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Sunday, August 2, 2020

नई शिक्षा नीति से भारत वैश्विक ज्ञान महाशक्ति बनेगा- अनिल पाण्डेय*



महेन्द्र शर्मा बंटी

नई शिक्षा नीति का अनिल पांडेय ने  स्वागत करते हुए कहा कि अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय अब पुनः शिक्षा मंत्रालय कहलायेगा । नई शिक्षा नीति मे  5+3+3+4 फॉर्मूला के तहत प्ले-स्कूल के शुरुआती साल को भी स्कूली शिक्षा से जोड़ा गया है ।नई  शिक्षा नीति के तहत पांचवीं तक और जहां तक संभव हो सके आठवीं तक मातृभाषा में ही शिक्षा उपलब्ध कराई जाएगी। अब छठी से बच्चे को प्रोफेशनल और स्किल की शिक्षा दी जाएगी। स्थानीय स्तर पर इंटर्नशिप भी कराई जाएगी। नई शिक्षा नीति बेरोजगार तैयार नहीं करेगी । पहले कक्षा एक से 10 वीं तक सामान्य पढ़ाई होती थी, फिर  कक्षा 11 वीं से विषय चुनने आजादी थी । किन्तु अब छात्रों को 9 वीं से ही विषय चुनने की आजादी रहेगी। साइंस या गणित के साथ फैशन डिजाइनिंग भी पढ़ने की आजादी होगी। इससे व्यवसायिक शिक्षा का रास्ता सरल होगा । अब 9 वीं से 12 वीं कक्षा तक सेमेस्टर में परीक्षा होगी । इससे छात्र  छात्राओं पर परीक्षा का बोझ कम होगा । नई शिक्षा नीति में दसवीं और बारहवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षाओं में बड़े बदलाव किए गए हैं। बोर्ड की परीक्षाएं होंगी, लेकिन इनके महत्व को कम किया जाएगा। साल में दो बार बोर्ड परीक्षाएं होंगी, जिससे विद्यार्थियों पर अब बोर्ड परीक्षाओं का दबाव कम हो जाएगा। बोर्ड परीक्षाओं को दो हिस्सों- वस्तुनिष्ठ और व्याख्त्मक श्रेणियों में विभाजित किया गया है। परीक्षा में मुख्य जोर ज्ञान के परीक्षण पर होगा ताकि छात्रों में रटने की प्रवृत्ति खत्म हो।  नये सुधारों में टेक्नोलॉजी व ऑनलाइन शिक्षा पर जोर दिया गया है ।
उच्च शिक्षा के लिए भी अब सिर्फ एक नियामक होगा। पढ़ाई बीच में छूटने पर पहले की पढ़ाई बेकार नहीं होगी। एक साल की पढ़ाई पूरी होने पर सर्टिफिकेट और दो साल की पढ़ाई पर डिप्लोमा सर्टिफिकेट दिया जाएगा।
 नई शिक्षा नीति के तहत एमफिल कोर्सेज को खत्म किया गया है। अब छात्र अनुसंधान में जाने के लिये तीन साल के स्नातक डिग्री के बाद एक साल स्नातकोत्तर करके पीएचडी कर सकते हैं ।
लगभग 34 साल बाद आयी नई शिक्षा नीति से वास्तव मे लार्ड मैकाले की शिक्षा नीति का अंत और भारतीय परिवेश के अनुरूप व्यापक रूप से सहीं शिक्षा नीति का दौर प्रारंभ होगा । जिसका लक्ष्य देश के विकास के लिए अनिवार्य आवश्यकता को पूरा करना है।

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