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Sunday, July 26, 2020

सफलता की कहानी, वन अधिकार पट्टा मिलने से सुखदेव और घनश्याम हुए बेदखली से भयमुक्त



वर्षाे से काबिज भूमि के बने मालिक,
सब्जी-भाजी की खेती कर बढ़ाई आमदनी,


  जांजगीर-चांपा जिले के विकासखंड बलौदा के ग्राम खैजा निवासी घनश्याम व सहदेव का अब भूमि से बेदखली का डर खत्म हो गया है। उन्हें राज्य सरकार की योजना के तहत उनके द्वारा काबिज भूमि का वन अधिकार पट्टा मिल गया है। वर्षों से काबिज जमीन पर अब मालिकाना हक मिलने से उनके परिवार में खुशी का माहौल है। अब वे पूरे परिवार के साथ  बेफिक्र होकर खेती बाड़ी कर अपना जीवन यापन कर रहे हैं।
           घनश्याम ने बताया कि विगत वर्ष दलहन, तिलहन, सब्जी आदि की खेती से आमदनी बढ़ी है।  उसके परिवार में पत्नी के अलावा 4 बच्चे हैं। बच्चे पढ़ाई लिखाई में कर रहे हैं। उन्हें 0.048 हेक्टेयर जमीन का भू अधिकार पट्टा मिला है। इससे इनकी भविष्य और पेट पालने की चिंता से मुक्ति मिल गयी है। उन्हें अब जमीन से बेदखली का डर भी नहीं है।  पट्टे की जमीन मिलने और उस पर मेहनत कर अपने परिवार का पालन पोषण में आत्मनिर्भर बनने से समाज में उनका सम्मान बढ़ा है। अब वे भूमिहीन किसानों की गिनती में नही हैं।  उन्होंने बताया कि वर्षों से उस काबिज जमीन पर खेती करते आए हैं। लेकिन सरकार के रिकार्ड में वन विभाग की जमीन होने के कारण उन्हें बेदखल कर दिया जाता था। बेदखली के कागजात के आधार पर ही  राज्य सरकार ने उन्हें वन अधिकार पट्टा देकर चिंता से मुक्त कर दिया है। आदिवासी विकास विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राम खैजा के  सुखदेव गिरी को 0.038 भूमि पर वन अधिकार पट्टा मिला है। वे इस भूमि पर पहले से काबिज थे, लेकिन बेदखली का डर रहता था।  इस जमीन पर दलहन, तिलहन व सब्जी लगाते हैं। जिससे उसके परिवार की आमदनी बढ़ गई है। आर्थिक स्थिति में भी सुधार आया है।  घनश्याम और सहदेव ने राज्य सरकार को वन अधिकार पट्टा देने के लिए आभार व्यक्त किया है।

*नरेंद्र कुमार के साथ शीला रात्रे जिला जांजगीर चांपा छत्तीसगढ़*

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