अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
मेरठ - अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति बटोर चुकी और राष्ट्रीय स्तर पर पचास से अधिक पदक जीतकर कामयाबी हासिल करने वाली बागपत के जौहड़ी गांव निवासी अंतर्राष्ट्रीय वयोवृद्ध शूटर दादी चंद्रो तोमर (89 वर्षीया) का मेरठ के मेडिकल कॉलेज में उपचार के दौरान निधन हो गया है। बीते मंगलवार को उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ गई थी। उनका मेरठ के आनंद अस्पताल में इलाज चल रहा था। उन्हें सांस लेने में दिक्कत महसूस हो रही थी। उनकी मौत का कारण ब्रेन हेम्ब्रेज बताया जा रहा है। गौरतलब है कि वर्ष 1998 में जौहड़ी में शूटिंग रेंज की शुरुआत डॉ. राजपाल सिंह ने की। लाड़ली पौत्री शेफाली तोमर को निशानेबाजी सिखाने के लिये वह रोज घर से शूटिंग रेंज तक जाती थी। शेफाली शूटिंग सीखती और चंद्रो तोमर देखती रहती थी।
एक दिन चंद्रो तोमर ने एयर पिस्टल शेफाली से लेकर खुद निशाना लगाया। पहला निशाना दस पर लगा… दादी की निशानेबाजी देख रहे बच्चों ने तालियां बजायी। तब इनका उम्र 60 वर्ष से भी अधिक था और यहीं से चंद्रो तोमर की निशानेबाजी का सफर शुरु हुआ। इस उम्र में भी उन्होंने निशानेबाजी को अपना केरियर बनाया था। इसके बाद उन्होंने कई राष्ट्रीय प्रतियोगितायें जीती। इन्हें विश्व की सबसे उम्रदराज निशानेबाज माना जाता है। प्रख्यात फिल्मकार अनुराग कश्यप ने उनके जीवन पर आधारित एक फिल्म सांड की आंख का निर्माण किया और इसके जरिये उन्हें पूरी दुनियां में पहचान मिली।
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