अरविन्द तिवारी की रिपोर्ट
रायपुर - भगवत्पाद शिवावतार आद्य शंकराचार्य महाभाग के 2528 वाॅं प्राकट्य महोत्सव कल बैशाख शुक्ल पंचमी, सोमवार दिनांक 17 मई 2021 को पूरे देश में उल्लासपूर्वक मनाया जायेगा। इस महान पर्व के उपलक्ष्य में पूजन आराधना , रूद्राभिषेक, सहस्त्रार्चन , जप, पाठ आदि कार्यक्रम सनातन वैदिक परम्परा से शास्त्रीय विधि से सम्पन्न होगा। ध्यान रहे महामारी संकटकाल में सुरक्षित रहते हुये सर्वजनकल्याणार्थ पूज्यपाद गुरुदेव भगवान पुरीपीठाधीश्वर जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी श्री निश्चलानन्द सरस्वती जी महाभाग द्वारा प्रसारित संदेशों के अनुसार अपने अपने घरों में कार्यक्रम आयोजित करेंगे ।
जिसमें सामूहिक प्रार्थना तथा आदिगुरु शंकराचार्य के जीवन दर्शन पर चर्चा गोष्ठी , परिवार के बीच में बच्चों से संवाद तथा यांत्रिक विधा से प्रसारण, दार्शनिक, वैज्ञानिक एवं व्यवहारिक धरातल पर शंकराचार्य जी का सिद्धांत , विचार और अभियान सामाजिक, सांस्कृतिक, राजनैतिक दृष्टि से आज कितना प्रासंगिक है , उसकी उपयोगिता तथा महत्ता पर प्रकाश डाले जिससे सब के हृदय में शंकराचार्य जी के आदर्श परम्परा के प्रति आस्था बढ़े। अपने अपने जिले एवं क्षेत्र में प्रेस , मीडिया तथा सोशल मीडिया में फोटो, वीडियो सहित अधिक से अधिक प्रचार प्रसार का प्रयास करें । इस पुनीत अवसर पर भगवान शंकराचार्य जी के चरणों में पुष्पांजलि समर्पित करते हुये प्रार्थना करें कि यथाशीघ्र महामारी संकट का निवारण हो , समाज में सुख, शांति, समृद्धि के साथ सनातन संस्कृति के अनुरूप शासनतंत्र की स्थापना हो। आज हम सब संकल्प लें ---
हिन्दुओं के प्रशस्त मानबिन्दुओं की रक्षा हो ; शासनतंत्र परंपराप्राप्त व्यासपीठ सामंजस्यपूर्ण संवाद के द्वारा मार्गदर्शन प्राप्तकर भव्य भारत की संरचना में सफल हो ; सुसंस्कृत, सुशिक्षित, सुरक्षित , सम्पन्न, सेवापरायण , सर्वहितप्रद व्यक्ति तथा समाज की संरचना राजनीति तथा विकास की परिभाषा हो । अंत में शासनतंत्र का विशेष ध्यान आकृष्ट करते हुये राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पीठ परिषद एवं छत्तीसगढ़ प्रदेशाध्यक्ष आचार्य झम्मन शास्त्री ने चर्चा के दौरान अरविन्द तिवारी को बताया कि आद्य शंकराचार्य जयंती के दिन अवकाश घोषित हो जिससे पूरे देश में एकता के साथ हिन्दुओं के सार्वभौम धर्मगुरु के रूप में शंकराचार्य जयंती उल्लासपूर्वक आयोजित हो ; श्री शंकराचार्य महाभाग का जन्मकाल जो पूर्ण प्रमाणित है ,
सभी चार मान्य पीठ के शंकराचार्य ईसा से 507 वर्ष पूर्ण मानते हैं , उसे ही केन्द्र एवं राज्य सरकार वास्तविक जन्मकाल घोषित करे। शंकराचार्य जी का आविर्भाव काल आज से 2528 वर्ष पूर्व है, जिसे षड्यंत्रपूर्वक आठवीं शताब्दी इतिहास में दर्ज करना घोर अपराध है ; देश में तथाकथित स्वयंभू धर्माचार्य जगद्गुरु शंकराचार्य के रूप में भ्रमण कर रहे हैं , यथाशीघ्र इनके ऊपर कठोर दंडात्मक कार्यवाही हो जिससे व्यासपीठ की महान महिमा मंडित परम्परा सुरक्षित रहे , इसी में सबका कल्याण भी है।
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