छत्तीसगढ के जिला जांजगीर चांपा के बलोदा तहसील के ग्रामींण इलाकों में नदी से रेत का बड़ी मात्रा में अवैध उत्खनन किया जा रहा है। रेत के अवैध उत्खनन से शासन को प्रतिमाह लाखों रुपए की राजस्व की क्षति हो रही है। वहीं पर्यावरण संतुलन बिगड़ रहा है। हसदेव नदी से लगातार रेत का दोहन होने से नदी-नालों के अस्तित्व पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। हालाकिं प्रशासन समय-समय पर अवैध रेत का परिवहन करने वाले वाहनों पर कार्रवाई भी करता है। इसके बावजूद रेत उत्खनन और परिवहन का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।
। कलेक्टर के निर्देश पर
जांजगीर एसडीएम और बलौदा तहसीलदार अतुल वैष्णव ने 7 ट्रैक्टर और एक हाईवा दो छोटा ट्रक को अवैध रेत का परिवहन करते हुए जब्त किया। इन ट्रैक्टरों को जांजगीर कलेक्ट्रेट ले जाने का आदेश दीया। जब रिपोर्टर ने इसका जायजा लिया तो गांव वालों ने बताया कि यहां से रोज 2 से ढाई सौ ट्रिप रेत निकलती है
गौरतलब हो कि बलोदा तहसील के आस-पास के ग्रामीण इलाकों में रेत का अवैध कारोबार प्रशासन के संरक्षण पर फल-फूल रहा है। थाना व तहसील स होते हुए हर दिन बड़ी मात्रा में रेत का अवैध उत्खनन एवं परिवहन होता है। सूत्रों की माने तो कुछ स्थानीय लोग रेत के अवैध खनन में संलिप्त है। इन गांवों में सुबह के 4 बजे से रेत खनन शुरू होता है और फिर पूरी दिन खनन और परिवहन चलते रहता है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव में भी 2 हजार रुपए प्रति टे्रक्टर ट्राली रेत बेची जाती है और जब रेत के महंगे दामों के बारे में पूछा जाता है तो टे्रक्टर मालिक या चालक बताते हैं कि सभी को पैसे देने पड़ते हैं, तब कहीं जाकर रेत खनन की अनुमति मिल पाती है।
*दीपक कुमार यादव जांजगीर चांपा के साथ हितेश मानिकपुरी रायपुर छत्तीसगढ़*
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