राजनांदगांव
*छुईखदान शहीद नगरी से मात्र दो-तीन किलोमीटर दूर एक छोटा सा गांव ग्राम धारिया में साहू समाज में जन्मे टाहल साहू पिता श्रींभागवत साहू जी के यह के टाहल कला संस्कृति में उभरता हुआ एक नन्हा साहू समाज का उभरता हुआ
सितारा है जो अभी खैरागढ़ यूनिवर्सिटी में 2ईयर में पढ़ाई कर रहा है माध्यम वर्गीय परिवार में जन्मे, शानदार सितारा जो तबला, मंजीरा, ढोलक, नगाड़ा, बेंजो, कोरस,झुमका एवम अन्य साथ ही नित्य जैसे कला संस्कृति में आगे है
और लोक गायक आदरणीय बिहारी साहू जी के साथ मिलकर अपने कलाकृति को बखूबी जन जन तक पहुंचा कर छत्तीसगढ़ी संस्कृति को बचाने का भरसक प्रयास में लगे हुए हैं,
मध्यमवर्गीय में जन्म लेने के बावजूद कला संस्कृति में अपनी रोचकता के कारण कला संस्कृति को बचाने के प्रयास में लगकर लोगों को भी प्रेरित कर रहे हैं और साहू समाज का नाम रोशन कर रहा है साथ ही अपने आसपास होने वाले कार्यक्रमों में एवं अपने कॉलेज के
कार्यक्रमों में अपना महत्वपूर्ण सहयोग देकर अपने और अपने माता-पिता समाज देश का नाम रोशन कर रहा है छोटे से उम्र में इतनी बड़ी सोच को सलाम किया जाता है और ऐसे संस्कृति को बचाने वाले युवा युवती को बड़े स्तर में सम्मान दिया जाना चाहिए।*
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