गौरतलब है कि इससे पहले जुलाई में जब विधानसभा का सत्र आहूत किया जाना था लेकिन कोरोना की वजह से उसे सर्वदलीय बैठक में सहमति के बाद टालने का फैसला ले लिया गया था। चूकि इससे पहले विधानसभा का सत्र 24 मार्च को आहूत किया गया था और उसके बाद कोरोना की वजह से सत्र आहूत नहीं हो पाया। संवैधानिक नियमों के मुताबिक विधानसभा के दो सत्रों के बीच 06 महीने से ज्यादा का अंतराल नहीं हो सकता। यही वजह है कि 24 सितंबर से पहले सत्र आहूत करना अनिवार्य था। उधर विपक्ष लंबे वक्त से सरकार को घेरने के लिये विधानसभा सत्र का इंतजार कर रहा है। यह माना जा रहा है कि 21 सितंबर से जो सत्र आहूत किया जायेगा उसमें कांग्रेस, शिवराज सरकार को घेरने के लिये खास रणनीति तैयार करने जा रही है।कांग्रेस का निशाना सबसे ज्यादा उन मंत्रियों पर होगा जो विधायक नहीं रहते हुए भी मंत्री बन गये हैं। इसके साथ ही किसान बेरोजगारी जैसे मुद्दों को लेकर भी कांग्रेस ने शिवराज सरकार को घेरने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। वहीं सरकार के लिये यह सत्र इसलिये भी अहम है कि बजट के साथ उसे कई अहम बिल कानूनी तौर पर पारित करवाने हैं।
गौरतलब है कि इससे पहले जुलाई में जब विधानसभा का सत्र आहूत किया जाना था लेकिन कोरोना की वजह से उसे सर्वदलीय बैठक में सहमति के बाद टालने का फैसला ले लिया गया था। चूकि इससे पहले विधानसभा का सत्र 24 मार्च को आहूत किया गया था और उसके बाद कोरोना की वजह से सत्र आहूत नहीं हो पाया। संवैधानिक नियमों के मुताबिक विधानसभा के दो सत्रों के बीच 06 महीने से ज्यादा का अंतराल नहीं हो सकता। यही वजह है कि 24 सितंबर से पहले सत्र आहूत करना अनिवार्य था। उधर विपक्ष लंबे वक्त से सरकार को घेरने के लिये विधानसभा सत्र का इंतजार कर रहा है। यह माना जा रहा है कि 21 सितंबर से जो सत्र आहूत किया जायेगा उसमें कांग्रेस, शिवराज सरकार को घेरने के लिये खास रणनीति तैयार करने जा रही है।कांग्रेस का निशाना सबसे ज्यादा उन मंत्रियों पर होगा जो विधायक नहीं रहते हुए भी मंत्री बन गये हैं। इसके साथ ही किसान बेरोजगारी जैसे मुद्दों को लेकर भी कांग्रेस ने शिवराज सरकार को घेरने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है। वहीं सरकार के लिये यह सत्र इसलिये भी अहम है कि बजट के साथ उसे कई अहम बिल कानूनी तौर पर पारित करवाने हैं।
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