायतें नहीं करना चाहतीं.
इंफोसेक गर्ल्स की संस्थापक वंदना वर्मा ने बताया कि जब पूरा देश लॉकडाउन है और लोग घर से काम कर रहे हैं तथा इंटरनेट पर काफी समय बिता रहे हैं तो साइबर अपराधी भी नए-नए हथकंडे आजमा रहे हैं.
एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि अक्सर यह देखा जाता है कि महिलाओं को यह जानकारी ही नहीं होती कि ऐसा कुछ होने पर किससे संपर्क किया जाए.
उन्होंने कहा, 'हर जिले में साइबर पुलिस है जो उनसे संपर्क कर सकती है. जरूरत पड़ने पर वे हमसे भी संपर्क कर सकती हैं.'
उन्होंने कहा, 'हम महिलाओं को सोशल मीडिया पर अपनी निजी तस्वीरें या जानकारियां साझा नहीं करने की अपील करते हैं क्योंकि यह सुरक्षित नहीं है.'
भारत में 60 करोड़ से अधिक इंटरनेट उपभोक्ता हैं और इनमें से करीब 29 करोड़ ग्रामीण इलाकों में हैं.
No comments:
Post a Comment
Please do not enter any spam link in the comment box.