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Thursday, October 14, 2021

विजय दशमी का पर्व‌‌‌ रावण वध अधर्म‌‌‌ पर धर्म‌‌‌ की जीत ।

 विजय दशमी का पर्व‌‌‌ रावण वध अधर्म‌‌‌ पर धर्म‌‌‌ की जीत ।



सी एन आई न्यूज साल्हेवारा से चन्द्रभूषण यदु की रिपोर्ट ।


साल्हेवारा - वनांचल क्षेत्र साल्हेवारा बकरकटटा रामपुर में विजय दशमी का पर्व‌‌‌ रावण का वध कर धूमधाम से मनाया जाता है यह परम्परागत हमारे पूर्वजों ने विगत काल से  अधर्म‌‌‌ पर धर्म‌‌‌ की जीत असत्य पर सत्य की जीत का महा पर्व‌‌‌ के रुप में मनाते  आ रहे  हैं।दूराचारी रावण का वध भगवान राम ने त्रेतायुग युग में किया था ।बलशाली सम्राट राजा की चारों दिशाओं में तूती बोलती थी ।

    रावण लंका का राजा था जात का ब्राम्हण महा प्रखंड विद्वान था राक्षसों का राजा सोने की लंका खुबसूरत नगर का राजवीर था ।रावण ने शनि देव को अपने हाथों के खोखली में छ: माह तक दबा कर रख लिया था ।महा प्रतापी राजा था ।

   एक बार की बात है भगवान शंकर ने माता पार्वती के कहने पर सोने की महल भगवान विश्वकर्मा से खुब सुरत बनाने कहा । विश्वकर्मा जी ने विश्व विख्यात ऐशिया का सोने की महल बना दिया ।गृह प्रवेश के लिये ब्राम्हण की आवश्यकता पड़ी जिसमें राक्षस राज महाप्रतापी रावण को पूजा के लिये बुलाया गया ।रावण पुजा करते करते महल को घुर घुर कर देखता कभी माता पार्वती को निहारता गृह प्रवेश पुजा के बाद दक्षिणा की बारी आयी तो रावण ने भगवान शंकर को सोने की महल को ही मांग डाला भोलेनाथ बड़े दयालु सोने के महल को ही दान कर दिया ।

  अब बारी आयी भुर्सी दक्षिणा की बार बार  माता पार्वती को देख रहा था भोलेनाथ समझ गये की रावण माता पार्वती को  मांग रहें है ।और रावण ने कहा जब इतनी अच्छी महल सोने का दिये हो तो इसका देखभाल कौन कर सकता है इसके पार्वती को दान में दीजिये ।

   भगवान शंकर ने दे दिया जब महल को ले जाने लगे तो देव दुतों ने रावण से कहा की आपके साथ जो माता पार्वती जा रही है वो माया की देवी है असली पार्वती तो भोलेनाथ के साथ है ।रावण ने वही माता पार्वती को उतार दिया और सोने की लेकर  रावण लंका पहुँच गया ।

   ऐसा था रावण का नियत जहां खुब सुंदर सुशील सुकुमारी हंसमुख कोमल दिखा की नजर गढा कर उसके पीछे पड़ जाना माता सीता को साधू के वेष में हरकर ले गया मायावी होने के कारण तरह तरह का छल प्रपंच कपट रुपी मोह जाल में फंसाने की कोशिश किया ।रावण का अत्याचार से लंका का विनाश हो गया रावण का एक लाख बेटा सवा लाख नाती में कोई दीपक जलाने लायक नही बचा ऐसे ही अहं रुपी रावण का सत्यानाश हो गया ।

    आज कलयुग भी रावण राज की तरह गतिमान है जहां पर राक्षसों की राज की तरह अधर्मी पापी का राज चल रहा है ।जिससे हम विजय दशमी के रोज रावण का पुतला का दहन कर समाज को मन रुपी रावण को मारने का संदेश देते आ रहे है ।भगवान राम ने चौदह बर्ष बनवास में रहकर राक्षसों की सेना रावण का राज खात्मा कर अवध पुर पहुँचे थे ।उसी दिन  से यह विजय दशमी का पर्व‌‌‌ रावण का पुतला जलाकर बड़े धूमधाम से मनाया जाता है ।

   मन रुपी रावण को मारे समाज में सुख समृद्धि के लिये भगवान राम से विशेष याचना करें अहं का नाश हो असत्य पर सत्य की जीत हो बूराई पर अच्छाई की विजय हो ।

    साल्हेवारा रामपुर बकरकटटा वनांचल क्षेत्र के समस्त जनप्रतिनधियों ग्रामीणों वनवासियों की ओर से छत्तीसगढ़ एवं देश वासियों को विजय दशमी की ढेरों बधाई सहित अनेकोंनेक शूभकामनायें

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