जिले में गत 20 जुलाई को गोधन न्याय योजना का शुभारंभ होने के साथ ही ग्रामीणों, पशुपालकों द्वारा गोबर एकत्र कर गोठान में बेचना शुरू कर दिया है। गोठान समिति के द्वारा गोठान में लाए गए गोबर का हिसाब रजिस्टर में दर्ज किया जा रहा है। इसके बाद पशुपालक, गोधन मित्र, सखी एवं स्व सहायता समूह को भुगतान करने के लिए सहकारी बैंक में खाते खुलवाए जाने की प्रक्रिया शुरू की गई।
2 हजार 880 पशुपालकों का पंजीयन-
जिपं सीईओ अग्रवाल ने बताया कि गोबर बेचने वाले पशुपालकों का भुगतान सहकारी किया जाएगा। यह भुगतान 20 जुलाई से 1 अगस्त तक गोठान में गोबर बेचने वाले पशुपालकों को किया जाएगा। उन्होंने बताया कि सहकारी बैंक से प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र की 255 गोठान पंजीकृत की गई है, इनमें से 248 गोठान क्रियाशील हैं। सहकारी बैंक के माध्यम से 2 हजार 8 सौ 80 पशुपालकों का पंजीयन किया गया। इनमें 2 हजार 216 पशुपालकों द्वारा 1 अगस्त तक गोठान में गोबर बेचा गया है। उनका अभी गोबर का भुगतान किया जा रहा है। इसके अलावा 2 अगस्त के बाद से जिन पशुपालकों ने गोबर बेचा है उनका सहकारी बैंक के माध्यम से पशुपालकों का सतत भुगतान होता रहेगा। गोठान में नवीन पशुपालकों का पंजीयन कर खाता खोला जाएगा और उनका भी भुगतान सतत प्रक्रिया के माध्यम से खाते में किया जाएगा। जिले में ग्रामीण एवं नगरीय निकाय की गोठान में 2 लाख 97 हजार 607 किलोग्राम गोबर की खरीदी 1 अगस्त तक की गई है। इस गोबर का भुगतान 5 अगस्त को 2 रूपए किलोग्राम के हिसाब से किया जाएगा, जिसकी राशि 5 लाख 95 हजार 214 रूपए पशुपालकों के बैंक खाते में सीधा पहुंचेगी।
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