अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
लखनऊ -- सीबीआई की विशेष अदालत के जज सुरेंद्र कुमार यादव ने 28 साल पुराने बाबरी विध्वंश मामले में फैसला सुनाते हुये सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है। इस संवेदनशील मामले पर फैसला लिखने के साथ ही सुरेंद्र कुमार यादव अपने कार्यकाल से भी मुक्त हो गये। हैं। यानि इस मामले में फैसला सुनाना उनका अंतिम फैसला और यह दिन ही उनके सेवानिवृत्ति का दिन रहा। हालांकि इनका कार्यकाल एक साल पहले 30 सितंबर 2019 को ही पूरा हो गया था लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी विध्वंस मामले की सुनवाई पूरी करने और इस पर फैसला सुनाने के मकसद से उन्हें एक साल का विस्तार दे दिया था। इनको सिर्फ सेवा विस्तार ही नहीं मिला बल्कि इस मामले के चलते उनका तबादला भी रद्द किया गया। दरअसल ये एडीजे के तौर पर मामले की सुनवाई कर रहे थे तो उन्हें प्रमोट कर जिला जज बनाते हुये उनका तबादला बदायूं कर दिया गया। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में दखल दिया , मामले की संवेदनशीलता को देखते हुये सुप्रीम कोर्ट ने सुरेंद्र यादव का तबादला रद्द कर दिया। सेवा विस्तार और तबादला रोके जाने के अलावा बाबरी मामले में कोर्ट को भी अतिरिक्त वक्त दिया गया। मामले में सुनवाई कर रही कोर्ट को तीन बार टाइम दिया गया। सबसे पहले 19 अप्रैल 2017 को कोर्ट को दो साल का अतिरिक्त वक्त दिया गया। लेकिन जब 19 अप्रैल 2019 तक भी मामले में फैसला आता नहीं दिखा तो फिर से 09 महीने के लिये कोर्ट का वक्त बढ़ाया गया। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2020 तक फैसला सुनाने के निर्देश दिये , जब लगा कि ऐसा भी नहीं हो पायेगा तो सुप्रीम कोर्ट ने आखिरी बार 30 सितंबर 2020 तक फैसला सुनाने के आदेश दिये। जिसके बाद आज अपने सेवानिवृत्ति के दिन ही उनके द्वारा सभी आरोपियों को बरी किये जाने का निर्णय सुनाया गया।दिलचस्प बात यह है कि इनका अयोध्या कनेक्शन काफी पुराना रहा है , उनकी पहली तैनाती अयोध्या में ही हुई थी साथ ही उनका जन्म भी जौनपुर जिले में हुआ था। वर्ष 1192 में हुये बाबरी विध्वंस के दो साल पहले 08 जून 1990 को ही सुरेंद्र कुमार यादव ने अपनी न्यायिक सेवा की शुरुआत की थी। उनकी पहली नियुक्ति अयोध्या में हुई थी और 1993 तक वो यहां रहे थे। यानि अयोध्या में जब कारसेवकों और बीजेपी के बड़े नेताओं की मौजूदगी में बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराया गया था, उस वक्त सुरेंद्र कुमार यादव की पोस्टिंग भी अयोध्या में ही थी और आज वो मौका आया है जब उन्होंने इस बड़े संवेदनशील मामले पर बतौर सीबीआई विशेष कोर्ट जज फैसला सुनाया है। यह उनके उनके न्यायिक जीवन में किसी मुकदमे का लंबा विचारण रहा , वे इस मामले में 25 अगस्त 2015 से सुनवाई कर रहे थे , तब से ही इनको बाबरी विध्वंश मामले में स्पेशल जज नियुक्त किया गया था। इस बीच 25 नवंबर 2018 को जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पद पर प्रोन्नत हो गये। फिर भी सुप्रीम कोर्ट के 19 अप्रैल 2017 के आदेश से वे बाबरी विध्वंश मामले की सुनवाई करते रहे। ये पूर्वी उत्तरप्रदेश के जौनपुर जिले से ताल्लुख रखते हैं। इनके पिता का नाम रामकृष्ण यादव है। सुरेंद्र कुमार यादव 31 बरस की उम्र में राज्य न्यायिक सेवा के लिये चुने गये थे। फैजाबाद में एडिशनल मुंसिफ के पद की पहली पोस्टिंग से शुरू हुआ। पंद्रह दिसंबर 2008 को वे उच्च न्यायिक सेवा में शामिल हुये। उनका न्यायिक जीवन गाजीपुर, हरदोई, सुल्तानपुर, इटावा, गोरखपुर के रास्ते होते हुये राजधानी लखनऊ के जिला जज के ओहदे तक पहुंँचा।
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