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Wednesday, September 15, 2021

राष्ट्रीय एकता को बनाए रखने में हिंदी सामर्थ्यवान --कैलाशचंद्र अग्रवाल

 



मोहन द्विवेदी की रिपोर्ट 


चाम्पा -- साहित्यिक-सांस्कृतिक अक्षर साहित्य परिषद एवं महादेवी साहित्य समिति के संयुक्त तत्वावधान में हिंदी दिवस समारोह नगरपालिका वाचनालय सभागार में मनाया गया। इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि कैलाशचंद्र अग्रवाल ने कहा कि राष्ट्रीय एकता को बनाये रखने में हिंदी सामर्थ्यवान हैं। हिंदी अपनी वैज्ञानिकता , स्वरुप और व्यवहार में सबके लिये सुगम हैं।संरक्षक डॉ रमाकांत सोनी ने कहा कि हिंदी इस देश की भाषा ही नहीं बल्कि इस देश की संस्कृति और आत्मा हैं। हिंदी एक विकासशील एवं वैज्ञानिक भाषा हैं। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि श्रीमती सुशीला देवी सोनी ने कहा कि राष्ट्र भाषा से ही राष्ट्र की पहचान होती हैं जिसमें पूरे राष्ट्र का स्वाभिमान झलकता हैं। परिषद के अध्यक्ष रामनारायण प्रधान ने कहा कि राजभाषा एक संवैधानिक शब्द हैं , जबकि राष्ट्रभाषा स्वभाविक रुप से सृजित शब्द है। राजभाषा प्रशासन की भाषा है जबकि राष्ट्रभाषा जनता की भाषा हैं। कार्यक्रम का प्रारंभ मंचस्थ अतिथियों के द्वारा माता सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन पूजन-अर्चन से हुआ। कार्यक्रम के प्रथम सत्र का संचालन रामनारायण प्रधान ने किया। काव्य संध्या की मधुर शुरुआत सत्यभामा साव ने इन शब्दों से की "इन नयनों की सीपी में पाल रखें हैं मैंने कितने मोती छलक-छलक पड़े हैं जब-तक अगुरी में उन्हें छिपा नहीं रखती। हिंदी दिवस पर अल्पना सोनी की रचना "सारा जहां ये जानता है कि ये ही हमारी पहचान हैं संस्कृति , कला हमारी हिंदी से ही हिंदुस्तान हैं"। वहीं राधिका सोनी की कविता  "बड़ी मोहब्बत भरी हैं जिसमें , जिससे जुड़ी हर आशा हैं , मिश्री से भी मीठी हैं जो वो हिन्दी हमारी भाषा हैं"  पर तालियां बटोरी। संगीता- सुरेश पाण्डेय ने कहा कि अपने लक्ष्य तक पहुंचे बिना पथ में पथिक विश्राम कैसा हैं ?  ने चरैवेति-चरैवेति का स्मरण कराया।" श्रीमति अन्नपूर्णा देवी सोनी  ने  "मेरे जख्मों को खुद समझों, जुबानी क्या कहूं " अपनी रचना के माध्यम से हिंदी की पीड़ा व्यक्त की। हिंदी दिवस पर श्रीमति सरोजनी सोनी , राजेश कुमार सोनी , अधिवक्ता महावीर प्रसाद सोनी , शशिभूषण सोनी , जन्मेजय साहू , सागर प्रधान व डॉक्टर रमाकांत सोनी ने अपनी सरस रचनाओं से श्रोताओं को रसविभोर कर दिया। काव्य सत्र का संचालन महावीर प्रसाद सोनी और आभार शशिभूषण सोनी ने किया ।

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