जिले के 18 आदिवासी बंधक श्रमिकों को कराया गया मुक्त
बालाघाट। जिले के बिरसा विकासखंड के ग्राम समनापुर के 18 आदिवासी ग्रामीणों को महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में बंधक बनाये जाने की सूचना मिलने पर जिला प्रशासन ने त्वरित कार्यवाही कर इन श्रमिकों को मुक्त कराया है। बालाघाट से पुलिस अधिकारियों का दल भेज कर नांदेड़ के प्रशासन से सहयोग लेकर इन श्रमिकों को मुक्त कराया गया है। इन श्रमिकों को मुक्त करा कर बस से बालाघाट लाया जा रहा है। इन ग्रामीणों को नांदेड़ ले जाने वाले ठेकेदारों के विरूद्ध वैधानिक कार्यवाही भी की जा रही है।
बैहर एसडीएम श्री तन्मय वशिष्ट शर्मा को बिरसा तहसील के ग्राम समनापुर के विशेष पिछड़ी जनजाति बैगा के लोगों को महाराष्ट्र राज्य के नांदेड़ जिले में बंधक बनाकर गन्ना कटाई का कार्य कराने और उन्हें मजूदरी का भुगतान नहीं करने एवं खाने के लिए भोजन नहीं दिये जाने की शिकायत मिलने पर उन्होंने तत्काल इसे कलेक्टर डॉ गिरीश कुमार मिश्रा के संज्ञान में लाया। इस पर कलेक्टर डॉ मिश्रा ने पुलिस अधीक्षक बालाघाट एवं नांदेड़ के कलेक्टर से सम्पर्क कर बालाघाट जिले के बंधक बनाकर रखे गये श्रमिकों को मुक्त कराने की पहल की। इसके लिए बालाघाट से पुलिस अधिकारियों का दल वाहन सहित नांदेड़ रवाना किया गया । बालाघाट के पुलिस अधिकारियों के दल ने नांदेड़ पहुंचकर वहां के तहसीलदार एवं अन्य अधिकारियों के सहयोग से बंधक बनाये गये श्रमिकों को मुक्त कराया है।
बैहर बैहर एसडीएम श्री शर्मा ने बताया कि 27 दिसंबर 2021 को एक शिकायत प्राप्त हुई जिसमें बताया गया कि बांदाटोला ग्राम समनापुर तहसील बिरसा के 18 व्यक्ति जिसमें 10 पुरुष एवं 8 महिलाऐं शामिल है को दिनांक 02 दिसंबर 2021 को महाराष्ट्र के नांदेड जिला में ठेकेदार गणेश राठौर के द्वारा गन्ना कटाई के लिए मजदूर के रूप में ले जाया गया था तथा वर्तमान में इन्हें वापस आने नहीं दिया जा रहा है ना ही इन्हें मजदूरी का भुगतान किया जा रहा और ना ही पर्याप्त भोजन दिया जा रहा है एवं मजदूरों के साथ मारपीट की जा रही है। जिस पर उनके द्वारा इन मजदूरों से दूरभाष पर संपर्क कर वस्तुस्थिति के संबंध में जानकारी ली गई जिसमें शिकायत प्रथम दृष्टया सही होना पाई गई। इस शिकायत की सूचना कलेक्टर डॉ गिरीश कुमार मिश्रा को दी गई । कलेक्टर डॉ मिश्रा ने स्वयं मजदूरों से चर्चा की एवं रात्रि में ही बंधक श्रम अधिनियम 10 के अंतर्गत ग्राम सुनसुली तहसील लोहा, जिला नांदेड (महाराष्ट्र) में कार्यरत मजदूर नियोजक गोविंद राठौर एवं गणेश राठौर के यहाँ बंधक बनाकर रखे गये सभी मजदूरों अपने गृह जिला बालाघाट लाने के लिए कार्यपालिक अधिकारियों का दल गठित किया गया। इस दल में श्री सुनिल यादव (श्रम निरीक्षक), श्री तीरथ प्रसाद अक्षरिया (राजस्व निरीक्षक) वारासिवनी एवं श्री अर्जुन सेमलिया (ए.एस. आई) थाना रूपझर शामिल किये गये है।
कलेक्टर डॉ. मिश्रा ने 27 दिसंबर की रात्रि में ही कलेक्टर जिला नांदेड (महाराष्ट्र) से संपर्क कर उन मजदूरों की खोजबीन के लिए समन्वय स्थापित किया । इस दौरान ठेकेदार एवं मजदूरों के फोन स्विच ऑफ कर दिए गए थे। इसके उपरांत अनुविभागीय अधिकारी (पुलिस) बैहर श्री आदित्य मिश्रा द्वारा इनकी मोबाईल टावर की लोकेशन निकाली गई जो कि, कपसी जिला नांदेड (महाराष्ट्र) में मिली। रात्रि में ही नांदेड (महाराष्ट्र) पुलिस प्रशासन द्वारा उक्त स्थल में जाँच दल भेजा गया । किन्तु उक्त स्थल में ठेकेदार एवं मजदूर यहाँ नही पाए गए। इसमें पाया गया कि ठेकेदार द्वारा 18 मजदूरों को 4 एवं 14 के समूहों में अलग-अलग भेजा गया था।
दिनांक 28 दिसंबर 2021 की सुबह 08 बजे कलेक्टर डॉ. मिश्रा द्वारा गठित दल बालाघाट से नांदेड (महाराष्ट्र) जिला के लिए रवाना किया गया। इसी दौरान नांदेड (महाराष्ट्र) पुलिस प्रशासन के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री अर्चित चांडक के नेतृत्व में ठेकेदार एवं मजदूरों की खोजबीन जारी रही। दोपहर 03 बजे नांदेड (महाराष्ट्र) पुलिस प्रशासन द्वारा मजदूरों एवं ठेकेदार की खोजबीन कर चौकी मुखेड़ जिला नांदेड (महाराष्ट्र) मे लाया गया। इन 18 मजदूरों में से 4 मजदूर बाल श्रमिक की श्रेणी में होना पाया गया। इन मजदूरों से पूछताछ करने पर यह स्पष्ट हो गया कि 18 मजदूरों को बंधक श्रमिकों की तरह कार्य कराया जा रहा था। इन मजदूरों को न ही मजदूरी भुगतान किया जा रहा था और न ही पर्याप्त भोजन दिया जा रहा था एवं अपने गृह जिला वापस आने की इच्छा जाहिर करने पर इनके साथ मारपीट की जाती थी।
दिनांक 28 दिसंबर 2021 को बालाघाट से रवाना दल रात्रि लगभग 11:30 बजे जिला नांदेड (महाराष्ट्र) पहुंच गया और मजदूरों से चर्चा की गई एवं उन्हें बालाघाट वापस लाने की प्रक्रिया प्रारंभ की गई एवं बंधक श्रम पद्धति (उत्सादन) अधिनियम 1976 की धारा 10 एवं बाल श्रम (प्रतिषेध एवं विनिमयन) अधिनियम 1986 के अंतर्गत नांदेड (महाराष्ट्र) पुलिस प्रशासन द्वारा वैधानिक कार्यवाही की प्रक्रिया की जा रही है।
आज दिनांक 29 दिसंबर 2021 को मजदूरों को सुरक्षित रूप से बालाघाट वापस लाया जा रहा है। यह समस्त मजदूर बैगा परिवार है। बैगा परिवार जो कि, रोजगार अथवा व्यवसाय का स्थानीय स्तर पर अभाव होने के कारण अन्य जिलों अथवा राज्यों में पलायन करने के लिए मजबूर होते है को कम से कम करने हेतु जिला प्रशासन द्वारा “हमर सम्मान" के अंतर्गत लाभार्थीयों को लाभ मिल सके इसके लिए सतत् प्रयासरत है।
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