गुण्डरदेही । किसानों के समर्थन में मंगलवार को संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद के नेतृत्व मे कांग्रेसियों द्वार कंचादुर से गुण्डरदेही तक पदयात्रा निकालकर यात्रा सभा मे तब्दील हुई । सभा को संबोधित करते हुए संसदीय सचिव कुंवर सिंह निषाद ने कहा कि मोदी सरकार ने तीन नए कृषि कानून बनाया है । उसे तत्काल रद्द करना चाहिए । पहला कानून कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य विधेयक है । इसमें सरकार कह रही कि वह किसानों की उपज को बेचने के लिए विकल्प को बढ़ाना चाहती है किसान इस कानून के जरिए अब कृषि उपज मंडियों के बाहर निजी मंडियों में अपनी उपज को ऊंचे दामों पर बेच पाएंगे किसानों को निजी खरीदारों से बेहतर दाम मिलेगा पर सच यह है कि इसके जरिए बड़े कारपोरेट खरीदारों को खुली छूट दी गई है । इसका असर यह होगा कि निजी मंडियों को खुली छूट मिलने से आने वाले वक्त में कृषि उपज मंडियों की प्रासंगिकता को समाप्त कर देगी मंडी के बाहर नए बाजार पर पाबंदियां नहीं है और ना ही कोई निगरानी । कानून में प्रावधान है । कि सरकार को अब बाजार में कारोबारियों के लेनदेन कीमत पर खरीद की मात्रा की जानकारी नहीं होगी बड़े उद्योगपतियों कारपोरेट घरानों के जाल में फंसकर यह कानून बनाया गया है । कानून के अनुसार सरकार बाजार में दखल देने जरूरी जानकारी प्राप्त नहीं कर पाएगी कृषि सुधार के नाम पर किसानों को निजी बाजार के हवाले किया जा रहा है । संसदीय सचिव निषाद ने आगे कहा कि हाल ही में देश के बड़े पूंजीपतियों ने रिटेल ट्रेड में आने के लिए कंपनियों का अधिग्रहण किया है। सबको पता है कि पूंजीपति कारपोरेट घराने एक समांतर मजबूत बाजार खड़ा कर देंगे इनके प्रभाव के आगे पूरी मंडी व्यवस्था खत्म हो जाएगी ठीक वैसे ही जैसे मजबूत निजी टेलीकॉम कंपनियों के आगे बीएसएनएल समाप्त हो गई वर्तमान व्यवस्था के तहत मंडियां ही एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) तय करती है । यह खत्म होगी तो एमएसपी की पूरी व्यवस्था धीरे-धीरे खत्म हो जाएगी. नतीजा यह होगा कि किसान औने पौने दाम में फसल बेचेंगे । उन्होंने बिहार का फार्मूला भी किसानो को बताया । कहा बिहार सरकार ने यह फार्मूला लागू किया और किसान तबाही के कगार पर पहुंच गए । बिहार का हाल यह है कि सबसे कम कृषि आय वाले राज्य में आज बिहार अग्रणी है । इसके बावजूद इस कानून को पूरे देश के लिए क्रांतिकारी बताया जा रहा है । एक भी ऐसा सफल उदाहरण नहीं है । जहां खुले बाजार की व्यवस्था से किसान अमीर बन गए हो । ब्लाक अध्यक्ष भोजराज साहू ने कहा कि सरकार कह रही है कि निजी क्षेत्र में आने से किसानों को लंबे समय में फायदा होगा बिहार में सरकारी मंडी व्यवस्था 2006 में ही खत्म हो गई थी. 14 वर्ष बीत गए स्थिति यह है कि वहां के किसानों को आज सबसे कम दाम पर उपज बेचने पड़ रहे है । सरकारी मंडी खत्म करने से किसान समृद्ध होते तो बिहार अब तक कृषि आय में अग्रणी राज्य बन जाता. वहां आज भी किसान आत्महत्या कर रहे हैं । दूसरे कानून के बारे में कहा कि केंद्र सरकार का कहना है कि वह किसानों और निजी कंपनियों के बीच में समझौते वाली खेती का रास्ता खोल रही है । दरअसल में यह कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग है । इस कानून के तहत किसान की जमीन को एक निश्चित राशि पर एक पूंजीपति व ठेकादार किराए पर लेगा और अपने हिसाब से फसल का उत्पादन कर बाजार में बेचेगा यानी किसान बंधुआ मजदूर बनकर रह जाएंगे विवाद की स्थिति में कारपोरेट घराने केस जीत जाएंगे सच यह है कि देश के अधिकतर किसान तो कॉन्ट्रैक्ट ना पढ़ पाएंगे ना समझ पाएंगे कानून के अनुसार विवाद होने पर कॉन्ट्रैक्ट कंपनी के साथ किसान का विवाद 30 दिन के अंदर निपटाया जाएगा अगर ऐसा नहीं हो पाया तो किसानों को ब्यूरोक्रेसी के सामने न्याय के लिए हाजिर होना पड़ेगा इसमें भी न्याय न मिला तो 30 दिन के लिए एक ट्रिब्यूनल के सामने पेश होना पड़ेगा हर जगह एसडीएम अधिकारी मौजूद रहेंगे. धारा 19 में किसान को सिविल कोर्ट के अधिकार से भी वंचित रखा गया है । यानी किसानों को उपज सही दाम हासिल करने के लिए महीनों तक का चक्कर काटना पड़ेगा । तीसरा कानून मे यह है कि । इस कानून से कृषि उपज जमा करने की कोई सीमा नहीं होगी उपज जमा करने के लिए निजी निवेश को छूट रहेगी सरकार को पता नहीं चलेगा कि किसके पास कितना स्टाक है और कहां है । यह तो जमाखोरी और कालाबाजारी को कानूनी मान्यता देने जैसा है ।सरकार ने कानून में साफ लिखा है कि वह सिर्फ युद्ध या भुखमरी या किसी बहुत विषम परिस्थिति में ही रेगुलेट करेगी सरकार कह रही है कि किसान उपज का भंडारण कर मार्केट में दाम सही होने पर अपनी उपज बेच सकेंगे पर सवाल यह है कि देश के 90 फ़ीसदी किसानों के पास भंडारण की सुविधा नहीं है यह सुविधा कारपोरेट घरानों के पास है । लिहाजा इस कानून के जरिए कारपोरेट घराने आसानी से अनाज की जमाखोरी करेंगे और रेट बढ़ाकर बेचेंगे. इसका सीधा फायदा इन पूंजीपतियों को होगा जिनके पास भंडारण व्यवस्था बनाने के लिए एक बड़ी पूंजी उपलब्ध है । वह आसानी से सस्ती उपज खरीदकर स्टाक करेंगे और जब दाम आसमान छूने लगेंगे तो बाजार में बेचकर लाभ कमाएंगे । श्री निषाद ने कहा कि केंद्र सरकार अगर किसानों की हितैषी है । तो किसानों की एमएसपी का कानूनी अधिकार देने के साथ ही एमएसपी बढ़ाएं ताकि किसानों को उपज का सही दाम मिल सके । जिस तरह छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार धान सहित अन्य उपज अधिक दाम पर खरीदने राजीव गांधी न्याय योजना शुरू की है । उसी तरह सरकार पूरे देश के किसानों की आय बढ़ाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने की घोषणा करें वरना कारपोरेट घरानो को फायदा पहुंचाने के लिए और किसानों को आर्थिक रुप से बर्बाद करने के लिए लागू किए गए कृषि कानूनों को तत्काल रद्द करे । पदयात्रा मे जिला पंचायत अध्यक्ष सोनादेवी देशलहरा ब्लाक अध्यक्ष भोजराज साहू जिला कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधि प्रकाश नाहटा संजय साहू सलीम खान नुरुल्ला खान केके राजू चंद्राकर तोरण चंद्राकर रवि राय फैजबख़्स रिज़वान तिगाला अभिषेक यादव मानसिंह देशलहरा तामेश्वर देशमुख सहित बड़ी संख्या मे कांग्रेस के कार्यकर्ता व किसान उपस्थित थे ।
सी एन आई न्यूज के लिए गुण्डरदेही से भानु साहू की रिपोर्ट
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