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Saturday, May 29, 2021

मरवाही के कमियां की प्रथम पुण्यतिथि पर विशेष, स्मृति शेष - अजीतजोगी ।

गौरेला पेंड्रा मरवाही 

गौरेला पेंड्रा से ब्यूरो रिपोर्ट 



 गौरेला पेंड्रा/मरवाही -  छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री एवं मरवाही विधायक अजीत जोगी जी की आज प्रथम पुण्यतिथि है।  दो दशक से ज्यादा समय तक छत्तीसगढ़ एवं कोटा मरवाही विधानसभा क्षेत्र की राजनीति का एक देदीप्यमान नक्षत्र  रहे अजीत जोगी को गौरेला पेंड्रा मरवाही सहित छत्तीसगढ़ के लोगो का जल्दी से भुला पाना मुश्किल है। सार्वजनिक एवं राजनीतिक जीवन में दखल रखने वाले राजनीतिक पंडित यह बात अच्छी तरह से जानते है कि अजीत जोगी जैसे दमदार नेता के के ना रहने के बाद मरवाही एवं छत्तीसगढ़ को जो क्षति हुई है उसकी पूर्ति निकट भविष्य में संभव नहीं है अजीत जोगी भारत की राजनीति में एक ऐसा राजनीतिक चेहरा थे जो गरीब पिछड़े हरिजन आदिवासियों की राजनीति करते थे। नर्मदा खंड गौरेला पेंड्रा अंचल में जन्मे पले बढ़े अजीत जोगी में छात्र जीवन से ही प्रतिभा कूट-कूट कर भरी थी। एक गरीब परिवार में जन्म लेने के बावजूद वे पहले इंजीनियर फिर आईपीएस अधिकारी फिर आईएएस एवं बाद में राजनीति में ऊंचाइयों पर रहे। सीधी शहडोल इंदौर एवं रायपुर में एक चर्चित एवं संवेदनशील कलेक्टर के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले अजीत जोगी पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी के कहने से आईएएस की नौकरी छोड़ कर कांग्रेश की राजनीति में प्रवेश किए। वे कांग्रेसमें राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाए गए बाद में उन्हें कांग्रेसमें राज्यसभा सदस्य मनोनीत किया गया। अजीत जोगी जी के जीवन में राजनीतिक मोड़ तब आया जब  उन्हें कांग्रेस पार्टी ने नए छत्तीसगढ़ राज्य गठन उपरांत वर्ष 2000 में छत्तीसगढ़ का मुख्यमंत्री बनाया। कांग्रेस की राजनीति में यह एक बड़ी घटना थी क्योंकि उस समय नवगठित छत्तीसगढ़ राज्य में मुख्यमंत्री बनने की कतार में विद्याचरण शुक्ल जैसे कद्दावर नेता मुख्यमंत्री बनने की कतार में थे। तमाम विरोधाभास के बावजूद अजीत जोगी छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री बनाए गए तथा उन्होंने मरवाही विधान सभा क्षेत्र से फरवरी 2001 में विधायक का उपचुनाव लड़ा। उस चुनाव की खास बात यह थी कि अजीत जोगी के लिए मरवाही सीट भाजपा के तत्कालीन विधायक रामदयाल उइके ने खाली की। छत्तीसगढ़ के राजनीतिक आसमान में यह एक बड़ी घटना थी कि किसी बड़े विपक्षी राजनीतिक दल के विधायक द्वारा विरोधी दल के मुख्यमंत्री के लिए अपनी सीट खाली की गई। अजीत जोगी सुरक्षित आदिवासी सीट मरवाही से 52000 से भी अधिक मतों से विधायक निर्वाचित हुए। इसके बाद तो जैसे छत्तीसगढ़ में विधायकों का अजीत जोगी के पक्ष में बड़ी संख्या में विधायक एवं नेता समर्थन देते हुए कांग्रेश प्रवेश किया। अजीत जोगी के छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बनने तथा बाद में मरवाही विधायक चुने जाने का सुखद परिणाम यह हुआ कि छत्तीसगढ़ का दूरस्थ वनांचल क्षेत्र में फैले मरवाही विधानसभा क्षेत्र के गांवों में विकास की रोशनी पहुंची। जोगी जी मुख्यमंत्री बनने के बाद मरवाही विधानसभा के सुदूर वनांचल गांव बस्ती बगरा, से लेकर अंधियारखोर, डांडजमड़ी से लेकर कांसबहरा बेलझिरिया जलेश्वर जैसे दुर्गम स्थानों एवं पहाड़ों से होकर सड़कों का जाल बिछाया। मरवाही क्षेत्र में सिंचाई योजनाओं पर कार्य शुरू किया गया। बिजली पहुंचाई गई स्वास्थ्य सुविधाओं को उन्नत करने का प्रयास किया गया तथा उनके मुख्यमंत्री रहते तथा मुख्यमंत्री रहने के बाद अभी पर्यंत उन्होंने मरवाही क्षेत्र के ग्रामीण जनता का मान सम्मान एवं मनोबल बढ़ाया। गांव के छोटे छोटे कार्यकर्ताओं को नेता के रूप में पहचान दी। जिन गरीब लोगों की कोई नहीं सुनता था उन लोगों की आवाज बन जाते थे अजीत जोगी।जोगी के मुख्यमंत्री रहते यहां विकास के अनेक बड़े-बड़े काम हुए। एक और बात यह हुई अजीत जोगी के मरवाही क्षेत्र से नेतृत्व संभालने के बाद भारत के राजनीतिक नक्शे में मरवाही को एक बड़ा नाम मिला जो मरवाही क्षेत्र के लिए गौरव का विषय रहा। मुख्यमंत्री बनने के बाद हुए विधानसभा उप चुनाव फरवरी 2001के समय ही अजीत जोगी जी ने मरवाही एक एक गांव का दौरा किया। एक एक ग्रामीण का विश्वास जीता। ग्रामीणों से सीधे जुड़े तथा मरवाही ही नहीं पूरे छत्तीसगढ़ में एक लोकप्रिय जन नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई। जब अजीत जोगी मुख्यमंत्री रहे तो आम आदमी की पहुंच सीधे सीएम हाउस एवं मंत्रालय में रही। कोई आडंबर या आवरण अजीत जोगी अपने और आम ग्रामीण के बीच में रखना पसंद नहीं करते थे। वे ग्रामीणों से सीधे संवाद करना पसंद करते थे। मुख्यमंत्री के पद से हटने के बाद भी आखरी तक रायपुर में अजीत जोगी के सागौन बंगले से लेकर पूरे छत्तीसगढ़ एवं गौरेला पेंड्रा मरवाही तक अजीत जोगी के पीछे जनता का हजूम जमा होता रहा।मरवाही का आम आदमी इस बात को समझ चुका था कि अजीत जोगी के रूप में उन्हें मजबूत नेतृत्व मिला है इसलिए तमाम बदलती हुई राजनीतिक परिस्थितियों के बावजूद मरवाही विधानसभा क्षेत्र से अजीत जोगी जीवन पर्यंत अपराजेय रहे। अजीत जोगी का पूरा जीवन राजनीतिक उतार-चढ़ाव से भरा रहा इसके बावजूद भी वह कभी चुनौतियों से नहीं हारे ,वे हर परिस्थितियों में संघर्ष के लिए तैयार रहें। वर्ष 2004 के विधानसभा चुनाव के बाद जिस तरह से अजीत जोगी के प्रतिकूल राजनीतिक परिस्थितियां निर्मित होती रही उनके बावजूद अजीत जोगी पूरे दमखम के साथ मरवाही विधानसभा सहित छत्तीसगढ़ में अपने समर्थक नेताओं एवं कार्यकर्ताओं के साथ रहे। अपने छोटे से छोटे काम या बड़े से बड़े काम के लिए मरवाही क्षेत्र का कोई ग्रामीण यदि अजीत जोगी के पास जाता तो अजीत जोगी उसका हाल चाल पूछ कर यही  बोलते कि किसे फोन करूं,,। ग्रामीण की समस्या को समझ कर अजीत जोगी अपने निजी सहायकों को निर्देश देते कि फला मंत्री या फलां अधिकारी को फोन लगाओ,, और बड़ी से बड़ी मुश्किलों से अजीत जोगी ग्रामीण को निजात दिला देते यही कारण रहा कि अजीत जोगी को मरवाही में भरपूर समर्थन एवं प्यार मिलता रहा। महासमुंद में सांसद के चुनाव के समय उनका दुर्घटनाग्रस्त होना उनके जीवन की एक बड़ी घटना रही। वे इस घटना के बाद व्हीलचेयर पर आ गए। शारीरिक कष्ट और कमजोरियों को उन्होंने अपने चेहरे पर झलक ने नहीं दिया। व्हील चेयर पर होने के बावजूद वे जनता के नेता बने रहे जनता से जुड़े रहे। जब उन्होंने राजनीतिक परिस्थितियों को देखते हुए कांग्रेश को छोड़ा और अपनी स्वयं की राजनीतिक पार्टी छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस जे बनाई और चुनावी राजनीति में अपना खूब रंग जमाया।  उनकी कर्मठता, आत्मविश्वास एवं दृढ़ता के उनके विरोधी भी कायम रहे। वे हजारों लोगों के रोल मॉडल थे। जीवन में तमाम उतार-चढ़ाव देखे पर कभी  उनके चेहरे पर बहुत कभी दीनता या भीरुपन नहीं झलका। जन सामान्य से उन्होंने अपनापन हासिल किया यह उनकी अपनी सिद्धहस्त सत्ता और पूंजी थी। लगातार उतार-चढ़ाव के स्वास्थ्य के बावजूद वे मरवाही की जनता के सतत संपर्क में रहे। 15 मार्च 2020 को उनका मरवाही क्षेत्र का आखिरी दौरा हुआ था।  गौरेला पेंड्रा मरवाही क्षेत्र सहित छत्तीसगढ़ के कोने कोने में अजीत जोगी के समर्थक एवं चाहने वाले हैं। अजीत जोगी भले ही अब नहीं रहे परंतु हजारों लोगों के दिलों में उनका राज चलता रहेगा।

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