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Thursday, September 16, 2021

*पखांजूर को जिला बनाने और प्राथमिक स्कूलों मे बंगला भाषा विकल्प की मांग का छात्र युवा मंच ने सौंपा ज्ञापन



विजय मजूमदार पखांजुर ------–छत्तीसगढ़ में जैसे ही नए ज़िले की घोषणा हुई एक ओर जहां पूरा राज्य ख़ुशी मना रहा था वही दूसरी ओर छत्तीसगढ़ का ही एक ऐसा हिस्सा जो छत्तीसगढ़ के कांकेर ज़िले से आख़री छोर जो महाराष्ट्र के सीमा से सटा हुआ पखांजुर जो अपने आप मे छोटे बड़े लगभग 200 गांव को खुद में समेटे हुए बैठा है जिसकी लगभग लाखों की आबादी की निगाहें भी जिले की आस लिए बैठा था कि अगला नाम पखांजुर का होगा पर ऐसा नही हुआ |छात्र युवा मंच कांकेर के अध्यक्ष नीलकमल बाड़ाई* का कहना हैं कि पखांजूर को जिला बनाया जाना चाहिए | आज भी कई गांव क्षेत्र में मौजूद है जहाँ अबतक मूलभूत सुविधाएं मुहैया नही हो पाई | जिला बनाने पर इन चिजो पर चर्चा होगी और इनका लाभ मिल पायेगा |कांकेर ज़िला मुख्यालय से जिले का आख़री छोर का गांव 150 किमी की दूरी पर है ग्रामीण जिला मुख्यालय के अधिकारियों तक पहुँचने नाकाम होते है जिला मुख्यालय के आला अधिकारियों की नजरें इस क्षेत्र से अछूता रह जाता है जिसका खामियाजा आम लोगो को भुगतना पड़ जाता हैशासन के महत्वपूर्ण योजनाओं का फायदा या तो पहुँचा नही अगर पहुँच भी जाये तो भ्रष्टाचार के भेंट चढ़ जाता है शिक्षा के नाम पर महाविद्यालय पर किसी आला अधिकारियों की नजरें नही विगत कई सालों से प्रोफेसर ही नही बच्चों का भविष्य अंधेरे मेंहै स्वास्थ्य के नाम पर अस्पताल में ब्लडबैंक नही जिससे न जाने जिला अस्पताल पहुँचते हुए कितनो की मौत हो जाती है,प्रदेश महामंत्री प्रसंजीत सरकार* का कहना हैं कि प्राथमिक स्कूलों मे बंगला भाषा का विकल्प रखना चाहिए जब बच्चों को प्रथम से ही बंगला भाषा सिखने को मिलेगा तब ही वे 6वी से 12 वी कक्षाओं तक पढ़ पायेंगे | बता दे की 6 वी से 12 वी तक बंगला भाषा का विकल्प है किंतु पहली से 5वी तक नही है | स्थानीय शिक्षक ही बच्चों को बंगला का ग्यान देते है उसके अलावा सरकार से बंगला भाषा का विकल्प नही है | बच्चों की नीव पहले से ही मजबूत होनी चाहिए  तभी वह आगे बढ़ता है |अमित- सुमन का कहना है इस क्षेत्र से किसानों द्वारा भारी मात्रा में धान, मक्का ,सब्जी,मछली, के अलावा वन विभाग का बॉस, इमारती लकड़ी, को इस क्षेत्र से एकमात्र सडक से लिया जाता है जिस सड़क का भारी वाहनों से जर्जर का खामियाजा उन आम लोगो को भुगतना पड़ता है जो इस 200 गांव में अपना जीवन बिताते हैं जिनके असुविधा पर किसी को कोई चिंता ही नही ज्ञापन देने


- विष्णु मिस्त्री, अमित दास, सुमन ढाली,विश्वजीत देवनाथ, विप्लव विश्वास, विप्लव देवनाथ, कृष्णा, शौरभ अधिकारी |

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